Friday, December 27

कांग्रेस के तीन नेताओं ने याशी कंपनी के बहाने सरकार को घेरा

असल मालिकों की बजाए दूसरों के नाम चढ़ाई संपत्ति

चार माह का काम चार साल बाद भी अधूरा

प्रदेश का 85 फीसदी प्रापर्टी सर्वे गलत

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह) : हरियाणा में परिवार पहचान पत्र के बाद प्रापर्टी आईडी भी अब सरकार के गले की फांस बन गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा तथा पूर्व सीएलपी नेता किरण चौधरी ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश के 88 शहरों में एक करोड़ से अधिक हरियाणवी अपनी प्रॉपर्टी आईडी सही कराने के लिए महीनों से दलालों के हाथ लूट का शिकार हो रहे हैं। खुद शहरी स्थानीय निकाय विभाग भी बेतहाशा रिश्वतखोरी व लूट-खसूट की बात को अपने औपचारिक पत्राचार में स्वीकार चुका है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि गलत प्रापर्टी आईडी के कारण दलालों व कर्मचारियों ने प्रदेश में ‘वैध कॉलोनियों’ को ‘अवैध’ की श्रेणी में डाल दिया है और ‘अवैध कॉलोनियों को ‘वैध कॉलोनी’ में डाल दिया। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने राज्य के बाहर की कंपनियों को सरकार ने टेंडर दिया। प्रदेश सरकार के पत्रों को सार्वजनिक करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे के लिए 13 अगस्त, 2019 को निदेशक स्थानीय निकाय विभाग व याशी कंसल्टिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर में लिखित एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट के मुताबिक यह काम 4 महीने में पूरा करना था। ठेकेदार पर विशेष मेहरबान सरकार ने दसियों एक्सटेंशन दे डाले, और तीन साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अधिकतर काम गलत व बोगस निकला।

कांग्रेसी नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश के 88 शहरों में 42.70 लाख प्रॉपर्टी का सर्वे किया गया, जिसमें 85 प्रतिशत सर्वे गलत निकला। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 7 जुलाई 2023 को यह स्वीकारा कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 8 लाख गलतियां पकड़ी गईं।

खुद स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने 17 दिसंबर, 2022 को यह स्वीकारा कि प्रॉपर्टी आईडी में 15.50 लाख गलतियां मिलीं। अब मुख्यमंत्री और उनके मंत्री में ही प्रॉपर्टी आईडी की गलतियों को लेकर विरोधाभास है। कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा ने कहा कि एग्रीमेंट में लिखा है कि अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 10 प्रतिशत तक गलतियां पाई गईं, तो ठेकेदार कंपनी को दोगुना जुर्माना लगेगा। अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की गलतियां 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत होंगी, तो जुर्माना चार गुना होगा, अगर गलतियां 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत होंगी, तो जुर्माना 8 गुना होगा, और अगर गलतियां 20 प्रतिशत से अधिक होंगी, तो टेंडर कैंसिल कर दिया जाएगा।

याशी कंपनी द्वारा 85 प्रतिशत गलतियां होने के बावजूद न तो खट्टर सरकार ने टेंडर कैंसिल किया, न जुर्माना लगाया, और न ही कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया। पूरा हरियाणा गवाह है कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 85 प्रतिशत से अधिक गलतियां हैं। किरण चौधरी ने बताया कि टेंडर एग्रीमेंट की क्लॉज 40.2.1 के मुताबिक पूरे प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की लगातार निगरानी के लिए ‘प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमेटी’ का गठन हुआ था। जिसने काम नहीं किया।