महिला मातृ शक्ति ने चैत्र नवरात्र पर लिया सराहनीय सकंलप

विनोद कुमार तुषावर, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 21  मार्च :

महिला मातृ शक्ति की अध्यक्ष मीना राणा ,महासचिव निशू ने चनङीगढ शहर निवासियों एवं अपने वार्ड नः 16 निवासियों को चैत्र नवरात्र की शुभकामनाएं दी हैं, इस मौके पर उन्होंने प्रण लिया हैं अगर इन नवरात्रों में वार्ड में किसी भी गरीब घर में कन्या का जन्म होता है तो उनका संगठन उस कन्या के परिवार को 5100/- रुपये और उनकी बेटी की पढाई लिखाई का सारा खर्च उठाया जाएगा, और कालोनी में जल्द ही लङकियो एवं महिलाओं के लिए ब्यूटी पार्लर, सिलाई कढाई सिखाने के लिए सेंटर खोला जाएगा , जिससे कि हमारी बेटियां भी आत्मनिर्भर बन सकें ।

सफाई कर्मचारी युनियन के पूर्व प्रधान जिलें सिंह का देहान्त

विनोद कुमार तुषावर, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 21  मार्च :

चनङीगढ नगर निगम सफाई कर्मचारी युनियन के पूर्व प्रधान रह चुके जिलें सिंह का आज अचानक देहान्त हो गया, जैसें ही उनके देहान्त की खबर सोशल मीडिया अकाऊंट पर चली,उनके चाहने वाले समर्थकों का उनके घर तांता लग गया,दोपहर 3 बजे उनका संस्कार सैक्टर 25 में किया गया,स्वर्गीय श्री जिले सिंह एक ईमानदार,कर्मठ नेता रहें हैं,उन्होंने सफाई कर्मचारी युनियन के प्रधान पद पर रहते हुए सफाई कर्मचारीयो के हित की हमेशा आवाज़ बुलन्द की गई, उन्हे भाव-भीन श्रदाँजलि देने वालोँ में पूर्व सफाई कर्मचारी युनियन के प्रधान कृष्ण कुमार चड्ढा, चेयरमैन औम प्रकाश सैनी, औम पाल चावर, बिङला जी, एवं अनेक सफाई कर्मचारी , सुरेन्द्र कागङा, राजेश कालिया,महिला मातृ शक्ति की अध्यक्ष मीना राणा, डेमोक्रेटिक फ्रंट के संवाददाता विनोद कुमार तुषावर इस दुखद घड़ी में उनके परिवार के साथ खङे रहें ।

अकाली दल समर्थक विनय कल्याण उर्फ़ शैली “न्यू कांग्रेस पार्टी” में शामिल

  • शैली ने भरा “न्यू कांग्रेस पार्टी” का सदस्य्ता फॉर्म 

विनोद कुमार तुषावर, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 21  मार्च :

न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अन्य राजनीतिक पार्टियों के मुकाबले चंडीगढ़ व पंजाब के लोगों के लिये एक नये विकल्प के रूप में उभर कर आ रही है , हर आये दिन अलग – अलग पार्टियों के नेताओं का न्यू कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का सिलसिला जारी है , आज हाल ही में अकाली दल समर्थक विनय कल्याण उर्फ़ शैली जिनका शहर के युवाओं में काफ़ी बड़ा दायरा है आज अकाली दल (ब) को हमेशा के लिये अलविदा कहकर “न्यू कांग्रेस पार्टी” में शामिल हो गये , उन्होंने कहा कि युवाओं का अकाली दल में कोई भविष्य नहीं है , इसलिए आज विनय कल्याण उर्फ़ शैली ने न्यू कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो एडवोकेट विवेक हंस गरचा की विचारधारा से प्रभावित होकर न्यू कांग्रेस पार्टी का दामन थामा उन्होंने कहा कि शहर को पढ़े – लिखे, ईमानदार, कर्मठ, जोशीले व युवा नेताओं की आवश्यकता है , शैली ने कहा कि उनके साथी भी बड़ी संख्या में न्यू कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे , उन्होंने कहा कि न्यू कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाकर एक स्वच्छ, पढ़ी – लिखी, पवित्र नगर – निगम का निर्माण करेंगे |

सुखोमाजरी में महिला का शव मिला, हत्या की आशंका

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पींजोर – 21 मार्च :

