Sunday, December 22

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 18  जून 2024

नोटः आज निर्जला एकादशी व्रत है। सालभर में 24 एकादशी आती हैं, 12 शुक्ल पक्ष की और 12 कृष्ण पक्ष की और हर एकादशी का खास महत्व होता है. लेकिन, शास्त्रों में निर्जला एकादशी को मोक्ष देने वाली एकादशी कहा जाता है, इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत करने के अलावा गंगा में स्नान करने और दान करने का विशेष महत्व होता है. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। ऐसे में आप कैसे निर्जला एकादशी का व्रत करें और इसकी व्रत कथा क्या है जानें यहां। 

विक्रमी संवत्ः 2081, शक संवत्ः 1946, मासः ज्येष्ठ पक्षः शुक्ल, तिथिः एकादशी तिथि की वृद्धि है जो कि मंगलवार को प्रातः काल 06.25 तक है, वारः मंगलवार।

नोटः आप उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

नक्षत्रः स्वाती अपराहन् काल 03.56 तक है, योगः शिव रात्रि काल 09.39 तक है, करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः मिथुन, चन्द्र राशिः तुला, 

राहू कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.27, सूर्यास्तः 07.18 बजे।