- हरियाणा का गौरव बनकर उभरी रिद्धिमा और विधिका कौशिक
सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 08 सितम्बर :
एक समय था जब कहा जाता था कि पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब,खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब। परंतु जैसे जैसे समय बदला और समय के साथ साथ धारणाएँ भी बदल गई, वर्त्तमान परिदृश्य में खेल जीवन में आगे बढ़ने का ऐसा सशक्त माध्यम बन चुका है जिसके बल पर मनुष्य बड़ी से बड़ी चुनौती को स्वीकार करके जीवन के हर क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करने में सक्षम हो रहा हैं। देश की आज़ादी के पश्चात यदि पुरुष और महिला खिलाड़ियों द्वारा खेलों के माध्यम से हासिल की सफ़लता का आंकलन किया जाए तो निश्चित रूप से महिलाएं समाज और राष्ट्र की उन्नति में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लड़कियों द्वारा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके देश का परचम लहराया जा रहा है। खेल किसी भी मनुष्य के जीवन के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना कि एक सफल इंसान बनने में शिक्षा व अन्य संसाधनों का है। यदि यह कहा जाए कि खेल के माध्यम से मनुष्य का चौमुखी विकास हो सकता है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी यह एक ज्ञात तथ्य है कि स्वस्थ व सफल जीवन शैली के लिए खेल अभिन्न हिस्सा है। हालांकि छोटी उम्र से खेल खेलने के बहुत सारे लाभ है खेल जहाँ स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देता है वहीं आत्म सम्मान की दृष्टि से खेल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व माना जाता है।
वर्तमान की तेज तर्रार और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा से भरपूर जीवन में खेलों का अत्यधिक महत्व रहता है सामान्य तौर पर युवाओं के जीवन में खेल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है परंतु खेल में भागीदारी सुनिश्चित करना विशेष रूप से लड़कियों और महिलाओं के लिए महत्व रखता है। भारत में आज भी बहुत से ऐसे क्षेत्र है जहां लड़कियों के लिए शिक्षा आभाव तथा कम उम्र में विवाह तथा स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की अक्षमता तथा लिंगानुपात की दृष्टि से लड़कियों और महिलाओं को समान अवसर से वंचित रहना पड़ता है। इन परिस्थितियों में खेल एक उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। दरअसल खेल महिला खिलाड़ियों को नित नए अवसर प्रदान करता है तथा जीवन की चुनोतियों को स्वीकार करने का कौशल विकसित करने में सहायक सिद्ध होता है। यदि बात वर्तमान परिदृश्य में खेलों की जाए तो आज देश की बच्चियों खेलों में बेहतर प्रदर्शन करके न केवल स्वयं का अपितु पूरे देश का नाम विश्व के पटल पर रोशन करने में लगी है। इसी का जीवंत उदाहरण बनकर उभरी है, हरियाणा के फरीदाबाद की दो सगी बहने विधिका कौशिक व रिद्धिमा कौशिक। बचपन से ही किक बॉक्सिंग खेल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही विधिका कौशिक और रिद्धिमा कौशिक किक बॉक्सिंग का खेल रूचि से प्रारंभ होकर वर्तमान में ओलंपिक पदक का लक्ष्य बन चुका है। इन दोनों बहनों ने खंड स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उम्र में छोटी और प्रतिभा की दृष्टि से बड़ी हरियाणा की दोनों बेटियों की खेल शैली, एक मंजे हुए खिलाड़ी के भांति दिखाई देती है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में विधिका और रिद्धिमा कौशिक ने स्वर्ण पदक हासिल करके अपने माता-पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया है। गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में पूरे विश्व के बेहतर खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिसमें इन दोनों बच्चियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करके स्वर्ण पदक हासिल करके देश में एक अपनी अलग पहचान बनाने का काम किया है।
