भाजपा सूरतगढ सीट की हलचल : चर्चित चेहरे

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़ 18मई  :

विधानसभा चुनाव 2023 को 6 महीने बचे हैं। चुनाव का महीना  ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है प्रदेश की हलचल में सूरतगढ़ की राजनीति में भी  बड़े परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। हर महीने नाम आगे पीछे हो रहे हैं। यहां वे नाम आ रहे हैं जो कोठियों घरों से बाहर अधिक नजर आ रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने सन् 2013 ( राजेंद्र सिंह भादू) और सन् 2018 ( रामप्रताप कासनिया) की लगातार जीत के बाद तीसरी बार फिर जीत की आशा को लेकर बन रहे वातावरण में नए चेहरे पर सीट निकालने की आशा है। ऐसा नया चेहरा जो जनता में पोपुलर हो और कांग्रेस को टक्कर दे सके।

जनता के बीच लगातार नए चेहरे की मांग बढ़ रही है, वहीं पुराने चेहरों में राजेंद्र सिंह भादू, रामप्रताप कासनिया और अशोक नागपाल हैं। 

पुराने तीन चेहरों में राजेंद्र सिंह भादू, रामप्रताप कासनिया जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं कि  2023 में किसी तरह टिकट मिल जाए। कासनिया 2023 में टिकट छोड़ना नहीं चाहते। तीनों में से एक को भी जनता नहीं चाहती। कासनिया और भादू का विरोध है तथा नागपाल का कहीं नाम नहीं आता।

* नए चेहरे नये नामों में नरेंद्र घिंटाला, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष काजल छाबड़ा को सर्वाधिक देखा जा रहा है। 

सुभाष गुप्ता,विजेंद्र पूनिया, राजियासर देहात मंडल अध्यक्ष पेपसिंह राठौड़,पूर्व पार्षद सुरेंद्र सिंह राठौड़,पंचायत समिति के डायरेक्टर राहुल लेघा आदि के नाम नये चेहरों में है। इनमें सार्वजनिक रूप में राहुल लेघा, मोहन पूनिया, पेपसिंह राठौड़  ही दिखाई देते हैं। 

👍नये चेहरों में कौन इतना पावरफुल लोकप्रिय है जो कांग्रेस को टक्कर देते हुए सीट निकाल सके? आज की स्थिति में तो इनकी जितनी प्रसिद्धि है उससे सीट निकाल सकने का दावा किया जाना कठिन है। 

* इन नामों में कुछ और नाम भी शामिल हो सकते हैं।अभी कौन कितने सक्रिय है या नहीं है यह सामने है। कुछ समाचार पत्र और ग्रुप घरों में बैठे लोगों के नाम फोटो भी दे रहे हैं जिनका कोई  आधार सार्वजनिक रूप में दिखाई नहीं दे रहा।

* राजनीति में कब क्या घटित हो जाए का पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं होता लेकिन फिर भी वातावरण से नये की भनक मिलती रहती है।

👍 भाजपा और कांग्रेस में अचानक नया चेहरा आ सकता है शामिल भी किया जा सकता है। इन पार्टियों में टिकट के लिए नया चेहरा इलाके में राजनीतिक सामाजिक कार्य की प्रसिद्धि से भी आ सकता है। राजनीतिक हलचल में ऐसी भनक है।

राजनीतिक समाचारों हलचल के अपडेट चलते रहेंगे।