पिंजौर कालका में समय करीब 11,:00 बजे ग्राम पंचायत प्रेमपुरा के पास गांव सुखोमाजरी के जंगल में एक 32/35 उम्र की लड़की की लाश मिली जो जंगल में पशु चराने गए बच्चो ने देखी और अपने घर में सूचित किया ।गांववालो ने थाना पिंजौर पुलिस को सूचित किया लोकल पुलिस वा फॉरेंसिक टीम मौके पर डेडबॉडी की अभी तक शिनाख्त नहीं हुई। देखने से मामला हत्या का लगता है डेड बॉडी के गले में काला कपड़े से घोट रखा हे। मुंह में रुमाल था । लोकल पुलिस ने शव कब्जे में लेकर कालका हॉस्पिटल के मार्चरी में रखवा दिया है।

राजस्थान विधानसभा में अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित

विधानसभा में मंगलवार को राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल 2023 पास हो गया। इस विधेयक का उद्देश्य अधिवक्ताओं के खिलाफ मारपीट, गंभीर चोट, आपराधिक बल और आपराधिक धमकी के अपराधों और अधिवक्ता की संपत्ति को नुकसान की रोकथाम के लिए लाया गया है। बिल के धारा 3 में कहा गया है कि एक वकील के खिलाफ हमला, गंभीर चोट, आपराधिक बल और आपराधिक धमकी का कोई भी कार्य अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा यदि ऐसा कार्य अदालत परिसर में अधिवक्ता के कर्तव्यों के निर्वहन के संबंध में है।

Advocate Protection Bill: Advocate Protection Act Bill will be present |  Advocate Protection Bill: वकीलों की विधानसभा पर नजर, जब तक बिल नहीं होगा  पास, तब तक रहेगा कार्य बहिष्कार | Patrika News
वकीलों को सुरक्षा मुहैया कराओ, काम इसके बाद ही होगा

डेमोक्रटिक फ्रंट, जयपुर ब्यूरो – 21 मार्च :

वकीलों को मारपीट और गंभीर चोट से सुरक्षा प्रदान करने वाला कानून बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है। अधिवक्ता संरक्षण विधेयक पिछले सप्ताह राज्य विधान सभा में पेश किया गया था और आज कुछ संशोधनों के साथ ध्वनि मत से पारित किया गया।

इस विधेयक का उद्देश्य अधिवक्ता के रूप में कर्तव्यों के निर्वहन के संबंध में अधिवक्ताओं के खिलाफ मारपीट, गंभीर चोट, आपराधिक बल और आपराधिक धमकी के अपराधों की रोकथाम और उनकी संपत्ति को नुकसान या नुकसान की रोकथाम करना है।

एक वकील को गंभीर चोट पहुंचाने के मामले में, बिल सात साल की अधिकतम कैद और 50,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव करता है। जबकि वकील पर हमले के मामले में अधिकतम सजा दो साल की कैद और 25,000 रुपये का जुर्माना होगा। इसके अलावा, आपराधिक बल और एक वकील के खिलाफ धमकी के मामलों में विधेयक में अधिकतम दो साल की सजा का प्रस्ताव किया गया है।

बिल के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय बनाया गया है, साथ ही धारा 6 और 7 के तहत कंपाउंडेबल बनाया गया है।

सजा के अलावा, अपराधी, उचित मामलों में, वकील की संपत्ति को हुए नुकसान या क्षति के लिए नुकसान का भुगतान करने के लिए भी उत्तरदायी होगा, जैसा कि न्यायालय द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

विधेयक में एक खंड का भी प्रस्ताव है जिसमें एक अपराधी को ऐसे अधिवक्ता द्वारा किए गए चिकित्सा खर्चों की प्रतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी बनाया जा सकता है, जैसा कि न्यायालय द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

विधेयक की धारा 4 जरूरत पड़ने पर अधिवक्ता को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान करती है। विधेयक में एक वकील को दंडित करने का भी प्रस्ताव है जो इस अधिनियम के प्रावधान का दुरुपयोग करता है या दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करता है या बिल के तहत दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों के साथ झूठी शिकायत करता है।

अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को लागू करने की मांग को लेकर प्रदेश में अधिवक्ता पिछले 1 माह से धरना-प्रदर्शन कर रहे थे.

