डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 13 अप्रैल :
हरियाणा में बिजली महंगी होने से पूर्व डिप्टी सीएम चन्द्रमोहननाराज:बोले- FSA के नाम पर 52 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाई दरें; हर परिवार को महीने में 300 रुपए का नुकसान
हरियाणा सरकार ने राज्य के 69 लाख बिजली उपभोक्ताओं के बिजली के बिल में 52 पैसे प्रति यूनिट ईंधन अधिभार समायोजन (FSA) जोड़ दिया है। इस बढ़ी हुई दर के विरोध में पूर्व डिप्टी सीएम चन्द्रमोहन ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचा रही है। जबकि, बढ़ी हुई दरों से हरियाणा के एक परिवार को 300 रुपए हर महीने का नुकसान होगा।
भाई चन्द्रमोहन ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल में हरियाणा में पावर सरप्लस बिजली हुई करती थी, लेकिन BJP-JJP सरकार ने अपने 8 साल के कार्यकाल में एक भी यूनिट बिजली नहीं बढ़ाई है।
रेट बढ़ाकर कम दे रहे बिजली
पूर्व डिप्टी सीएम ने पचकुला में अपने आवास पर बोलते हुए कहा कि जब स्वर्गीय चौधरी भजनलाल मुख्यमंत्री थे व कांग्रेस की सरकार के समय कई पावर प्लांट लगाए गए थे, लेकिन वर्तमान सरकार ने 8 साल में कोई काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है। साथ ही बिजली के रेट बढ़ाकर लोगों को बिजली कम दे रहे हैं। सरकार की कुनीतियों के कारण वर्तमान में प्रदेश में बिजली के रेट सबसे हाई हैं।
52 पैसे यूनिट बढ़े बिजली के रेट
पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि FSA के नाम पर सरकार ने बिजली के बिल में प्रति यूनिट के हिसाब से 52 रुपए जोड़ दिए हैं। जबकि हरियाणा के लोग पहले ही आर्थिक तौर पर परेशान हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार से बिजली के बढ़े हुए दाम वापस लेने की मांग उठाई। ओर यह भी कहा की सरकार सिर्फ सीधे तौर पर निजी बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है।
अप्रैल से देनी होंगी बढ़ी हुई दरें
हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियों ने चुपचाप से उपभोक्ताओं के बिल में 52 पैसे प्रति यूनिट ईंधन अधिभार समायोजन (FSA) जोड़ दिया है। अब कंपनियां इस बढ़ी हुई दर की उपभोक्ताओं से 1 अप्रैल से जून 2023 तक इसकी वसूली करेंगी।
हरियाणा में बिजली विभाग रणजीत सिंह चौटाला के पास है।
फसल खरीद पर उठाए सवाल
पूर्व डिप्टी सीएम चन्द्रमोहन ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए हरियाणा में फसल खरीद को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। किसानों को मुआवजा देने के लिए सरकार परेशान सिर्फ परेशान कर रही है। साथ ही मंडियों में गेहूं के उठान नहीं होने से भी किसानों को परेशानी हो रही है। वैल्यू कट होने से भी किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।