हरियाणा में चुनाव हुआ है जिसके नतीजे अस्वीकार्य है,जिन मशीनों में हमारे नतीजे 99% थे उनमें हमारे नतीजे हारने वाले आए और जिस मशीनों को नहीं छेड़ा गया उसमें हम जीत रहे हैं। तंत्र की जीत और लोकतंत्र की हार है, हम सारी शिकायतें इकट्ठा कर रहे हैं, हम ये सब शिकायत चुनाव आयोग के पास लेकर जाएंगे और वहां पर अपनी शिकायत दर्ज करेंगे। : कांग्रेस नेता पवन खेड़ा
- जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव
- आर्टिकल 370 हटने के बाद से पहली बार हुए चुनाव
- हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा
- कांग्रेस ने हरियाणा के नतीजों को स्वीकार करने से इनकार किया
- कांग्रेस ने हरियाणा में ईवीएम और काउंटिंग सिस्टम पर उठाए सवाल
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 08 अक्टूबर :
कांग्रेस का हरियाणा जीतने का सपना अब चकनाचूर हो गया है। बीजेपी एक बड़ी जीत की तरफ बढ़ रही है। बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाएगी। हरियाणा में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाकर कांग्रेस और अन्य दलों को चौंका दिया है। दरअसल एग्जिट पोल के नतीजों में कांग्रेस को भारी सीटों के साथ सरकार बनाने की स्थिति में दिखाया गया था। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। हरियाणा में भगवा रंग फिर चढ़ गया है। उधर हरियाणा में बीजेपी की जीत के साथ ही देश का सियासी पारा हाई हो गया है। कांग्रेस अपनी हार की ठींकरा हमेशा की तरह ईवीएम पर ही फोड़ रही हैं।
हरियाणा में हाई वोल्टेज प्रचार अभियान चलाने और अरविंद केजरीवाल को ‘हरियाणा की मिट्टी का बेटा’ के रूप में पेश करने के बावजूद, आम आदमी पार्टी को इस हिंदी भाषी राज्य में भारी निराशा हाथ लगी है। हरियाणा चुनाव नतीजों के अब तक के रुझान में आआपा का खाता भी खुलता हुआ नहीं दिख रहा है। उसके लगभग सभी उम्मीदवार चौथे नंबर या उससे भी पीछे चल रहे हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि अपनी जमानत भी न बचा पाएं।
‘कांग्रेस लगातार झूठ फैलाने का काम कर रही थी लेकिन जनता ने उनकी बात को नकारा… सरकार की जो काम करने की नीतियां हैं, जो उपलब्धियां हैं उसे जनता ने स्वीकार किया… यह अपने-आप में एक रिकॉर्ड बना है क्योंकि हरियाणा में किसी पार्टी की तीसरी बार सरकार नहीं बनी थी। भाजपा ने हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाई है।’ : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर
जम्मू-कश्मीर का चुनाव काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहला विधानसभा चुनाव है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था।
जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे मंगलवार को आ गए। केंद्रशासित प्रदेश में 10 साल बाद हुए चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 और कांग्रेस 6 सीटें जीत गईं। सीपीएम को भी एक सीट मिली। जम्मू रीजन में 28 सीटें जीतकर बीजेपी अब मुख्य विपक्षी दल बन गई है। पीडीपी को सिर्फ तीन सीटें मिली। पहली बार आआपा ने भी एक सीट जीतकर खाता खोला। निर्दलीयों के खाते में 6 सीटें आईं।