भगवान शिव करूगावतार हैं : स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी
सावन माह में शिव महिमा सुनने उमड़ रहे शिव भक्त , करूगावतार हैं भगवान शिव : महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 08 अगस्त :
श्री सन्यास आश्रम जैतो में आयोजित नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण प्रवचन कार्यक्रम के चौथे दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए देवभूमि हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने शिव महिमा सुनाते हुए कहा कि शिव क्रोधावतार नहीं बल्कि करुणावतार हैं। शिव की पूजा देवता तो करते ही हैं, दानव भी शिव के परम भक्त रहे हैं। कलियुग में मानव शिव भगवान की आराधना कर पुण्य-लाभ कमा रहे हैं। सच्चे मन से शिव महिमा सुनने व उनका ध्यान करने वाला भक्त सदैव सुखों को पाता है। देवों के देव होने के चलते भगवान शिव महादेव भी कहलाते हैं। महाराज जी ने कहा कि भगवान शिव करुणा के सागर हैं। वे अपने भक्त पर जितनी जल्दी करुणा बरसाते हैं उतनी जल्दी कोई देवता प्रसन्न नहीं होता। भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान है। वे तो महज एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव के अनेकों नाम है जिसमें एक नाम आशुतोष भी कहा गया है। अर्थात शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव। इसलिए अगर कभी कुछ भी मांगना हो तो भगवान शिव से मांगें, वे जरुर करुणा का सागर बरसाएंगे और हर मन्नत पूरी करेंगे।भक्ति की परिभाषा बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि मंदिर में जाकर श्रद्दा-भावना के साथ भक्ति करनी चाहिए। भक्ति को मजबूरी नहीं समझना चाहिए। भक्ति करो तो खुला समय निकालकर करो। भक्ति करने का विधान है कि मंदिर में जाकर भगवान के आगे पहले हुए वस्त्र का कपड़ा फैलाकर मन्नत मांगी जाए। मंदिर में जाकर अपनी झोली फैलाकर भगवान से जो सच्चे दिल से मांगा जाएगा वह जरूर मिलेगा। स्वामी जी ने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि मंदिर में जाकर भी भक्त का ध्यान कहीं और ही होता है। मंदिर में बैठने का उसके पास बिल्कुल समय नहीं होता। बस आता है और आनन-फानन में माथा टेककर चला जाता है। मंदिर में जाओ तो कुछ देर वहां बैठो और प्रभु का ध्यान लगाओ। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य के मन में पलने वाली तृष्णा उसकी चिंता का मूल कारण है। तृष्णा मनुष्य के संतोष को समाप्त कर देती है। संतोष समाप्त होने पर पैदा होने वाला असंतोष मानसिक तनाव का कारण बनता है। इसलिए मनुष्य को तृष्णा नहीं बढ़ानी चाहिए क्योंकि तृष्णा की पूर्ति कभी भी नहीं होती। यहां नित्य शाम चार से सात बजे तक बड़ी गिनती में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं और सावन माह में देवभूमि हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज के मुखारविंद से शिव महिमा सुन जीवन सफल बना रहे हैं। कार्यक्रम दौरान जहां महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज द्वारा श्रद्धालुओं को श्री शिव पुराण महिमा सुना भाव-विभोर कर रहे हैं, वहीं स्वामी श्री सुशांतानंद जी महाराज द्वारा भी शिव शंकर की महिमा सुना श्रद्धालुओं को आनंदित किया जा रहा है। इस मौके बड़ी गिनती में उमड़े श्रद्धालुओं ने महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। आश्रम प्रांगण ओम नमः शिवाय, शिव भोले, बम-बम भोले एवं सद्गुरु देव महाराज के जयकारों से गूंज उठा। आज कथा के मुख्य यजमान अमृत लाल बांसल, अजय कुमार, नरेश कुमार व राघव बांसल थे। इनकी और से पूजा अर्चना की और प्रशाद वितरण किया गया।इस समागम में जाने माने समाज सेवी रतन सिंगला भठ्ठे वाले, मन्ना सिंह मित्तल,तेजा सिंह सोढी, राधे श्याम बांसल, नरेश मित्तल, हर्ष बांसल,करन कोचर, पूर्व पोस्ट मास्टर राधे श्याम, राकेश मंगला, विजय कांसल फौजी,गौरा माहेश्वरी, सतीश गोयल बिजली वाले, देवी माहेश्वरी सहित अन्य श्रद्धालुओं के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं की भीड़ उमड़ी हुई थी।