जब-जब धरती पर पाप बढ़ा, तब-तब अवतरित हुए भगवान : महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 28 दिसम्बर :
श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि जब-जब धरती पर पाप का बोझ बढ़ा है या किसी दुष्ट द्वारा गरीबों पर अत्याचार किए गए हैं तब-तब भगवान ने किसी न किसी रुप में धरती पर अवतार लिया और दुष्टों का संहार किया। रावण के पापों का अंत करने के लिए भगवान ने श्री राम चंद्र के अवतार में जन्म लिया तो कंस के अत्याचारों से लोगों को निजात दिलाने के लिए भगवान श्री कृष्ण रुप में अवतरित हुए।देवभूमि हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने ये विचार रोज एनक्लेव स्थित श्री महामृत्युंजय महादेव मंदिर में आयोजित दिव्य श्री राम कथा एवं आध्यात्मिक प्रवचन कार्यक्रम दौरान व्यक्त किए।
कथा ही महिमा सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब मनुष्य इसे अपने जीवन में धारण कर निरंतर हरि सिमरन करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा कथा सिर्फ मनोरंजन मात्र तथा कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। मनुष्य जब अच्छे कर्म करने के लिए आगे बढ़ता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य का साथ देने में लग जाती है और खुद-ब-खुद सभी कार्य सफल होने लगते हैं। ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां मनुष्य के साथ हो जाती हैं। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। अच्छे कर्मों वाली राह पर या बुरे कर्मों वाली राह पर, क्योंकि कर्म के अनुसार ही फल मिलता है। स्वामी श्री कमलानंद जी महाराज ने कहा कि इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोच होती है। मनुष्य जैसी सोच रखेगा, वैसा ही बनेगा। बड़ी सोच का बड़ा जादू होता है। बड़ी सोच रामसेतु का काम करती है। नाकारात्मक सोच जहां घर कर लेती है, वहां आपस में तनाव ही बढ़ता है। अपने से छोटों की कभी कमियां व गलतियां नहीं ढूंढनी चाहिएं। अगर जाने-जाने में भी कोई गलती कर बैठे तो उस पर वाद-विवाद खड़ा करने की बजाए उसे प्रेमपूर्वक ढंग से क्षमा करके उन्हें शिक्षा दोगे तो वैसी गलतियां वे दोबारा नहीं करेगा।
साकारात्मक विचारधारा से परिवार, समाज में आनंद व संगठन बना रहता है।कथा दौरान स्वामी श्री सुशांतानंद जी महाराज ने भी श्रद्धालुओं को प्रवचनों की अमृतवर्षा में स्नान कराने के साथ-साथ भजन गंगा में डुबकियां लगवाईं। इस मौके मंदिर प्रांगण प्रभु श्री राम चंद्र और वीर बजरंग बली जी के जयकारों से गूंज उठा।