Saturday, December 7

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 25 मार्च 2024

नोटः आज फाल्गुन पूर्णिमा,होली पर्व होलाष्टक समाप्त, श्री चैतन्य महाप्रभू जयंती है। तथा होलिका विभूति धारण, धूलिवन्दन है।

होलिका विभूति धारण, धूलिवन्दन

होलिका विभूति धारण, धूलिवन्दन : क्या आप जानते हैं कि होलिका की भस्म, होली की राख चमत्कारिक शक्ति से सम्पन्न होती है, जिसका प्रयोग कर वातावरण में व्याप्त नकारात्मक शक्तियों को परास्त किया जा सकता है। होली की अग्नि की दहक अनेक प्रकार के बैक्टीरिया एवं रोगों का निराकरण करती है, इसी कारण होली की परिक्रमा एवं होली के भस्म का प्रयोग अति महत्वपूर्ण रहता है। होली पूजन एवं होलिका दहन के पश्चात् होली की भस्म घर लाने की परम्परा है। ऐसा माना जाता है कि घर में इसे रखने से सभी प्रकार की बुरी आत्माएं घर से पलायन कर जाती हैं और वह घर वर्षभर के लिए सभी प्रकार से सुरक्षित रहता है। होलिका की अग्नि एवं भस्म के अनेक प्रयोग शास्त्रों में वर्णित हैं। होलिका की विभूति (भस्म) घर लेकर आएं, पुरूष इसे मस्तक पर और महिलाएं इसे गले पर लगाएं जिससे सौभाग्य में वृद्धि हो।

श्री चैतन्य महाप्रभू

श्री चैतन्य महाप्रभू जयंती : 25 मार्च 2024 को होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का जन्मोत्सव भी मनाया जाएगा। चैतन्य महाप्रभु का जन्म बंगाल के नवद्वीप नामक गांव (अब मायापुर) में संवत 1407 में फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के दिन हुआ था। चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी, इस पूर्णिमा को गौरव पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।

विक्रमी संवत्ः 2080, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः फाल्गुन, 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः पूर्णिमा दोपहर काल 12.30 तक है, 

वारः सोमवार।

नोटः आज सोमवार दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः उत्तरा फाल्गुनी की वृद्धि है जो कि प्रातः काल 10.38 तक है, 

योगः वृद्धि रात्रि काल 09.30 तक, 

करणः बव, 

सूर्य राशिः मीन, चन्द्र राशिः कन्या, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.22, सूर्यास्तः 06.32 बजे।