विश्वमोहन भट्ट,सलिल भट्ट की वीणा का चला जादु, श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
- सात सुरों की सरगम श्रोताओं की रूह तक जाती है – पंडित हरीश तिवारी
- पटियाला के संगीत प्रेमियों के कारण समारोह कामयाब – फुरकान
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 25 दिसम्बर :
पटियाला में नार्थ जोन कल्चर सेंटर के कालीदास आडिटोरियम में चल रहे चार दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह के अंतिम दिन ग्रैमी अवार्ड विजेता पद्मभूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट की मोहन वीणा और पंडित सलिल भट्ट की सात्विक वीणा का जादू सिर चढ़कर बोला । समारोह में बैठे श्रोता मंत्रमुग्ध हो तालियां बजाते रहे। सबसे पहले उन्होंने राग श्याम कल्याण में आलाप जोड़-झाला बजाया। उसके बाद द्रुत की बंदिश में तीन ताल प्रस्तुत किया और आखिर में सुनाई राग जोग पर आधारित अपनी रचना – मीटिंग विथ द रिवर जिसके लिए उन्हें ग्रैमी अवार्ड मिला था। पंडित विश्वमोहन भट्ट ने स्वयं द्वारा गिटार एवं वीणा से निर्मित मोहन वीणा की धुनों से फिज़ां को संगीतमयी बनाया।पंडित विश्वमोहन भट्ट ने श्रताओं को संबोधित करते हुए उन्हें क्लासिकल म्यजूिक से जुड़ने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि कहा कि आज तकनीकी विकास व परिवर्तन से संगीत जगत अछूता नहीं है। इंटरनेट की तकनीक से हम यू ट्यूब के माध्यम से पुराने गानों व रागों को बड़ी आसानी से सुन पा रहे हैं व भारतीय संगीत के धरोहर स्वर्गीय कलाकारों की आवाज़ें भी तकनीक के कारण ही सुरक्षित है। हम जब चाहें उन्हें यू ट्यूब के माध्यम से सुन सकते हैं। पंडित विश्व मोहन भट्ट एक ऐसे अद्वितीय कलाकार है जिन्होंने मोहन वीणा का सृजन किया, वर्ष 1994 में भारत के लिए विश्व का सर्वोत्तम सम्मान ग्रैमी अवार्ड जीतकर भारतीय संगीत को विश्व में शीर्षस्थ स्थान दिलाया।
हरीश तिवारी की गायकी का भरपूर आनंद लिया लोगों ने
ख़याल गायक हरीश तिवारी ने राग दरबारी कान्हड़ा पर बंदिशे पेश कर ऐसा समां बांधा कि दर्शक गायकी में खो गए । उन्होंने राग दरबारी कान्हड़ा से गायन की शुरुआत की। इस राग में आपने दो बन्दिशें पेश की। एक ताल में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल- “और नहीं कछु काम के” जबकि तीन ताल में द्रुत बंदिश के बोल – “किन बैरन कान भरे” थे। उन्होंने राग सुहा कान्हड़ा से गायन को आगे बढाते हुए द्रुत एकताल में बंदिश पेश की- “पियरवा मोरे आए” इस बंदिश को भी आपने बड़े सहज अंदाज़ में ओजपूर्ण ढंग से पेश किया।
ज्ञात रहे कि पंडित हरीश तिवारी किराना घराने के प्रमुख हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक हैं। किराना घराना भारतीय शास्त्रीय ख्याल घरानों में से एक महत्वपूर्ण घराना है । किराना शैली की मुख्य चिंता स्वरों, यानी व्यक्तिगत स्वरों के संदर्भ में है, विशेषकर स्वरों की निर्देशिका और उनके अभिव्यक्ति में सटीकता। किराना गायकी में, राग के व्यक्तिगत स्वर (स्वर) सिर्फ स्केल में कुछ यादृच्छिक बिंदु नहीं होते, बल्कि संगीत के स्वतंत्र क्षेत्र होते हैं जो क्षैतिज विस्तार के लिए सक्षम होते हैं। हरीश तिवारी, प्रख्यात शास्त्रीय गायक ने अपनी शिक्षा ठाकुर चौबे, देवरिया यूपी, पीडीटी से प्राप्त की। उन्होंने महान भारत रत्न भीमसेन जोशी के मार्गदर्शन में गुरु-शिष्य परंपरा में किराना घराने के ख्याल का अध्ययन किया। डॉ. तिवारी आईसीसीआर की कलाकारों की सूची में सूचीबद्ध हैं।
— केंद्र द्वारा आगे भी संगीत, नाटक और नृत्य की सेवा जारी रहेगी –फुरकान खान
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने कहा कि चार दिवसीय समारोह बड़ी आशा और संकोच के बीच शुरू किया गया था लेकिन पटियाला की संगीत प्रेमी जनता के सहयोग से ये उम्मीद से ज़्यादा सफल रहा । उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत अदब और तहज़ीब की नुमाइंदगी करता है । यही कारण है कि हर शास्त्रीय कलाकार अपनी प्रस्तुति से पहले अपने गुरुओं को बड़े अदब से स्मरण करता है और अच्छी प्रस्तुति को गुरुओं के नाम व किसी कमी को अपने नाम करता है । उन्होंने आगे कहा कि हमें शास्त्रीय कलाकारों के साथ साथ इसके दर्शक भी पैदा करने होंगे । इसके लिए स्कूलों और कॉलेज में मेहनत करनी होगी ।
निदेशक फुरकान खान ने समारोह को सफल बनाने वाली पटियाला की जनता और विशेष भूमिका निभाने वाले महानुभावों का भी धन्यवाद किया।