Sunday, December 22

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में पिछले महीने शरद पवार की ओर से पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद जो भूचाल आया था, वह उनके इस्तीफा वापस लेने के बाद ही थमा था। हालांकि, इससे पार्टी में अंदरूनी हितों से जुड़े मुद्दे खुलकर सतह पर आ गए थे। इस बीच राकांपा में संगठन में बड़े बदलाव किए गए हैं। शरद पवार की ओर से एनसीपी में अब दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं। इनमें शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का नाम भी शामिल है। वहीं, दूसरा नाम प्रफुल्ल पटेल का है। 

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, मुंबई/चंडीगढ़ – 10 जून :  

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया। पवार ने एनसीपी की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में अपने भतीजे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार की मौजूदगी में यह घोषणा ।

शरद पवार ने इसके साथ पार्टी संगठन में कई अहम बदलावों की भी घोषणा की है, हालांकि इसमें अजित पवार को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। ऐसे में अजित पवार की तरफ से इसे लेकर प्रतिक्रिया का सभी को इंतजार है। इस बीच अजीत पवार ने ट्विटर पर दोनों कार्यकारी अध्यक्षों तथा अन्य पदाधिकारियों को बधाई दी है।

शरद पवार ने शनिवार को कहा, “प्रफुल्ल पटेल के कंधे पर राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी दे रहे हैं। इसके साथ ही पटेल पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, गोवा, राज्यसभा की जिम्मेदारी रहेगा।”

महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार ने आगे कहा, “सुप्रिया सुले को भी हम वर्किंग प्रेसीडेंट की जिम्मेदारी देते हैं। इसके साथ ही उन्हें महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, यूपी और लोकसभा की जिम्मेदारी उनको देते हैं।”

शरद पवार ने यह एलान एनसीपी की स्थापना की 25वीं वर्षगाँठ के मौके पर की। इस दौरान मंच पर उनके भतीजे और खुद को उनका उत्तराधिकारी मानने वाले अजित पवार भी मौजूद थे। पार्टी में कोई अहम पद नहीं देना अजित पवार के साथ-साथ कई सियासी संकेत है।

इस संकेत के बीच पार्टी नेता छगन भुजबल ने कहा कि कार्यकारी अध्यक्ष के एलान के साथ ही चुनाव का काम और लोकसभा-राज्यसभा का काम बँट जाएगा। 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही ये जिम्मेदारी तय की गई है।

शरद पवार ने पार्टी में दो कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करके पार्टी की सियासत को समझाने की कोशिश की है। एक तो वो ये संदेश देने में कामयाब रहे कि वे अपनी बेटी का पक्ष नहीं ले रहे हैं और काम के आधार पर जिम्मेदारी दे रहे हैं, दूसरे अपनी तबीयत को कारण सक्रियता कम होने के कारण प्रफुल्ल पटेल जैसे दिग्गज नेता के सानिध्य में सुले को नेतृत्व कला सीखने का मौका दे रहे हैं।

हालाँकि, सुप्रिया सुले की NCP में अजित पवार से स्वीकृति कहीं अधिक है। वह मीडिया में कब, कहाँ, कैसे और कितना बोलना है अच्छी तरह जानती हैं। अपने पिता की तरह वह पार्टी के सभी नेताओं को बराबर सम्मान भी देती हैं। वहीं, अजित पवार थोड़ा मुँहफट स्वभाव के हैं और मौके की नजाकत को समझने की कोशिश नहीं करते। इससे अलग संकेत जाता है।

अजित ने ही किया था शरद पवार के इस्तीफे का समर्थन

दूसरी बात यह है कि अजित पवार को महाराष्ट्र की राजनीति में अधिक रूचि है। वे इसके बारे में कई बार बोल चुके हैं कि उन्हें दिल्ली रास नहीं आती। वहीं, सुप्रिया सुले एक सांसद के रूप में अपनी अच्छी पहचान बनाई है। हो सकता है कि आने वाले वक्त में महाराष्ट्र में सीएम या अथवा डिप्टी सीएम जैसे पद पार्टी उन्हें ऑफर करे। हालाँकि, राजनीति में कुछ कहना जल्दबाजी होती है।

जब सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है तो यह एक स्पष्ट संकेत भी है कि पार्टी की कमान उन्हीं की पास रहेगी और वे केंद्र की राजनीति करेंगी। बाल ठाकरे ने भी राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई में उद्धव ठाकरे का पक्ष लेते हुए उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था। अजित पवार फिलहाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं।

अजित पवार और सुप्रिया सुले में पार्टी में उत्तराधिकार को लेकर लंबे समय खींचतान चल रही थी। कई मौकेे पर अजित पवार ने खुद को शरद पवार का असली उत्तराधिकारी होने का संकेत दिया था। वहीं, सुप्रिया सुले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच अपनी स्वीकृति को लगातार बढ़ा रही थीं।

पार्टी में मचे इस अंदरुनी घमासान के बीच 2 मई 2023 को शरद पवार ने स्वास्थ्य का हवाला देकर पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। छगन भुजबल, जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड, प्रफुल्ल पटेल जैसे बड़े नेता कार्यकर्ताओं का हवाला देते हुए उनसे इस्तीफा वापस लेने की माँग करते रहे।

इस बीच भतीजे अजित पवार ने उनके इस्तीफे का समर्थन किया। वे इसे अवसर के रूप में देख रहे थे। इस बीच वरिष्ठ नेताओं की माँग के बाद 6 मई 2023 को शरद पवार ने इस्तीफा वापस ले लिया। उस दौरान अजित पवार उनके साथ मौजूद नहीं थे। लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सहायता के लिए पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष की जरूरत है।

कहा जाता है कि NCP में दो गुट है, जिसमें से एक चाहता है कि भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई जाए, जबकि दूसरा गुट इसके लिए राजी नहीं है। इस बीच मीडिया में यह भी चर्चा होने लगी की अजित पवार NCP छोड़कर कुछ नेताओं के साथ भाजपा का दामन थामेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने इस अकटल का खंडन कर दिया।

यहाँ ध्यान रखना जरूरी है कि साल 2019 में अजित पवार एक बार अपनी पार्टी से बगावत कर चुके हैं। तब उन्होंने पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सरकार बनाई थी। अजित पवार को तब डिप्टी सीएम पद मिला था। हालाँकि, यह सरकार कुछ ही दिन चल पाई।

इस घोषणा के सुप्रिया सुले ने कहा, “कार्यकारी अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी को सौंपने के लिए मैं NCP अध्यक्ष पवार साहब, सभी वरिष्ठ नेता, पार्टी के साथी, कार्यकर्ता और शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करती हूँ। मैं NCP को और मजबूत करने के लिए साथ मिलकर लगन से काम करूँगी।”