सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, यमुनानगर – 21 अप्रैल :
रेहड़ी पर एवरेस्ट पुस्तक जोश जूनून संघर्ष और सहयोग की कहानी है और इन्हीं सब सिद्धान्तों पर आधारित है मेरे जीवन की कहानी। यह कहना है दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर फतेह करने वाले राम लाल शर्मा का जो 2013 माउंट एवेरेस्ट विजेता बने और देश का नाम रोशन किया।
इस संघर्ष के पीछे की कहानी किताब में बदल गयी और 12 मई को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा रामलाल शर्मा की किताब रेहड़ी पर एवरेस्ट का लोकार्पण किया गया। खालसा कालेज के एथलीट मीट के दौरान राम लाल शर्मा द्वारा स्वंम के जीवन की कहानी को अपनी जुबानी सुनाया गया। पिता सतपाल शर्मा फल की रेहड़ी लगते हुए बेटे के कामयाब होने का सपना देखा करते और राम लाल उस सपने को पूरा करने के लिए जीजान से मेहनत करता रहा। टी वी पर जोश जूनून से भरी मैन वर्सेज वाइल्ड सीरीज देखी और एवरेस्ट फ़तेह करने की ठान ली। वर्ष 2011 में कुल्लू मनाली से बेसिक कोर्स व वर्ष 2012 में एडवांस कोर्स कर एवरेस्ट फतेह करने का सपना देखा। इसे जुनून बनाते हुए कड़ी मेहनत के बल पर 21 मई 2013 की सुबह 5.17 बजे चोटी पर तिरंगा फहरा दिया।
राम लाल ने बताया की फतेह करते हुए उनकी कामयाबी में सहयोग करने वाले सहयोगियों को याद किया और किताब में भी उनके सहयोग का जिक्र किया है। पर्वतारोही रामलाल हरियाणा के कैथल में पुलिस उप निरीक्षक पद पर तैनात हैं। डॉ. सुरेंद्र जैन पर्वतारोही रामलाल के जीवन पर कहानी लिखी और किताब का शीर्षक है रेहड़ी पर एवरेस्ट जिसमे संघर्ष और समाज में मिले सहयोग की सारी कहानी है। राम लाल शर्मा ने खालसा कालेज यमुनानगर से स्पोर्ट्स विषय पर शिक्षा पूरी की थी।
कालेज के प्रिंसिपल डॉ हरिंदर सिंह कंग के बताया की वार्षिक स्पोर्ट्स मीट के अवसर पर रामलाल शर्मा को बतौर मुख्यातिथि आमंत्रित किया गया। खिलड़ियों के मनोबल और उत्साह के लिए कालेज के ही पढ़े हुए कामयाब विद्यार्थियों को आमंत्रित किया जाता है। राम लाल शर्मा ने खिलाडियों से कहा की मेहनत लगन और गुरुओं का आशीर्वाद ही एक मूल मंत्र है कामयाब होने का उनकी किताब में निराशा के अँधेरे में जा रहे लोगों के लिए प्रेरणा देने का प्रयास किया गया है।
इस अवसर पर रामलाल शर्मा ने कालेज को अपने जीवन पर लिखी किताब रेहड़ी पर एवरेस्ट की प्रतियां भेंट की।