सनातन धर्म सभा चंडीगढ़ के सत्संग भवन में चल रही कृष्ण लीला ने भग्तों को किया मंत्रमुग्ध
गोपी उद्धव संवाद सुनाते हुए आचार्य कुलदीप ने कहा कि भगवान जानते हैं कि बिना भक्ति के ज्ञान लंगड़ा है। उद्धव ज्ञानी तो है, लेकिन भक्त नहीं। इसलिए भगवान ने वृंदावन गोपियों के पास भेजा। 7 महीने तक उद्धव चरणों में बैठकर भगवत भक्ति चर्चा सुनते रहे, एक भी प्रश्न का उद्भव उत्तर नहीं दे पाए।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 12 अक्टूबर :
विश्व जागृति मिशन, पंचकुला चंडीगढ़ मोहाली मंडल के तत्वाधान में पितरों के निमित्त श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन सेक्टर 32 डी के सनातन धर्म सभा के सत्संग भवन में चल रहा है, जो 13 अक्टूबर तक चलेगा। आज की कथा में कृष्ण लीला सुनाते हुए आचार्य कुलदीप ने कहा कि संसार में जीव पुरुषार्थ चतुष्टय के पीछे भागता रहता है और सोचता है कि हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मिल जाए।
उन्होंने कहा कि गोपियों ने चारों पुरुषार्थों को छोड़ केवल कृष्ण प्राप्ति के लिए प्रेम किया, विशुद्ध प्रेम, कोई मांग नहीं, कोई सुख की कामना नहीं, केवल इस इच्छा से कि हमारे कृष्णा सुखी रहे।
“तत्सुखे सुखित्वा”! प्रेम की सही परिभाषा यही है। गोपिया जानती है कि कृष्ण परमात्मा है। भागवत में कहा गया कि गोपियां पूर्व जन्म की ऋषि हैं, वेद के मंत्र है, जो भगवान का आलिंगन प्राप्त कर तृप्ति होना चाहते हैं। इसलिए गोपी रूप में अवतरित हुए हैं। जिस लीला में शिव जी ने गोपी रूप धारण करके परमात्मा श्री कृष्ण का आलिंगन प्राप्त किया हो, वह काम लीला हो ही नहीं सकती।
उन्होंने कहा कि भागवत में रासलीला काम पर विजय की लीला है। काम को अभिमान था, इसलिए गोविंद ने अजब तरीके से काम पर विजय प्राप्त कर उसे परास्त किया।
उन्होंने बताया कि भागवत में लिखा है, जैसे कोई अपनी परछाई से खेल खेले, वैसे ही कृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की। शुकदेव स्वामी कहते हैं कि इस लीला को पढ़ने सुनने वालों के हृदय से काम वासना शांत होती है।
गोपी उद्धव संवाद सुनाते हुए आचार्य कुलदीप ने कहा कि भगवान जानते हैं कि बिना भक्ति के ज्ञान लंगड़ा है। उद्धव ज्ञानी तो है, लेकिन भक्त नहीं। इसलिए भगवान ने वृंदावन गोपियों के पास भेजा। 7 महीने तक उद्धव चरणों में बैठकर भगवत भक्ति चर्चा सुनते रहे, एक भी प्रश्न का उद्भव उत्तर नहीं दे पाए।
इसके बाद वह गोपियों की चरण रज अपने मस्तक पर धारण कर मथुरा आए और कृष्ण से निवेदन किया, प्रभु आप वृंदावन चलो।
कृष्ण ने कहा हम एक पल भी अपने भक्तों से अलग नहीं होते।
“राधा कृष्ण” की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों तत्वत एक है।
अंत में उन्होंने कहा कि कल 13 अक्टूबर को सुदामा चरित्र, नवयोगेश्वर संवाद, 24 गुरुओं की कथा तथा परीक्षित को ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की कथा कर कथा का विश्राम होगा।
इस मौके विश्व जागृति मिशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा कि कल कथा का आखिरी दिन है। उन्होंने कहा कि शनिवार को सुबह 10 बजे हवन होगा और 12 बजे भंडारा होगा।