मुंबई में भी अधिवक्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों के खिलाफ वकील प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को पारित करने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया गया, जिसमें कई अधिवक्ताओं ने ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों याचिकाओं पर हस्ताक्षर किए।

राजस्थान में राइट टू हेल्थ अधिनियम पारित

बीजेपी के तमाम विरोध और हो-हल्ला के बीच राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य के अधिकार) बिल मंगलवार को पास हो गया। इसी के साथ राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां राइट टू हेल्थ बिल पारित हुआ है। सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल इलाज से अब मना नहीं कर सकेंगे। यहां के हर व्यक्ति को इलाज की गारंटी मिलेगी। इमरजेंसी की हालत में प्राइवेट हॉस्पिटल को भी फ्री इलाज करना होगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में इमरजेंसी में फ्री इलाज के लिए अलग से फंड बनेगा। ऐसे मामलों में किसी भी तरह की हॉस्पिटल स्तर की लापरवाही के लिए जिला और राज्य स्तर पर प्राधिकरण बनेगा। इसमें सुनवाई होगी। दोषी पाए जाने पर 10 से 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है।

जयपुर: राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पारित, चिकित्सा मंत्री बोले- कई  हॉस्पिटल है जो जनता के साथ चीटिंग करते हैं, हम उन पर कार्रवाई करेंगे
राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पास, विधानसभा में 2 घंटे बहस के बाद बिल पारित

डेमोक्रेटिक फ्रंट, जयपुर ब्यूरो – 21 मार्च

राजस्थान विधानसभा ने मंगलवार को राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार (आरटीएच) विधेयक 2022 पारित किया, जहां राज्य के लोग बिना किसी पूर्व भुगतान के निजी अस्पतालों में आपातकालीन देखभाल के हकदार होंगे।

विधेयक में कहा गया है कि आपातकालीन उपचार जैसे कि दुर्घटना, और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा तय की गई किसी भी अन्य आपात स्थिति के दौरान अपेक्षित शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना रोगी का इलाज किया जाएगा।

विधेयक को पिछले सितंबर में विधानसभा में पेश किया गया था लेकिन इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था।

यदि रोगी भुगतान करने में असमर्थ है तो अपेक्षित शुल्क की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।

विधेयक के अनुसार, दुर्घटना, सांप या जानवर के काटने और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा तय किए गए किसी भी अन्य आपातकालीन उपचार के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों द्वारा अपेक्षित शुल्क के पूर्व भुगतान के बिना रोगी का इलाज किया जाएगा। स्वास्थ्य देखभाल के अपने स्तर के अनुसार ऐसी देखभाल या उपचार प्रदान करने के योग्य हैं।

कोई भी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता केवल पुलिस क्लीयरेंस या पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने के आधार पर उपचार में देरी नहीं करेगा।

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यदि कोई मरीज शुल्क का भुगतान नहीं करता है, तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाता अपेक्षित शुल्क और शुल्क या राज्य सरकार से उचित प्रतिपूर्ति प्राप्त करने का हकदार होगा, बिल में कहा गया है।

कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर इस अधिनियम या उसके तहत बनाए गए किसी भी नियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, वह पहले उल्लंघन के लिए ₹10,000 तक के जुर्माने और बाद के उल्लंघनों के लिए ₹20,000 तक के जुर्माने से दंडनीय होगा।

स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि सरकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि कुछ निजी अस्पताल चिरंजीवी कार्ड होने के बावजूद चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में मरीजों का इलाज नहीं करते हैं और इसलिए बिल लाया गया, उन्होंने उसी पर बहस का जवाब दिया।

प्रदेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडल राज्य बन रहा है और बजट का 7 प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च किया जा रहा है।

‘स्वास्थ्य का अधिकार’ जनता के हित में है। राज्य सरकार ने सभी सदस्यों के सुझाव के आधार पर इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा था. मीणा ने कहा कि सभी सदस्यों और डॉक्टरों के सुझावों को बिल में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बड़े अस्पतालों को रियायती दर पर जमीन उपलब्ध करायी है. स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के तहत इन अस्पतालों को जोड़ने का प्रावधान है।

निजी डॉक्टरों के आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए मंत्री ने कहा कि प्रवर समिति की रिपोर्ट में सभी सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है।

“डॉक्टर इस तथ्य के बावजूद आंदोलन कर रहे हैं कि उनके सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है। यह उचित नहीं है। वे बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, क्या यह उचित है?” उन्होंने पूछा।

