पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 08 मार्च 2024
नोटः आज श्री महाशिवरात्रि व्रत है। एवं प्रदोष व्रत है।
श्री महाशिवरात्रि व्रत : शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान होता है। इस दिन महादेव की कृपा जिस पर हो जाए, उसका जीवन खुशियों से भर जाता है. इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार शुक्रवार, 8 मार्च को मनाया जाएगा।
प्रदोष व्रत : सनातन धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है। माह की त्रयोदशी तिथि में सायं काल को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में इस समय नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। जो भी लोग अपना कल्याण चाहते हों यह व्रत रख सकते हैं। प्रदोष व्रत को करने से सब प्रकार के दोष मिट जाता है। शुक्रवार प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
पंचक काल : हर माह में 5 दिन तक समय पंचक काल का होता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, जब चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र में गोचर करते हैं तो उस काल को पंचक काल कहा जाता है। इन सभी नक्षत्रों को पार करने में चंद्रमा को करीब 5 दिन का समय लगता है, इसलिए इसे पंचक कहा जाता है। आज रात्रिः 9.20 से पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं, पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पॉच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
विक्रमी संवत्ः 2080,
शक संवत्ः 1945,
मासः फाल्गुन,
पक्षः कृष्ण,
तिथिः त्रयोदशी रात्रि काल 09.58 तक है,
वारः शुक्रवार।
नोटः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः श्रवण प्रातः काल 10.41 तक है,
योगः शिव रात्रिः काल 12.46 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः कुम्भ, चन्द्र राशिः मकर,
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.42, सूर्यास्तः 06.22 बजे।