ब्रह्मदत्त शर्मा के उपन्यास ‘आधी दुनिया पूरा आसमान’ पर चर्चा परिचर्चा
सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर, 27 जनवरी
महाराजा अग्रसेन महाविद्यालय जगाधरी में ब्रह्मदत्त शर्मा के उपन्यास ‘आधी दुनिया पूरा आसमान’ पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में सामान्य उपन्यास के विभिन्न तत्वों तथा इस उपन्यास विशेष पर विभिन्न साहित्यकारों द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम संचालक अशोक अग्रवाल ने उपन्यास के विभिन्न पहलुओं तथा साहित्य के विषय में अपने विचार रखें। तत्पश्चात उपन्यासकार ब्रह्मदत्त शर्मा ने स्वयं उपन्यास के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
यह उपन्यास मुख्य रूप से समाज में लड़कियों के महत्व को इंगित करते हुए लिखा गया है। उपन्यासकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे समाज में आज भी लड़कों और लड़कियों में जो भेदभाव किया जाता है वह समाप्त हो। उपन्यास में विभिन्न स्थानों पर उपन्यासकार कहता है कि लड़कों और लड़कियों में कोई भेद नहीं है। हमारे घरों में, हमारे परिवार में जितना महत्व लड़कों का है उसके प्रतिपक्ष में लड़कियों का योगदान और महत्व किसी रूप में भी कम नहीं है। यह उपन्यास एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसके दो बेटियां जन्म लेती हैं तो उसको परिवार द्वारा विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है, क्योंकि वह पुत्र को जन्म नहीं दे सकी है। इसी कशमकश में तथा बिगड़ते हुए पारिवारिक माहौल में वह लड़की परिवार से दूर अपनी एक मित्र के पास चली जाती है। कभी विद्यालय में पढ़ते हुए उसे लड़की की एक प्राध्यापिका ने उन्हें सामान्य से हटकर आई ए एस या उसी स्तर की परीक्षाओं में भाग लेने और सफल होने के लिए प्रेरित किया था। अब जब वह लड़की चारों ओर से मजबूर होकर अपनी सहेली के घर रहती है तो उसकी सहेली उसको यह परीक्षा देने के लिए प्रेरित भी करती है और जिस जिस प्रकार से उसकी मदद संभव हो सकती है वह सभी प्रकार से उसकी सहायता भी करती है। अंततः कहानी की नायिका किरण अपनी सहेली की सहायता और प्रेरणा से न केवल पहले ही प्रयास में इस को परीक्षा पास करती है अपितु पूरे देश में आठवां रैंक भी हासिल करती है और इस तरह यह उपन्यास सुखांत उपन्यास बन जाता है। कहानी के मध्य बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो केवल कहानी को आगे बढ़ाने के लिए प्रयोग नहीं की गई हैं अपितु वे हमारे सामान्य जीवन में तथा इन अवस्थाओं में पल और बड़ी हो रही लड़कियों के लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ बहादुर सिंह ने उपन्यास की भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा उपन्यासकार को हार्दिक बधाई प्रस्तुत की। महाविद्यालय प्राचार्य डॉक्टर प्रमोद कुमार बाजपेई ने उपन्यास के अन्य पहलुओं को छुआ, तथा सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों को यह उपन्यास तथा स्वयं में पुस्तक पढ़ने की आदत के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उपन्यास के विषय में बोलते हुए उपन्यास में प्रयुक्त विभिन्न उद्देश्यों को बच्चों के सामने रखा तथा उन्हें इन आदर्श उद्देश्यों के ऊपर चलते हुए समाज में यह और इस प्रकार की जो अन्य बुराइयां हैं उन्हें दूर करने में अपना योगदान देने का आह्वान किया। इस अवसर पर सभागार में कॉलेज के बी.ए. सेकंड ईयर और बी.ए.फाइनल ईयर के सभी बच्चे उपस्थित रहे तथा उन्होंने इस परिचर्चा और विशेष कर उपन्यास से संबंधित जो विषय थे उनको बड़े सुरुचि पूर्ण ढंग से सुना तथा इस पुस्तक को पढ़ने की इच्छा ज़ाहिर की।