जवाब के बाद ध्वनि मत से विधेयक पारित कर दिया गया।

विधेयक को पिछले सितंबर में विधानसभा में पेश किया गया था लेकिन इसे प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था।

समिति ने अपनी रिपोर्ट दी और उसके अनुसार विधेयक में संशोधन किया गया और आज इसे पारित कर दिया गया।

पारित होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, विपक्ष के उपनेता , राजेंद्र राठौर ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह अधिनियम आए लेकिन व्यावहारिक तरीके से, और सभी हितधारकों को एक साथ लिया जाना चाहिए।”

उन्होंने सुझाव दिया कि एक्ट उन अस्पतालों से होना चाहिए, जो 50-बिस्तर वाले मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल हैं क्योंकि इसमें सभी प्रकार की सुविधाएं हैं; नामित अस्पतालों को परिभाषित किया जाना चाहिए; और शिकायत निवारण के लिए एकल खिड़की होनी चाहिए।

भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग ने प्रतिपूर्ति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसमें 2-3 साल की देरी हो जाती है, और ऐसा बिल लाने से पहले हितधारकों को विश्वास में लिया जाना चाहिए।

इस बीच, इससे पहले दिन में, डॉक्टरों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए, विपक्षी भाजपा ने शून्यकाल के दौरान बहिर्गमन किया।

राजस्थान के निजी अस्पताल मालिक और डॉक्टर स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर सोमवार को जयपुर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

शून्य काल के दौरान, नेता प्रतिपक्ष राठौर ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर बल प्रयोग का मुद्दा उठाया था।

“डॉक्टरों पर पुलिस का लाठीचार्ज निंदनीय है, यहां तक ​​कि महिलाओं को भी पीटा गया। उन्हें ठीक से नहीं सुना गया। घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए, ”उन्होंने कहा।

भूकंप के तेज झटके, काफी देर तक दिखा असर

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट चंडीगढ़ – 21 मार्च :

उत्तर भारत में अचानक भूकंप आया। इसका epic center अफगानिस्तान में है इसकी असर 7.7 बताया जा रहा है।

जारी है

समुदाय विशेष को खुश करने के लिए हिंदू त्योहार का हो रहा दमन : बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र का 14वां दिन हजारीबाग की रामनवमी में लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर विपक्ष के हंगामे के साथ शुरू हुआ। सदन की कार्रवाई शुरू होने से पहले सदन के बाहर भाजपा के विधायकों ने जमकर हंगामा किया। विधायकों ने हजारीबाग की रामनवमी को विश्व प्रसिद्ध बताते हुए वहां लगाए जा रहे प्रतिबंधों पर हंगामा करते हुए कहा यह सरकार गूंगी-बहरी सरकार है जो तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। इसके बाद सदन की कार्रवाई शुरू हुई। सदन के भीतर भाजपा के विधायकों ने जय श्री राम के नारे लगाए। इसके बाद सदन 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया। 12 बजे के बाद सदन शुरू हुआ। इसके बाद भी भाजपा विधायक हजारीबाग रामनवमी पर निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं। सदन दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

रामनवमी को लेकर सदन के बाहर विपक्ष का हंगामा - Dainik Bhaskar

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, झारखंड ब्यूरो – 21 मार्च :

झारखंड विधानसभा मंगलवार (21 मार्च 2023) को जय श्रीराम के नारों से गूँज उठा। बीजेपी विधायक मनीष जायसवाल ने सदन में अपना कुर्ता फाड़ लिया। बनियान पर लिखा ‘जय श्रीराम’ दिखाया। वे हजारीबाग में रामनवमी जुलूस को लेकर लगाई गई पाबंदियों का विरोध कर रहे थे। जायसवाल हजारीबाग सदर की सीट से विधायक हैं।

विधानसभा में भाजपा विधायक ने हेमंत सरकार को घेरते हुए कई तीखे सवाल किए। उन्होंने कहा कि रामनवमी को लेकर हजारीबाग में कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। डीजे पर रोक लगा दी गई। फैसले के खिलाफ आवाज उठाने वाले 5 हजार लोगों पर धारा 107 के तहत मुकदमा कर दिया गया है। क्या इस राज्य में हिंदू होना अपराध है? क्या हम तालिबान में रहते हैं?

हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि ये गूंगी बहरी सरकार है और केवल वोट बैंक का राजनीति कर रही है। दो चीजें स्पष्ट हैं पहला कि ये राम के नाम पर कांग्रेस का वोट साफ करने की कोशिश कर रही है। दूसरा एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए हिंदू त्योहार का दमन कर रही है। सरस्वती पूजा में भी ऐसा हुआ था। अब रामनवमी में भी ऐसा किया जा रहा है। कल हजारीबाग डीसी ने प्रेस कांफ्रेंस किया, जहां उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर अलाउड है। ताशा अलाउड है। ढ़ोल-बाजे अलाउड हैं। आप गाना भी बजा सकते हैं। लेकिन चलंत डीजे नहीं बजा सकते हैं। जब आपने गाना बजाने की अनुमति दे दी है तब आपको डीजे बजाने देने से क्या चिढ़ है। कहीं न कहीं यह दूसरे समुदाय को खुश करने की कोशिश है। ये हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।

हजारीबाग की जनता रामनवमी को लेकर काफी संवेदनशील है। हजारीबाग के लोगों के अंदर आग सी सुलग रही है। चूंकि आपने हिंदुओं की भावना के साथ खेलने का काम किया है। जब तक सदन चल रहा है तब तक हम लोकतांत्रिक तरीके से रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे।

विधायकों ने हजारीबाग में आयोजित होने वाले हैं विश्व प्रसिद्ध रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान डीजे नहीं बजाने और वृहद स्तर पर पर जुलूस न निकालने के सरकार के आदेश को अविलंब रद्द करने की बात कही। इस पर विधायक रणधीर सिंह ने कहा कि भगवान श्री राम के ऊपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जब से झारखंड में जेएमएम कांग्रेस और राजद के गठबंधन वाली सरकार आई है तब से हर वर्ष हजारीबाग में आयोजित होने वाले रामनवमी के जुलूस पर अलग-अलग तरह से प्रतिबंध लगाकर हिंदुओं को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जो भारतीय जनता पार्टी कभी उन्हें नहीं देगी।

केजरीवाल का केंद्र पर निशाना, कहा- नीचे से ऊपर तक अनपढ़ों की जमात बैठा रखी है

केजरीवाल ने गृह मंत्रालय की आपत्तियों को लेकर कहा- बजट में बुनियादी ढांचे के लिए 20 हजार करोड़ आवंटित किए गए थे, विज्ञापन के लिए 500 करोड़। हमने कभी नहीं सुना कि 500 करोड़ 20 हजार करोड़ से अधिक है। केंद्र सरकार ने नीचे से ऊपर तक अनपढ़ों की जमात बैठा रखी है। दिल्ली का बजट अब विधानसभा में बुधवार को पेश किया जाएगा।

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ऊपर से नीचे तक अनपढ़ों की जमात बिठा रखी है..अरविन्द केजरिवाल
  • दिल्ली का बजट रोकने पर आज विधानसभा में भड़के सीएम केजरीवाल, बीजेपी और एलजी पर खूब बरसे
  • कहा- ऊपर से नीचे तक अनपढ़ों की जमात बैठा रखी है, खुश हो गए कि केजरीवाल को झुका दिया
  • केजरीवाल ने कहा- पहली बार केंद्र ने दिल्ली का बजट रोका है उन्हें इसका कोई अधिकार नहीं है

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़/नई दिल्ली – 21 मार्च :

गृह मंत्रालय की तरफ़ से दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी मिल गई है. गृह मंत्रालय की मंजूरी पर दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया भी आई है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि ‘हमें मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि MHA ने दिल्ली के बजट के मंज़ूरी दे दी है। लेकिन हम आधिकारिक मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे हैं।’ वहीं उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के बजट को स्वीकृति दे दी है और आम आदमी पार्टी (आआपा) की सरकार को यह सूचना दे दी गई है. यह बयान केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच इस मुद्दे पर विवाद पैदा होने के बाद आया है।

