डेमोक्रेटिक फ्रंट, अमृतसर – 25 जुलाई : एनीमिया यानी खून की कमी वो बीमारी है जिसमें व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) में ऑक्सीजन वहन की क्षमता पर्याप्त नहीं रहती है. पूरी दुनिया में ये कंडीशन हेल्थ के लिहाज से एक बड़ा चिंता का विषय है. इसी को ध्यान में रखते हुए एनीमिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने, डायग्नोसिस और इलाज के बारे में लोगों की बताने की जरूरत है. इस मिशन का मकसद देश को एनीमिया मुक्त बनाना है. एनीमिया के कारण व्यक्ति के जीवन बहुत प्रभाव पड़ता है. पीड़ित को थकावट, सांस में दिक्कत और रोजमर्रा के जीवन में कुछ अन्य परेशानियां भी होती रहती हैं. एनीमिया के कारणों को समझकर उपलब्ध इलाज के बारे में सही जानकारी रखना बेहद आवश्यक है. फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम में हेमोटोलॉजी, हेमाटो ऑन्कोलॉजी एंड बीएमटी के प्रिंसिपल डायरेक्टर व चीफ डॉक्टर राहुल भार्गव ने बताया, ‘’एनीमिया के खिलाफ प्रभावशाली लड़ाई के लिए जरूरी कि लोग इसके संकेतों व लक्षणों को समझकर सही इलाज लें. समय पर रोग का पता लगाकर इलाज कराने से इससे भविष्य में होने वाली गंभीर दिक्कतों से बचाव किया जा सकता है. डाइट को मेंटेन करना बेहद जरूरी है. बॉडी को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलें क्योंकि स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी बहुत ही जरूरी है.’’ एनीमिया होने के कारणएनीमिया होने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे- पोषक तत्वों की कमी, खून का बहना, क्रॉनिक डिजीज और कुछ दवाईयां. अगर पर्याप्त मात्रा में आयरन, विटामिन बी12 और फोलेट न लिए जाएं तो इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. पीरियड्स, अल्सर, सर्जरी या किसी इंजरी के कारण ब्लड लॉस हो सकता है. कैंसर, किडनी या क्रोंस डिजीज के कारण भी एनीमिया हो सकता है. कुछ एंटीबायोटिक के कारण भी एनीमिया होने का खतरा रहता है. डॉक्टर राहुल भार्गव ने आगे कहा, ‘’एनीमिया का इलाज उसके कारण पर ही निर्भर करता है. पोषक तत्वों की कमी के मामले में खाने-पीने में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है. आयरन सप्लीमेंट्स भी दिए जाते हैं. क्रॉनिक डिजीज के मामले में एनीमिया का इलाज काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. ब्लड लॉस वाले मामले में खून बहने का कारण पता लगाकर इलाज किया जाता है.’’ एनीमिया आमतौर पर आयरन की कमी के कारण होता है. आयरन हीमोग्लोबिन का एक आवश्यक घटक होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन के परिवहन के लिए जिम्मेदार प्रोटीन होता है. महिलाओं में, हीमोग्लोबिन का स्तर 12 g/dL से अधिक होना चाहिए, जबकि पुरुषों में, स्तर 13 g/dL से अधिक होना चाहिए. एनीमिया के शुरुआती लक्षणों की पहचान करना काफी जरूरी है. इन लक्षणों में थकान, पीली त्वचा, चक्कर आना, शरीर के अंग ठंडे हो जाना, सांस की तकलीफ, और दिल की तेज धड़कन शामिल है. भारत में एनीमिया के इलाज के लिए अलग से डॉक्टर उपलब्ध हैं जो वर्ल्ड क्लास उपकरणों के साथ मरीजों के जीवन में सुधार
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