पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 05 मार्च 2024
यह भी पढे : तिथि की वृद्धि अथवा क्षय क्यों होती है?
नोटः दशमी तिथि का क्षय हैं। एक तिथि का भोग काल सामान्यतः 60 घटी का होता है। तिथि का क्षय होना या तिथि में वृद्धि होना सूर्योदय के आधार पर ही निश्चित होता है. अगर तिथि, सूर्योदय से पहले शुरू हो गई है और अगले सूर्योदय के बाद तक रहती है तो उस स्थिति को तिथि की वृद्धि कहा जाता है। अगर किसी तिथि की अवधि 24 घंटे से कम है और वह सूर्यादय के बाद शुरू हुई और अगले दिन सूर्यादय से पहले ही खत्म हो जाए तो इसे तिथि क्षय कहते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2080,
शक संवत्ः 1945,
मासः फाल्गुन,
पक्षः कृष्ण,
तिथिः नवमी प्रातः 08.04 तक है,
वारः मंगलवार।
नोटः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः मूल सांय काल 04.00 तक है,
योगः सिद्धि दोपह काल 02.08 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः कुम्भ, चन्द्र राशिः धनु,
राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.46, सूर्यास्तः 06.20 बजे।