केजरीवाल ने कहा, ‘दिल्ली सरकार काम करना चाहती है, लड़ाई नहीं। लड़ाई से किसी का भला नहीं होता। हम प्रधानमंत्री के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, हम कोई झगड़ा नहीं चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री दिल्ली जीतना चाहते हैं तो उन्हें पहले शहर के लोगों का दिल जीतना होगा। उन्होंने कहा, ‘आप (PM) बड़े भाई हैं और मैं छोटा भाई।
केजरीवाल ने कहा था- ऐसा 75 साल में नहीं हुआ
CM केजरीवाल ने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्‌ठी लिखी है। उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री जी दिल्ली के लोगों से आप क्यों नाराज हैं। कृपया बजट मत रोकिए। केजरीवाल ने कहा कि देश के 75 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब दिल्ली में बजट पेश होने से एक दिन पहले केंद्र ने इस पर रोक लगा दी है। ये सीधे तौर पर केंद्र सरकार की गुंडागर्दी है।
वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में बताया कि बजट की फाइल को अप्रूवल के लिए दोबारा गृह मंत्रालय भेज दिया गया है। उन्होंने बजट रोके जाने पर अफसोस जताते हुए कहा कि जनता का चुना हुआ मुख्यमंत्री और कैबिनेट होने का क्या फायदा, जब एक बजट तक पास न कर पाएं।
LG ऑफिस ने कहा- सरकार ने नोट्स के जवाब ही नहीं दिए
केजरीवाल के बयान पर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) ऑफिस ने स्टेटमेंट जारी किया। जिसमें बताया गया कि LG वीके सक्सेना ने बजट पास कर कुछ नोट्स जोड़कर उसे 9 मार्च को दिल्ली सरकार के पास भेज दिया था। दिल्ली सरकार ने फिर इसे राष्ट्रपति से अप्रूव कराने के लिए गृह मंत्रालय को भेजा।
सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को तीन ऑब्जर्वेशन दिल्ली सरकार को भेजे…
पहला- राजधानी जैसे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए बजट का 20% हिस्सा क्यों रखा?
दूसरा- दिल्ली सरकार विज्ञापन का बजट दोगुना क्यों कर रही है?
तीसरा- आयुष्मान भारत जैसी केंद्रीय योजनाओं का लाभ दिल्ली की गरीब जनता को क्यों नहीं दिया जा रहा?
सूत्रों ने LG ऑफिस के हवाले से बताया कि दिल्ली सरकार ने इन तीनों पॉइंट्स पर अब तक गृह मंत्रालय को जवाब नहीं भेजा। LG ऑफिस अभी तक इस फाइल के भेजे जाने का इंतजार कर रहा है।

LG ऑफिस से स्टेटमेंट जारी होने के बाद फाइनेंस मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने देर शाम बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने बजट को लेकर अपनी कुछ चिंता जाहिर की थी और 17 मार्च को चीफ सेक्रेटरी को एक लेटर भेजकर बजट को अप्रूव करने से इनकार कर दिया था।

गृह मंत्रालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के बजट को मंजूरी दे दी। सोमवार को CM अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर दिल्ली का बजट रोकने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से विज्ञापन समेत तीन मुद्दों पर जवाब मांगा था। इस पर दिल्ली सरकार ने रिप्लाई नहीं किया था। इसलिए बजट अप्रूव नहीं हो सका था।

इधर, केंद्र से मंजूरी मिलते ही अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में चर्चा के दौरान केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- बजट पर केंद्र की आपत्ति असंवैधानिक और निराधार हैं। देश के 75 साल के इतिहास में किसी भी सरकार का बजट नहीं रोका गया। हमने मंगलवार को बजट उनकी आपत्तियों को बिना बदलाव के भेजा और उन्होंने इसे मंजूरी दे दी। इतना अहंकार ठीक नहीं है।

केजरीवाल ने गृह मंत्रालय की आपत्तियों को लेकर कहा- बजट में बुनियादी ढांचे के लिए 20 हजार करोड़ आवंटित किए गए थे, विज्ञापन के लिए 500 करोड़। हमने कभी नहीं सुना कि 500 करोड़ 20 हजार करोड़ से अधिक है। केंद्र सरकार ने नीचे से ऊपर तक अनपढ़ों की जमात बैठा रखी है। दिल्ली का बजट अब विधानसभा में बुधवार को पेश किया जाएगा।

फाइनेंस मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने कहा- दिल्ली के बजट को लेट कराने में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी की भूमिका की जांच की जानी चाहिए।
फाइनेंस मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने कहा- दिल्ली के बजट को लेट कराने में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी की भूमिका की जांच की जानी चाहिए।

