करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, सूरतगढ़ – 19 अप्रैल :
ठेकेदारों और अन्य से कमीशन का हिस्सा जो मुझ चैयरमैन को पांच प्रतिशत मिलता रहा है। वह मेरी कुर्सी की कमाई है। कुर्सी है तो कमाई भी है। जब तक कुर्सी तब तक कमाई। मेरी कुर्सी के साथ और भी हैं कुर्सियां। सभी का हिस्सा रुतबे के मुताबिक। इस कुर्सी की कमाई को सिस्टम का पैसा नाम दे दिया गया है। रिश्वत कमीशन जैसे गंदे नाम अब नहीं लिया जाते।
नया नाम सिस्टम का पैसा अब पापुलर नाम हो गया है। कुर्सी की कमाई मेरी शान है ईज्जत है। कुर्सी से उतर जाओ तब भी पैसा फेंक तमाशा देख जैसे गेम चलाना और अपनी कुर्सी कमाई में से मामूली सी पुड़िया फेंक कर मीडिया पब्लिसिटी लेना मामूली बात है। इसी से दान पुन: और गिफ्ट भी इसलिए सभी के बीच में मेरा चेहरा रहता है और फोटो विडिओ सभी बनते हैं।
कुर्सी की कमाई तो शान है इसलिए शर्म कैसी! और ऊंची कुर्सी के लिए अभियान है, मुश्किलें तो हैं मगर मेरा रास्ता न्यारा है।
कुर्सी कमाई लेना मेरा अधिकार बन गया है।
चैयरमैन पद पर मेरा हिस्सा 5 प्रतिशत होता है।मेरा ईओ भी 5 प्रतिशत कुर्सी कमाई करता है।
मेरी संस्था का एक साल का बजट 125 करोड़। उसमें ऊपर को छोड़ो 100 करोड़ तो पक्के मान ही लो जिसमें मेरा चैयरमैनी हिस्सा 5 करोड़। पांच साल का बजट 600 और 700 करोड़। केवल शुद्ध मान लो 500 करोड़ तो मेरी चेयर का हिस्सा 25 करोड़। हर साल पांच मिनट में तालियों के साथ बजट पारित होता है। सच्च मेरी खूबी नहीं होती, असल में तालियां बजाने वालों को बजट का क ख ग ही नहीं आता। मानलो वे छोटे ठेकेदार और मैं बड़ा ठेकेदार।
सिस्टम का कुल पैसा 20 से 25 प्रतिशत तक बिलों के भुगतान में से कट जाता है और उसी में अपने आप मेरे को पहुचा दिया जाता है। सभी को पहुंच जाता है।
सिस्टम का हक लेने से मेरी छवि दागी नहीं कहलाई। मैं सारे दिन आप लोगों के साथ रहता हूं। मेरे फोटो मेरे विडिओ बनते हैं।
समाजसेवी और संस्थाएं कभी उदघाटन कराती है कभी हरी झंडी दिखवाती है।
चुनाव में खड़े होने और पार्टी की टिकट लेने की दिन रात की ट्राई है। बस इसलिए हर भीड़ हर आंदोलन में हाजिरी और फोटो विडिओ।
मैंने पूरा पारदर्शिता से बता दिया है।