Tuesday, December 24

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा को अपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 22 मई 2023 :

नोटः 

नोटः रम्भा तृतीया व्रत, महाराणा प्रताप जयंती, तथा भगवती उमा-अवतार है।

नोटः रम्भा तृतीया व्रत, महाराणा प्रताप जयंती, तथा भगवती उमा-अवतार है।

Rambha Tritiya 2019 : क्यों मनाई जाती है रम्भा तृतीया, जानें तिथि, महत्व और  पूजा विधि | Hari Bhoomi
रम्भा तृतीया व्रत

रम्भा तृतीया व्रत : रंभा को श्री लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है और शक्ति का भी रूप , इस दिन रंभा की पूजा करने से भक्त को इन दोनों की प्राप्ति होती है। रंभा तृतीया की कथा इस प्रकार है, एक सुखी ब्राह्मण दंपत्ति थे। वे नियमित रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा करते थे।

भगवती उमा का निर्णय || Shiv Mahapuran || Shiv Katha - YouTube
भगवती उमा-अवतार

भगवती उमा-अवतार है। पार्वती, उमा या गौरी मातृत्व, शक्ति, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव, विवाह, संतान की देवी हैं। देवी पार्वती कई अन्य नामों से जानी जाती है, वह सर्वोच्च हिंदू देवी परमेश्वरी आदि पराशक्ति (शिवशक्ति) की साकार रूप है और शाक्त सम्प्रदाय या हिन्दू धर्म मे एक उच्चकोटि या प्रमुख देवी है और उनके कई गुण,रूप और पहलू हैं।

Amit Shah on Twitter: "शौर्यशिरोमणि महाराणा प्रताप जी के लिए मातृभूमि की  स्वतंत्रता और स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं था। अनेकों कष्ट सहते हुए धर्म व  ...

महाराणा प्रताप जयंती : प्रात: स्मरणीय, महान स्वाभिमानी, क्षत्रिय कुल भूषण, हिंदुआ सूरज, सत्य सनातन धर्म की आन-बान-शान, माँ भारती के वीर सपूत, वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की जयंती की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

विक्रमी संवत्ः 2080, शक संवत्ः 1945, मासः ज्येष्ठ, पक्षः शुक्ल पक्ष, तिथिः तृतीया रात्रिः काल 11.20 तक है, वारः सोमवार।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः मृगशिरा प्रातः काल 10.37 तक है, 

योगः वैधृति़ रात्रि काल 04.33 तक, 

करणः तैतिल, 

सूर्य राशिः वृष, चंद्र राशिः मिथुन,   

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,

सूर्योदयः 05.31, सूर्यास्तः 07.05 बजे।