- बरसात के कारण पशुओं के चारे की उपलब्धता में आ रही है परेशानी
सुशील पण्डित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 11जुलाई :
हर वर्ष मानसून आने वाले मानसून का लोगो को बेसबरी से इंतजार रहता है परंतु यदि सीजन में अपेक्षा से अधिक बारिश होने लगे तो वास्तव में स्थिति जनजीवन के प्रतिकूल हो जाती है। बरसात के बाद अब उत्तर भारत में जलभराव में बाद दूध का संकट पैदा हो रहा
पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश होने से नदियों रिहायशी इलाकों और खेतों में लगातार जलभराव हो रहा है इसका सीधा असर आम जनता पर दिख रहा है भारी बारिश से खेतों में जलभराव हो रहा है है ऐसे में पशुओं के लिए चारे की एक भयंकर समस्या सामने आ रही है डेरी संचालकों के अनुसार उनके पास रोजाना आने वाले दूध की मात्रा में लगातार गिरावट आ रही है जिससे उनके रोजाना के ग्राहक भी प्रभावित हो रहे हैं। दुग्ध उत्पादकों का कहना है कि खेतों से हरा चारा उपलब्ध न होने के कारण ऐसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हरा चारा न होने के कारण पशुओं के स्वास्थ्य और दूध के उत्पादन में भी भारी कमी देखी जा रही है।
उत्तर भारत में जहां नदियों में जलस्तर उफान पर आने से जनसामान्य का जीवन प्रभावित हुआ है वही पशु पक्षियों पर भारी बरसात का खासा कुप्रभाव पड़ा है। पशुओं के लिए चारा एक विकट समस्या बनता जा रहा है ऐसे में लोगों को जलभराव के संकट के साथ-साथ कुछ समय के लिए दूध की किल्लत भी झेलनी पड़ सकती हैं। बारिश के पानी से जलभराव के कारण पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है खेतों में पानी भरने से चारा पूरी तरह से डूब गया है। ऐसे में दुग्ध उत्पादन में कमी होना स्वभाविक है। यदि बारिश लगातार चली तो लोगो के लिए जलभराव की स्थिति के चलते दूध की कमी का संकट और भी झेलना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि मानसून के दस्तक देते ही सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी हुई है वहीं भारी बारिश के चलते सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो भविष्य में सब्जियों के दामों में उछाल आ सकता है। बहरहाल वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इस बार के मानसून की बरसात से अन्य वर्षों की अपेक्षा आम जनता के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।