लेखिका रेखा मित्तल के कहानी संग्रह ‘कागज की कश्ती ‘ पर हुई चर्चा
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 30 सितंबर:
पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में विगत दिवस ‘पुस्तक परिचर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत चंडीगढ़ की प्रसिद्ध लेखिका रेखा मित्तल के कहानी संग्रह “कागज की कश्ती” कृति की समीक्षा डॉ० सुधीर मेहरा (आचार्य अंग्रेजी विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़), रेखा मौर्य (शोधार्थी) तथा साहिल (छात्र ट्रांशलेशन) ने की। डॉ० सुधीर मेहरा ने इस किताब की समीक्षा करते हुए कहा कि यह किताब कागज की वह कश्ती है जिसमें बैठकर रिश्तों की सही समझ पैदा हो सकती है।
आज के समय में कागज की कश्ती एक ऐसी किताब है जो हम अपने बच्चों को बिना किसी संकोच के उपहार में दे सकते हैं। शोधार्थी रेखा मौर्य ने कहा कि आज के व्यस्ततम समय में लघु कलेवर की कहानियां पाठक को आकर्षित करती हैं। रेखा मित्तल की कहानियां बाल मनोविज्ञान और सामाजिक विसंगतियों के ऊपर आधारित हैं जो समाज को एक दिशा देने का काम कर रही हैं। साहिल ने कहानी संग्रह में संकलित कहानी ‘कागज की कश्ती’, ‘गुड टच बैड टच’, ‘भाभी मां’, ‘पहला प्यार’, ‘हौसलों की उड़ान’ आदि कहानियों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह कहानी संग्रह लेखिका द्वारा गागर में सागर भरने का सार्थक प्रयास है। साथ ही उन्होंने कहानियों की विषयवस्तु पर अपना समीक्षात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किया।
पुस्तक समीक्षा के पश्चात कहानीकार रेखा मित्तल ने विभागाध्यक्ष तथा सभी वक्ताओं और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहानी लेखन का अनुभव साझा करते हुए कहा कि कहानी हम लिखते नहीं बल्कि वो हमें लिखने के लिए मजबूर करती है।
उन्होंने इस कहानी संग्रह से संबंधित श्रोताओं की जिज्ञासाओं का निवारण किया। विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने सबका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में रिश्तों में प्रेम और समर्पण की भावना कम होती जा रही है। ऐसे समय में समाज के लिए ऐसे साहित्य की आवश्यकता है जो उसे सही राह दिखा सके और ‘कागज की कश्ती’ कहानी संग्रह एक ऐसी कृति है जो समाज में इन मूल्यों और भावनाओं का संचार करने में सक्षम है। अंत में रेखा मित्तल ने विभागाध्यक्ष तथा सभी वक्ताओं व वशिष्ठ अतिथियों को उपहार देकर सम्मानित किया।