10 अप्रैल विश्व होम्योपैथी दिवस पर विशेष
होम्योपैथी और चिकित्सा की दुनिया में इसके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस (World Homeopathy Day) मनाया जाता है। यह दिन डॉ क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हैनीमेन (Christian Friedrich Samuel Hahnemann) की जयंती के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है।
- मीठी मीठी गोलियां जड़ से मिटा देंगी रोग
- होम्योपैथिक दवाओं से रोग हो जाता है सदा के लिए ठीक
- होम्योपैथिक दवा से नहीं होता साइड इफेक्ट
- होम्योपैथिक दवाओं के प्रति अवधारणा गलत – डॉ एच के खरबंदा ,पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 03 अप्रैल :
होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग अब सारी दुनिया करने लगी है। वजह है कि इसमें रोग को ड़ से मिटाने की क्षमता है। इसी कारण चिकित्सा की इस दो सौ वर्ष पुरानी प्रणाली का उपयोग अब करीब 250 हजार चिकित्सक और दुनिया भर में 500 मिलियन से ज्यादा लोग करते हैं। यह कहना है पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डा.एच के खरबंदा का। अब होम्योपैथी में केंद्रीय अनुसंधान परिषद को पास होम्योपैथी के लिए 1,000 करोड़ रुपये का शोध बजट आवंटित किया जाता है।
डॉ. खरबंदा ने बताया कि होम्यौपैथिक दवाओं के प्रयोग से बेशक मरीज को ठीक होने में समय लगता है पर यह रोग को पूरी तरह से खत्म कर देती हैं। इसका साइड इफेक्ट भी नहीं होता। उन्होंने बताया कि दवा को नियमित रूप से लेना व दवा लेने के पूर्व मुंह का पूरी तरह साफ होना बहुत आवश्यक है। तंबाकू या किसी भी तरह के गुटखा का सेवन करने के तुरंत बाद होम्योपैथी की दवा लेना उतना कारगर नहीं होता।
डॉ. खरबंदा ने बताया कि धारणा है कि होम्योपैथिक दवाएं पहले रोग को बढ़ाती हैं, फिर उसे ठीक करती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, होम्योपैथिक दवाएं किसी रोग का नहीं, मरीज का उपचार करती हैं। यह दवाएं रोग को दबाती नहीं हैं बल्कि बीमारी जिस वजह से है उसको जड़ से निकाल देती हैं।
कोई साइड इफेक्ट नहीं होता डॉ. खरबंदा ने कहा कि होम्योपैथिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।होमियोपैथी पर सूडो साइंस का आरोप नया नहीं है। होम्योपैथी के जनक
डॉ हैनिमैन के समय पर तो होम्योपैथी का बहुत ही विरोध हुआ लेकिन उनका कहना था प्रेक्टिस मी एंड प्रूव मी रांग।
महिलाओं व बच्चों की बीमारियां जल्द ठीक
डॉ खरबंदा ने बताया कि महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, स्तन, बच्चेदानी में गांठ, ट्यूमर, किडनी स्टोन, माइग्रेन, एलर्जी, ल्यूकोरिया जैसी बीमारियों का होम्योपैथिक दवाओं से बिना किसी दुष्प्रभाव व ऑपरेशन के इलाज संभव। अब होम्योपैथी कई प्रमुख औद्योगिक राष्ट्रों की स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जिसमें अधिकांश पश्चिमी यूरोप भी शामिल है।
भारत सहित यूरोपियन देशों में प्रसिद्ध है होम्योपैथी
जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, इटली, स्पेन और यू.के. में कम से कम 70 अस्पताल सक्रिय रूप से रोगी देखभाल में होम्योपैथी को एकीकृत कर रहे हैं । 42 यूरोपीय देशों में से 40 में चिकित्सकों द्वारा होम्योपैथी भी सक्रिय रूप से लोगों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है ।
दक्षिण एशिया में सैकड़ों अस्पताल भी हैं। विशेष रूप से भारत जहां होम्योपैथी को रोगी देखभाल में एकीकृत करते हैं। भविष्य इंटीग्रेटेड मेडिसन का है ,जिस पर भारत का आयुष विभाग पहले से ही कार्यरत है।