कैलाश गहलोत ने अपने बयान में कहा- अस्पष्ट कारणों के चलते दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने 3 दिन तक इस लेटर को अपने पास छिपाकर रखा। मुझे इस लेटर के बारे में सोमवार दोपहर 2 बजे पता चला है। मुझे शाम 6 बजे यह फाइल मिली है और हमने रात 9 बजे तक गृह मंत्रालय की सारी चिंताओं को लेकर अपना जवाब LG ऑफिस को भेज दिया था।

दिल्ली के बजट को लेट कराने में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी की भूमिका की जांच की जानी चाहिए। इस पर LG ऑफिस ने जवाब दिया कि हमें रात 9:25 बजे फाइल मिली और LG के अप्रूवल के बाद इसे 10.05 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दिया गया था।

दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने आरोपों को निराधार और गलत बताया. उन्होंने कहा कि दिल्ली का बजट 78,800 करोड़, इनमें से 22,000 करोड़ रुपए बुनियादी ढांचे पर खर्च के लिए और सिर्फ 550 करोड़ रुपए विज्ञापनों पर खर्च के लिए हैं। उन्होंने कहा- विज्ञापन पर खर्च पिछले साल के बजट के बराबर ही है।

इधर, मंगलवार को दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के वित्त मंत्री ने ऑन रिकॉर्ड बताया है कि हमने बजट तैयार कर के 10 मार्च को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेज दिया। केंद्र सरकार ने उस पर कुछ सवाल लगाकर 17 मार्च को बजट दोबारा भेजा, लेकिन ये मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री को नहीं बल्कि मुख्य सचिव नरेश कुमार को भेजा गया।

मुख्य सचिव के ऊपर आरोप लग रहे हैं कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को रोकने के लिए वो हर प्रयास कर रहे हैं। सौरभ भारद्वाज ने ये भी दावा किया कि सोमवार को जब दिल्ली सरकार के बजट को रोकने की खबरें चलीं तो शाम 6 बजे दिल्ली के मुख्य सचिव ने वित्त मंत्री को बताया कि बजट पर केंद्र सरकार की ओर से रुकावटें आ गई हैं। उन्होंने सवाल किया कि मुख्य सचिव इतना बड़ा षड्यंत्र किसके कहने पर कर रहे हैं। भारद्वाज ने पूछा कि केंद्र सरकार इस पर चुप क्यों है, एलजी क्यों चुप हैं। इसलिए क्योंकि ये षड्यंत्र केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है।

सूरतगढ़ जिला बनाओ : मरणव्रत पर पूजा छाबड़ा

करणी दान सिंह राजपूत , डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, सूरतगढ़ – 21 मार्च :

राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर प्राण न्योछावर करने वाले शहीद गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधू पूजा छाबड़ा ने आज सूरतगढ़ को जिला बनाओ मांग को लेकर महाराणा प्रताप चौक पर आमरण अनशन शुरू किया। इससे पहले आज सुबह पूजा छाबड़ा ने शहीद गुरूशरण छाबड़ा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आमरण अनशन का निर्णय का आशीर्वाद लिया। 

आमरण अनशन मरण व्रत शुरू करने के वक्त गुरुशरण छाबड़ा के आंदोलनों में साथी रहे करणी दान सिंह राजपूत बलराम वर्मा बाबू सिंह खीची और अनेक लोग विभिन्न पार्टियों के नेता सामाजिक संगठनों के नेता मौजूद थे।

* पूजा छाबड़ा राजस्थान में शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सूरतगढ़ क्षेत्र में सीमा क्षेत्र में शराबबंदी को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन शुरू कर रखा है। यह आंदोलन गुरुशरण छाबड़ा की जयंती 9 जून 2022 को शुरू हुआ था जो निरंतर चल रहा है।

* सूरतगढ़ जिला बनाओ आंदोलन काफी समय से शुरू है। सन 1970 से गुरुशरण छाबड़ा करणीदानसिंह राजपूत आदि अनेक लोगों ने यह आंदोलन शुरू किया था।  जब रिकॉर्ड आदि रखने की सुविधाएं नहीं थी। मांगपत्र लिखते और  सरकार को पोस्ट कर देते।उसके बाद यह आंदोलन सूरतगढ़ जिला बनाओ मांग पकड़ता रहा। राजस्थान में मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के काल में जनता पार्टी की सरकार 1977 में बनी। तब सूरतगढ़ को जिला बनाओ की मांग फिर उठी।  मुख्यमंत्री को मांग पत्र आदि दिए गए थे।

