सरिका तिवरि, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 05 जुलाई :
हरियाणा कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी कोई नई बात नहीं । भले ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हों या कुमारी शैलजा , रणदीप सिंह सुरजेवाला या फिर किरण चौधरी ; सभी अपने अपने समर्थकों के साथ हरियाणा की राजनीति में स्वयं को आगामी मुख्यमत्री के रूप में दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं । जबकि समय की मांग है कि कांग्रेस एकजुटता का परिचय दे।
कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद सुरजेवाला का कद बढ़ा है । रोड शो में समर्थक रणदीप सुरजेवाला को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जोर दे रहे थे।
आगामी 30 जुलाई को शैलजा अपने गढ़ सिरसा में शक्ति प्रदर्शन करेंगी।
समय समय पर शैलजा हुड्डा को आड़े हाथों लेती रहती हैं आज फतेहाबाद के बड़पोल गांव में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति रैली में योजनाओं की घोषणा कैसे कर सकता है जबकि मेनिफेस्टो जारी करना पार्टी का काम है।
हरियाणा के नए प्रभारी दीपक बाबरिया ने पिछले दिनों बैठक में सब को एकजुट हो जाने के आदेश दिए ।
उस समय भी कुमारी शैलजा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की शिकायत करते हुए कहा कि प्रदेश भर में वह अन्य नेताओं के इलाके में जाकर बैठकें और समारोह कर रहे हैं।
इसी से पता लगता है कि भले ही नेता एक मंच पर आए परंतु फिर भी कांग्रेस की अंतर कलह पटल पर दिखाई दे रही है।
इतना ही नहीं उस बैठक में हुड्डा और शैलजा के समर्थकों ने अपने अपने नेता के पक्ष में नारे भी लगाए। लेकिन कूटनीति का सहारा लेते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुमारी शैलजा के पक्ष में नारे लगाए जिसमें सभी कार्यकर्ताओं ने हुड्डा का साथ दिया ।
अनुभवी हुड्डा समय की नजाकत को पहचानते हैं क्योंकि राजनीति में दोस्ती हों या दुश्मनी कुछ भी स्थाई नहीं होता। वैसे भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी शैलजा को हमेशा से ही अपनी बहन कहते हैं । यह बात अलग है ही समय से पहले ही शैलजा को अध्यक्ष पद से हटा कर उनकी जगह हुड्डा खेमे के उदय भान को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।
हाल ही में कुमारी शैलजा ,रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी ने एक मंच पर से सत्ताधारी भाजपा और जजपा की नीतियों की कड़ी भर्त्सना की । भले ही ये नेता आंतरिक तौर पर इकट्ठे नहीं है लेकिन फिर भी एक मंच पर आकर इन्होंने कांग्रेस की एकजुटता का परिचय देने की नाकाम कोशिश की , क्योंकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनकी ओर से कोई भी प्रतिनिधि प्रेस वार्ता में मौजूद नहीं था।
कुल मिला कर अगर कांग्रेस एकजुट होती है तभी सत्तारूढ़ गठबंधन को चुनौती देने का साहस कर पाएगी।