नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को फांसी, देशद्रोह कानून का खात्मा, IPC, CrPC में बदलाव के लिए बिल पेश

केंद्र सरकार अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 2023 लाएगी। इसकी जानकारी लोकसभा में देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है(1) इंडियन पीनल कोड, एक है (2)क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है (3)इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ प्रस्थापित होगा।’

कश्मीर में 1 साल में पहुँचे 1.70 करोड़ पर्यटक': अमित शाह ने विपक्ष को धोया
  • मोदी सरकार ने राजद्रोह कानून को खत्म करने का किया प्रावधान
  • मॉब लिंचिंग पर भी अमित शाह ने कर दिया है बड़े बदलाव का ऐलान
  • झूठी पहचान बताकर शादी करने वालों पर होगी बड़ी कार्रवाई

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़/ नयी दिल्ली – 11 अगस्त :

लोकसभा में चल रहे मानसून सत्र के आखिरी दिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कानून संबंधित तीन विधेयक पेश किये हैं। जिसमें भारतीय न्याय संहिता 2023 बिल, भारती नागरिक सुरक्षा सहिंता, 2023 बिल और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल शामिल हैं। अमित शाह ने कहा, ‘इन तीनों बिलों को स्टैंडिंग कमेटी में भेजी जाएगी। इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘आजादी के अमृतकाल की शुरुआत हो चुकी है. पुराने कानून में केवल सजा थी। अंग्रेजों के तीनों कानून बदलेंगे. पुराने कानून में बदलाव के लिए बिल पेश किया गया है।’ अमित शाह ने कहा, ‘इस नए बिल के साथ आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट खत्म हो जाएंगे। नए कानून का मकसद इंसाफ देना होगा. महिलाओं और बच्चों को न्याय मिलेगा।’

केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा की सरकार अंग्रेजों के बनाए कानून में लगातार संशोधन कर रही है। इसके तहत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (11 अगस्त 2023) को संसद में तीन विधेयक पेश किए। सरकार ने राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया है। अमित शाह ने कहा कि सरकार का उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करना है, ना कि सजा देना।

गृहमंत्री ने संसद में भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड को अब भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। उन्होंने मॉब लिंचिंग से लेकर भगोड़े अपराधियों को लेकर कानून में कई सारे बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। 

अमित शाह ने कहा कि इन विधेयकों से आपराधिक दंड संहिता में आमूलचूल परिवर्तन होगा। भारत के अधिकांश कानून अंग्रेजों के बनाए हुए हैं। इसको देखते हुए इनमें बदलाव महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब इन तीनों विधेयकों को आगे की जाँच के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा।

इन कानूनों मे बदलाव के लिए चार साल तक गहन विचार-विमर्श हुआ और इसके लिए 158 बैठकें की गईं। नए विधेयक भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता द्वारा CrPC यानी दंड प्रक्रिया संहिता को बदला जाएगा। उसमें अब 533 धाराएँ होंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 धाराएँ नई जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है।

इसी तरह भारतीय न्याय संहिता IPC यानी भारतीय दंड संहिता को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले 511 धाराएँ थीं, जो घटकर 356 धाराएँ रह जाएँगी। इसके 175 धाराओं में बदलाव किया या है। 8 धाराओं में बदलाव हुआ है और 22 धाराएँ निरस्त की गई हैं।

वहीं, भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएँ होंगी। इसमें पहले 167 धाराएँ थीं। इनमें से 23 धाराओं में बदलाव किया है और एक धारा नई जोड़ी गई है। वहीं, इसके पाँच धाराओं को निरस्त कर दिया गया है। 

अमित शाह ने कहा कि राजद्रोह कानून को अंग्रेजों ने अपने शासन को बचाने के लिए बनाया गया था। इस सरकार ने राजद्रोह को पूरी तरह से खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला किया है। लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार है।

इस कानून में अलगाववादी सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियाँ, भारत की संप्रभुता एवं एकता को चुनौती जैसी बातों की इस कानून में व्याख्या की गई है। इस कानून में कोर्ट में सुनवाई के बाद उसके आदेश पर आरोपित की पूरी संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार भी दिया गया है।

बताते चलें कि 1837 में ब्रिटिश इतिहासकार और राजनीतिज्ञ थॉमल मैकाले द्वारा तैयार किया किए गए राजद्रोह के कानून का सबसे पहला उपयोग अंग्रेजों ने 1897 में बाल गंगाधर तिलक पर किया था। इसके अलावा 19 मार्च 1922 को महात्मा गाँधी के खिलाफ भी इस कानून का प्रयोग किया गया था।

गृहमंत्री ने कहा कि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध एवं सामाजिक समस्याओं को देखते हुए भी कानून बनाया गया है। शादी, रोजगार, पदोन्नति के झूठे वादे और गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने के मामले पर भी ध्यान दिया गया है।

इस विधेयक में सामूहिक दुष्कर्म के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही 18 साल से कम आयु की लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है।

नए कानून में महिला की निजी तस्वीर को सार्वजनिक करने पर भी सजा का प्रावधान है। पहली बार दोषी पाए जाने पर कम से कम एक साल और अधिकतम तीन साल का कारावास होगा। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर कम-से-कम तीन साल और अधिकतम 7 साल की सजा होगी। दोनों ही स्थिति में जुर्माना भी वसूला जा सकता है।

अमित शाह ने कहा कि स्नैंचिंग के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था। यह चोरी नहीं थी, इसलिए बहुत सारे लोग बच जाते थे। नए कानून में स्नैचिंग के लिए भी प्रावधान किया गया है। 324 में गंभीर चोट के कारण निष्क्रियता की स्थिति हो जाती थी तो महज 7 साल की सजा थी।

उन्होंने कहा कि अगर किसी को थोड़ा सी चोट लगे और वह एक सप्ताह में अस्पताल से बाहर आ जाए तो उसकी सजा को थोड़ा अलग किया गया है। अगर इस दौरान किसी को हमेशा के लिए अपंगता आती है तो इसकी सजा 10 साल या आजीवन कारावास की गई है।

नए विधेयक में भगोड़े अपराधियों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है। अमित शाह ने कहा कि दाऊद इब्राहिम कई सारे केसों मे वांछित है, वो भाग गया। इसलिए फिलहाल उसका ट्रायल नहीं होता है। नए कानून के तहत सेशन कोर्ट जज पूरी प्रक्रिया के बाद जिसे भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी अनुपस्थिति में भी ट्रायल होगा और उसे सजा भी दी जाएगी।

अमित शाह ने कहा कि जो अपराधी देश छोड़कर भाग जाते हैं, उसके विरूद्ध 10 साल की सजा का प्रावधान लाया है। इसके अलावा, सरकार ने मॉब लिंचिंग पर कठोर सजा का प्रावधान किया है। इस कानून में मॉब लिंचिंग के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

सजा माफी को राजनीतिक इस्तेमाल करने का मुद्दा भी अमित शाह ने उठाया। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत अगर किसी कैदी की सजा माफ करनी है तो मृत्यु की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकेगा।

इसके अलावा, आजीवन कारावास की सजा को 7 साल तक ही माफ किया जा सकता है। वहीं, 7 साल के कारावास को 3 साल ही माफ किया जा सकता है। अमित शाह ने कहा कि राजनीतिक रसूख वाले व्यक्तियों को भी सजा भुगतनी ही पड़ेगी।