सत्यार्थप्रकाश पढ़कर मनुष्य सत्य को जानने में समर्थ हो जाता है : डा. एम. के. सहगल

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, यमुनानगर – 18  अप्रैल :

गुरुकुल यमुनानगर, बिलासपुर में नए शैक्षणिक सत्र  का शुभारंभ  हवन-यज्ञ व पूजन के साथ किया गया। गुरुकुल परिसर में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन-पूजन की परंपरा पूरी की गयी । कार्यक्रम के आरम्भ में आर्यसमाज के पुरोहित राज कुमार शास्त्री के सानिध्य में सामूहिक यज्ञ किया गया। यज्ञ के बाद भजन, सामूहिक प्रार्थना एवं सत्यार्थप्रकाश के कुछ अंशों का पाठ किया गया। सत्यार्थप्रकाश का पाठ करते हुए राज कुमार शास्त्री ने कहा कि ईश्वर कभी पक्षपाती नहीं हो सकता। उन्होने कहा कि जिस पुस्तक में धर्म, सत्य, न्याय एवं सदाचार के विरुद्ध बातें होती हैं वह पुस्तक धर्म की पुस्तक नहीं हो सकती। बच्चों को नीतिपरक उपदेश देते हुए कहा गया कि कलम व किताब लेने से पहले सद्बुद्धि प्रदान करने वाली माँ सरस्वती की पूजा अवश्य करें जिससे उनका अध्ययन रूपी मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि जब विज्ञान उन्नति के शिखर पर पहुंच जाता है तब वहीं से मनुष्य का चारित्रिक पतन भी आरम्भ हो जाता है। अपनी बात को आचार्य जी ने लंकेश रावण का उदाहरण देकर स्पष्ट किया। रामायण का एक प्रसंग सुनाकर आचार्य जी ने कहा कि जिसकी मां पतिव्रता है, जिसने धार्मिक पिता से जन्म लिया है, ऐसी सन्तान जीवन में कभी भी लोभ व स्वार्थ से ग्रस्त नहीं होती। निर्जन वन में पड़ी हुई अथाह सम्पत्ति स्वर्ण आदि को देखकर भी ऐसी सन्तान का मन विचलित नहीं होता है। वह उस सम्पत्ति को देखकर भी उसकी उपेक्षा कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाता है।विख्यात शिक्षाविद डा एम् के सहगल ने बताया  कि ऋषि दयानन्द ने अपने बचपन के नाम मूलशंकर के अनुरूप ईश्वर के सत्यस्वरूप का प्रचार कर देश के लोगो के सामने सच्चे शिव का सत्यस्वरूप प्रस्तुत किया। ऋषि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश  में  देश व संसार में प्रचलित सभी मत-मतान्तरों की समीक्षा लिखी है जिसे पढ़कर मनुष्य  असत्य का त्याग और सत्य का ग्रहण कर सकता है। उन्होंने कहा कि सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन मानवमात्र के लिये उपयोगी एवं हितकारी है।  रामायण एवं मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन व कार्यों पर प्रकाश डाला गया और कहा कि श्री रामचन्द्र जी ने संसार को आर्य बनाने का कार्य किया था। उन्होंने सभी बच्चों को ढ़ेरों शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सभी विद्यार्थी अपने कर्तव्यों का पालन करें व अनुशासन में रहकर शिक्षा प्राप्त करें जिससे उन्हें अवश्य सफलता प्राप्त होगी।

निदेशक डा जी बी गुप्ता ने सभी  विद्यार्थियों का स्वागत किया और भविष्य में शैक्षणिक सत्र में आने वाली समस्याओ का हर हाल में समाधान करने का भरोसा दिलाया I उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा विद्यार्थियों के जीवन की आधारशिला है इस आयु में विद्यार्थियों के मानस-पटल पर जो छवि अंकित हो जाती है ,वह हमेशा बनी रहती हैI इस अवसर पर चेयरपर्सन डा रजनी सहगल, डा जी बी गुप्ता, दीपक शर्मा, विक्रांत गुलाटी,शैली चौहान, ममता बत्रा, गगन बजाज, रवींद्र सिंह, राखी बाँगा, रजनी व रवेल गुजराल व सभी शिक्षक उपस्थित रहे।