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Month: September 2023
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पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते…
Four arrested for consuming liquor at public place Chandigarh Police arrested Joginder R/o # 253, Sector-25/D, Chandigarh (age-31 years while he was…
डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 28 सितम्बर : महापौर कुलभूषण गोयल ने गांव देवीनगर में धर्मशाला का शुभारंभ किया। इस धर्मशाला…
डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकुला – 28 सितम्बर : हरियाणा स्वास्थ्य महानिदेशक डा. सोनिया खुल्लर ने वीरवार को शिशु गृह सेक्टर 15…
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 28 सितम्बर : भाजपा चंडीगढ़ अध्यक्ष अरुण सूद ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महिला कल्याण नीतियां…
एनुअलनासा डिज़ाइन कॉम्पिटीशन के लिए चण्डीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के विद्यार्थियों द्वारा तैयार किया जा रहा है ढांचा डेमोक्रेटिक फ्रंट,…
भारत में कैंसर का इलाज आज भी बड़ी आबादी की पहुंच से दूर डॉक्टर अंकुर बहल फोर्टिस हॉस्पिटल डेमोक्रेटिक फ्रंट, बठिंडा – 28 सितम्बर : देश में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, कैंसर का कोई एक निश्चित कारण नहीं बताया जा सकता है लेकिन तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन और कुछ वायरस ऐसे होते हैं जिनके कारण शरीर में कैंसर पनपता है. कैंसर जीन, पर्यावरण और लाइफस्टाइल के अलग-अलग कारणों से मिलकर जन्म लेता है. आजकल कैंसर के केस इसलिए भी ज्यादा सामने आते हैं क्योंकि पहले की तुलना में अब इस रोग का पता लगाना आसान हो गया है. देश में कैंसर मरीजों का इलाज आज भी एक बड़ी चुनौती है. इसका एक कारण ये है कि यहां पर कैंसर का डायग्नोज एडवांस स्टेज में पता चल पाता है. इसलिए ये जरूरी है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक केंद्रों के डॉक्टरों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाए ताकि वो शुरुआती स्टेज में ही कैंसर को डिटेक्ट कर सकें और फिर सही वक्त पर मरीज का इलाज किया जा सके. कैंसर यूनिट काफी बड़ी होती है जिसमें मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और अन्य सेवाओं के लोग शामिल होते हैं. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च हॉस्पिटल, में मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमाटो-ऑन्कोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर अंकुर बहल ने बताया, ”कैंसर के मामलों में इलाज का खर्च वहन कर पाना एक बड़ा सवाल रहता है. ये वो बीमारी है जो बैंक खाते खाली करा देती है. लेकिन पिछले 5-10 सालों में हमने देखा है कि अगर सही जगह और सही टेस्ट में खर्च करें तो इलाज का पैसा बचाया जा सकता है. कैंसर के लिए जब थेरेपी आई थीं तब उनका चार्ज काफी ज्यादा था. लेकिन फिलहाल कैंसर थेरेपी की कीमत में काफी गिरावट आई है. इसके अलावा आयुष्मान भारत स्कीम और कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले मेडिकल इंश्योरेंस की मदद से मरीजों को काफी मदद मिली है. इस सबके बावजूद आज भी देश की एक बड़ी आबादी के लिए कैंसर का इलाज काफी मुश्किल है. हमें भारतीय लोगों के लिए इम्यूनोथेरेपी उपलब्ध कराने के टारगेट को हासिल करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा.” हर तरह के डॉक्टर से सुसज्जित कैंसर केयर सेंटर मेट्रो शहरों में ही उपलब्ध रहते हैं. छोटे शहरों में आज भी समग्र कैंसर केयर सेंटर उपलब्ध नहीं हैं. हमारे देश में कैंसर के इलाज में रोग का डायग्नोज होना, फिर इलाज का खर्च और अस्पताल में सही इलाज, आज भी बड़ी चुनौती है. भारत में इस तरह की सुविधाओं का भारी अभाव है और इन्हें हासिल करने के लिए अभी मीलों का सफर तय करना होगा. डॉक्टर बहल ने आगे कहा, ”ज्यादातर मरीजों या उनके परिजनों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होता है. जो लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं उन्हें ये ध्यान रखने की जरूरत है कि उसमें कैंसर का इलाज भी शामिल हो. पिछले दो दशकों में भारत में कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. मैं कहूंगा कि लगभग हर परिवार में कोई कैंसर मरीज या कैंसर से ठीक हो चुका मरीज है. एक तरह से, कैंसर एक एंडेमिक बीमारी है और कैंसर