राहुल गाँधी ने सूरत की सेशन कोर्ट में मानहानि मामले में 2 साल की सजा पर रोक की गुहार लगाते हुए याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। यह फैसला जज रॉबिन मोगेरा ने सुनाया है। वह कभी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मुकदमा लड़ चुके हैं। उन्होंने 2006 के तुलसीराम प्रजापति फेक एनकाउंटर केस को लड़ा था। उस वक्त अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री हुआ करते थे।
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट,गुजरात ब्यूरो – 20 अप्रैल :
कांग्रेस ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात की एक सत्र अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद गुरुवार को कहा कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग जारी रखेगी। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि राहुल गांधी पर कोर्ट का आज का फैसला गलत कानूनी आधार पर सुनाया गया है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत के फैसले में सजा को निलंबित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, सभी कानून के आधारभूत आधार पर ये गलत है। सिंघवी ने कहा कि जितने भी कानूनी विकल्प है हम उनका उपयोग करेंगे। इसमें प्राथमिक है हाईकोर्ट में जाना। हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी तारीख अभी तय नहीं है।
काॅन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को सूरत की सेशन कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। 20 अप्रैल 2020 को सेशन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। याचिका में उन्होंने मानहानि मामले में 2 साल की सजा पर रोक की गुहार लगाई थी। राहुल गाँधी ने 2019 में कर्नाटक की एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है’। इसके बाद बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था। सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इसी साल 23 मार्च को काॅन्ग्रेस नेता को इस मामले में 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई थी।
जज मोगेरा ने इस मामले पर 13 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब राहुल हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
यह केस 2019 में बेंगलुरु में चुनावी रैली के दौरान दिए गए राहुल के बयान से जुड़ा है। राहुल ने रैली में कहा था कि हर चोर का सरनेम मोदी क्यों होता है। इस बयान पर गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दाखिल किया था। इस पर कोर्ट ने 23 मार्च 2023 को फैसला सुनाया था। इसके आधार पर अगले दिन राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
अगर जज मोगेरा राहुल की याचिका मंजूर कर लेते तो उनकी संसद सदस्यता की बहाली का रास्ता खुल जाता।
कांग्रेस का बयान:
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- यदि कोई समझता है कि राहुल गांधी की आवाज रुकेगी या झुकेगी, तो वो न राहुल गांधी को जानते हैं, न कांग्रेस को समझते हैं। राहुल गांधी अपनी आवाज पुरजोर तरीके से सबके सामने रखेंगे। हमारे पास जितने भी कानूनी विकल्प हैं, उनमें हम अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करेंगे।
जो OBC के अपमान की बात कह रहे हैं, अब उसका उल्टा असर हो रहा है। OBC वर्ग भी समझ चुका है कि मोदी जी और BJP राजनीतिक रूप से उनके नाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
भाजपा का बयान:
पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा- पिछड़े वर्ग को गाली देकर गांधी परिवार को लगता था कि वो बचकर निकल जाएंगे, जो कि नहीं हो पाया। कोर्ट का फैसला गांधी परिवार के मुंह पर तमाचा है। आज सूरत की कोर्ट से सिद्ध होता है कि कानून सबके लिए बराबर है।
सूरत कोर्ट के 2 साल की जेल के फैसले के खिलाफ। 3 मई को सुनवाई
पहली एप्लिकेशन: जमानत दिए जाने की एप्लिकेशन। फैसले तक अंतरिम जमानत मिली
दूसरी एप्लिकेशन: अपील पर फैसला आने तक दोषी ठहराए जाने पर रोक। याचिका खारिज हुई
राहुल गांधी: सुनवाई के दौरान राहुल के वकील आरएस चीमा ने एडिशनल सेशन कोर्ट के जज आरपी मोगेरा को दलील दी थी कि मानहानि का केस उचित नहीं था। केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा था- सत्ता एक अपवाद है, लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को ज्यादा नुकसान होगा। ऐसी सजा मिलना अन्याय है।
मानहानि का केस करने वाले पूर्णेश मोदी ने कहा था कि राहुल गांधी बार-बार मानहानि वाले बयान देने के आदी हैं।
राहुल की संसद सदस्यता 24 मार्च को रद्द की गई थी। इसके बाद लोकसभा हाउसिंग कमेटी ने 27 मार्च को बंगला खाली करने के लिए राहुल को नोटिस भेजा। कमेटी ने उन्हें 22 अप्रैल तक 12 तुगलक रोड का सरकारी आवास खाली करने को कहा। राहुल ने बंगला खाली कर सोनिया गांधी के आवास में रहने का फैसला किया। उनका सामान शिफ्ट भी हो चुका है।