शुरुआती दौर से ही हरियाणा का खेलो के क्षेत्र में अपना अलग स्थान रहा है। दरअसल माँ और माटी का स्वभाव समान होता है। जिस प्रकार हरियाणा की माटी खिलाड़ियों सर्वांगीण विकास करने के लिए सदैव ततपर रहती है उसी प्रकार रिद्धिमा और विधिका की माँ रितु कौशिक भी बेटियों को बुलंदियों पर देखने के लिए समर्पण भाव से अपनी बच्चियों को बेहतर परवरिश देने में उद्घत रहती हैं। भारत के खेल इतिहास पर यदि बात करें तो हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश का नाम विश्व पटल पर चमकाने के काम किया है। इसी प्रकार किक बॉक्सिंग में भी देश की बेटियां अपनी अलग पहचान बना रही है।अभी हाल ही में भारत के झारखंड राज्य में हुई राष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगता में दो सगी बहनों विधिका कौशिक व रिद्धिमा कौशिक स्वर्ण पदक जीत कर न केवल परिवार का अपितु देश व प्रदेश का नाम रोशन किया है। विधिका ने 28 किलोग्राम भार वर्ग और रिद्धिमा ने अंडर-12 आयु वर्ग मनवाया प्रतिभा का लोहा मनवाया। निश्चित तौर पर आज के समय और परिस्थितियों के अनुसार जो खेलेगा वही आगे बढ़ सकता है, फिर वह जीवन हो या खेल का मैदान। हरियाणा के जिला फरीदाबाद की दो सगी बहनों ने छोटी उम्र में ही बड़ा काम करके एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया है। दरअसल बच्चे को परिवार की ओर से दिए गए अच्छे संस्कार व शिक्षा जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। झारखंड के राचीं में 23 से 27 अगस्त के बीच आयोजित हुई राष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगिता-2023 चिल्ड्रन कैडेटस एंड जूनियर में फरीदाबाद जिले की विधिका और रिद्धिमा ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। झारखंड अमेतरा स्पोर्ट्स किक बाक्सिंग एसोसिएशन की ओर से आयोजित प्रतियोगता में देशभर के किक बाक्सिंग खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। 28 किलोग्राम भार वर्ग के किक लीग इवेंट में विधिका कौशिक ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। जबकि 47 किलोग्राम भार वर्ग के लीग कांटेस्ट में रिद्धिमा कौशिक ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सोने का पदक हासिल करके माता पिता व प्रदेश का नाम रोशन किया है। खेल के क्षेत्र में खिलाड़ी का परिश्रम और कोच की निष्ठा दोनों ही महत्व रखती है। जिस प्रकार शिक्षक के बिना शिक्षा अधूरी है उसी प्रकार कोच के बिना खेलों में सफलतापूर्वक आगे बढ़ना कठिन है। इन बच्चियों की कोच संतोष थापा कहना है कि विधिका कौशिक ने किक लाइक में तमिलनाडु की टीम को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। रिद्धिमा कौशिक ने किक बाक्सिंग में गुजरात को हराकर गोल्ड मेडल जीता है। थापा ने बताया कि इससे पहले दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय किक बाक्सिंग प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल जीत कर नाम रोशन कर चुकी हैं।
दोनों बहनों का लगन व मेहनत से स्वर्ण प्राप्त करना जहाँ परिवार के लिए गर्व का विषय बना है वंही फरीदाबाद लौटने पर शहरवासियों ने ढोल-नगाड़ों के साथ विधिका और रिद्धिमा का जोरदार स्वागत करके इन बेटियों की उपलब्धि के महत्व को दोगुना करने का काम किया है। अक्सर कहा जाता है कि बेटियां माँ की अपेक्षा पिता की अधिक लाडली होती है और यह देखा भी गया है कदाचित पिता के भाव को समझने में बेटी अधिक सक्षम होती है। अपनी दोनों बेटियों पर गर्व की अनुभूति करते हुए विधिका और रिद्धिमा के पिता सुरेंद्र कुमार कौशिक का कहना है कि बेटियों की इस उपलब्धियों पर उन्हें गर्व है। दोनों बेटियों ने पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। कौशिक का कहना है कि एक समय था जब लड़के और लड़की में अंतर माना जाता था, सामाजिक कुरीतियों व संकीर्ण मानसिकता के कारण उतपन्न होने वाली इस प्रकार की सोच समाज और परिवार के लिए किसी अभिशाप से कम नही होती। उन्होंने कहा कि खेलों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। प्रखर समाजसेवी डीआर शर्मा ने बताया कि अभिभावकों को बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा के साथ साथ खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। शर्मा का कहना है कि प्रदेश की बेटियां पढ़ाई के साथ खेलों में भी नाम रोशन कर समाज के लिए नई प्रेरणा बन रही हैं। निश्चित रूप से भारत की खेल नीति बेहतर होने के कारण आज खिलाड़ियों को अनेकों अवसर मिल रहे हैं वहीं यदि प्रदेश स्तर की बात की जाए तो मौजूदा सरकार के द्वारा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित किया जाना भी खेलों को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इस बारे में जब इन बच्चियों के पिता सुरेंद्र कौशिक से बात हुई तो उन्होंने बताया कि बच्चों की पहचान पिता के नाम से होना सामान्य बात होती है परंतु बच्चों के नाम से माता पिता की अलग पहचान बनना गर्व की बात है।