Friday, January 10

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 19 जनवरी

पुत्रदा एकादशी का व्रत रविवार 21 जनवरी को होगा। प्रत्येक माह दो एकादशी व्रत आते हैं और इस तरह साल में कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं ।सभी एकादशी अपने-आप में बहुत ही खास होती है। और महत्वपूर्ण होती है। लेकिन पौष माह की (पुत्रदा) (एकादशी) सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है। खासतौर से उन लोगों के लिए जो कि लंबे समय से संतान प्राप्ति की कामना कर रहे हैं। ऐसे में यदि दंपति या दोनों में से कोई भी एक विधि-विधान के साथ पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखता है, तो भगवान विष्णु उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।ये जानकारी सनातन धर्म प्रचारक प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्मऋषि पं.पूरन चंद्र जोशी ने पुत्रदा एकादशी के उपलक्ष्य में रोशनी डालते हुए दी। 

उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से घर में जल्द ही बच्चे की किलकारी गूंजने लगती है। इसके अलावा संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए भी पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत ही खास माना गया है। इस व्रत में दिन भर फलाहार किया जाता है और अगले दिन सूर्य व तुलसी को जल अर्पित करने के बाद ही व्रत का पारण होता है। पौष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि का व्रत उस दंपति के लिए बेहद महत्व रखता है जो कि संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। जो भी जातक भक्तिभाव और विधि-विधान के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

पं.जोशी के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 20 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 26 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 21 जनवरी को संध्याकाल में 07 बजकर 26 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। विष्णु पूजन का समय – प्रातः 08 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक पौष पुत्रदा एकादशी व्रत पारण का समय- 22 जनवरी प्रातः 07 बजकर 14 मिनट से प्रातः 09 बजकर 21 मिनट पर होगा। पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान कर भगवान विष्णु को प्रणाम करें।संभव हो तो गंगा स्नान करें और प्रभु का ध्यान करें फिर आचमन कर व्रत का संकल्प लें। इस दिन पील रंग के वस्त्र पहनें. पीले रंग के कपड़े पहनने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें और उसके बाद पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। विष्णु जी को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए उन्हें पीले रंग के फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती कर सुख-समृद्धि, पुत्र प्राप्ति और धन वृद्धि का कामना करें। दिन भर उपवास रखें और शाम में आरती कर फलाहार करें।एकादशी तिथि पर जागरण करने का विधान भी है इसलिए शाम में जागरण अवश्य करें। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना के लिए बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य अनुसार दान जरूर करें। ऐसा करने से श्री हरि का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहेगा। इस एकादशी का व्रत करने से नि:संतानों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही इस व्रत से संतान की तरक्की और अच्छे स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित किया जा सकता है।पुत्रदा एकादशी के दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा व्रती को सुबह की पूजा करने के बाद दिन में सोना नहीं चाहिए। एकादशी के दिन तुलसी में जल न दें। क्योंकि तुलसी माता एकादशी का निर्जला व्रत रखती हैं।इसलिए एकादशी तिथि के दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए। इसके अलावा पुत्रदा एकादशी के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को दोष लगता है। पुत्रदा एकादशी के दिन किसी पशु-पक्षी को परेशान न करें। इस दिन किसी के प्रति बुरा न सोचें। एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। केला,आम,अंगूर,बादाम,पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।एक साल में दो बार पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। पहला व्रत (पौष माह) की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है,तो वहीं दूसरा व्रत (सावन माह) के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के कई तरह के अद्भुत लाभ मिल सकते हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था कि पौष महीने की पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही इस व्रत को करने से साथ ही दांपत्य जीवन भी खुशहाल बना रहता है।

पं. जोशी अनुसार विष्णु जी की कृपा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। यह भी माना जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने वाले साधक के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। विष्णु जी को समर्पित एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का भी नाश होता है।