*सन 1978 में इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में श्रीगंगानगर जिले के विभाजन करते हुए नया जिला बनाने की एक कमेटी बनाई गई। कमेटी में बात तो यह रखी गई थी कि इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में जिधर विकास और आबादी विस्तार हो उधर जिला बनाया जाए। सूरतगढ़ उस समय महत्वपूर्ण केंद्र था लेकिन यह बात सुनी नहीं गई और जिला नहीं बना। सन् 1987 के आसपास फिर बात उठी जोर-शोर से उठी। उस समय भी पत्राचार हुआ मांगे रखी गई। (यह रिकॉर्ड उपलब्ध है)

उसके बाद मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के कार्यकाल में जब जिला बनाने की मांग आई तो हनुमानगढ़ को जिला बना दिया गया और सूरतगढ़ वंचित रह गया। सूरतगढ के विधायक अमरचंद मिढा थे जो भैरोंसिंह शेखावत की बात को टाल नहीं सके।

उसके बाद लगातार सूरतगढ़ को जिला बनाने की मांग उठती रही है। अब विश्वास था कि सूरतगढ़ को जिला बना दिया जाएगा लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा में 19 जिलों में सूरतगढ़ का नाम नहीं था जिससे सूरतगढ़ के लोगों को आंदोलन की ओर कदम बढ़ाने पड़े हैं। 

👍 पूजा छाबड़ा के मरण व्रत शुरू होने से एक बार फिर सूरतगढ़ के अंदर जोश खरोश पैदा हुआ है और यह आंदोलन जिले की मांग को लेकर चला है तो जिला बना करके ही अब पूरा होगा।  मुख्यमंत्री को लगातार ज्ञापन आदि दिए जाते रहे हैं सूरतगढ़ 20 मार्च को संपूर्ण बंद रहा था 21 मार्च को उपखंड कार्यालय का घेराव किया गया। वहां पर सभा हुई। वहीं यह घोषणा हुई कि शहीद गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधू पूजा छाबड़ा ने मरण व्रत शुरू करने की ठान ली है और यह मरण व्रत जिला बनाने की मांग को लेकर है।

 पूजा छाबड़ा को जुलूस के रूप में महाराणा प्रताप चौक पर लाया गया। अनेक कार्यकर्ताओं ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा को नमन करते हुए पूजा छाबड़ा को माल्यार्पण कर जय घोष करके आमरण अनशन पर बिठाया। नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष आरती शर्मा एडवोकेट पूनम शर्मा और अनेक लोग इस अवसर पर थे।

👍👍 आमरण अनशन स्थल पर बहुत भीड़ है और लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है। लोगों को ज्यों ज्यों मालुम हो रहा है कि पूजा छाबड़ा ने मरणव्रत शुरू किया है तो लोग महाराणा प्रताप चौक पर पहुंचने लगे हैं।

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विदित रहे कि गुरुशरण छाबड़ा ने अपने विद्यार्थी जीवन से ही आंदोलन शुरू किए थे और उनके कुछ आंदोलन सूरतगढ़ शहर को लेकर के थे जो सफल हुए।

 सूरतगढ़ में खारे पानी की सप्लाई हो रही थी 12 साल से लोग पानी पी रहे थे। तब गुरुशरण छाबड़ा के नेतृत्व में भयानक गर्मी के दिनों में श्रीमती राजेश सिडाना ने आमरण अनशन शुरू किया था। उसमें सफलता मिली और इंदिरा गांधी नहर से पानी मिलना शुरू हुआ।

गुरूशरण छाबड़ा के नेतृत्व में ही यहां सन 1972 में राजकीय महाविद्यालय खुलवाने का आंदोलन चला था। आज सूरतगढ़ के अंदर राजकीय महाविद्यालय है और वह गुरूशरण छाबड़ा के नाम से है।

 अनेक आंदोलन गुरूशरण छाबड़ा ने यहां संचालित किए। सन उन्नीस सौ 1968- 69 का किसानों का आंदोलन भूमि नीलामी रोकने का आंदोलन मोहनलाल सुखाड़िया के कार्यकाल में हुआ था उसमें गुरूशरण छाबड़ा ने भी भाग लिया और  जेल में गए थे।

 आपातकाल लागू होने के पहले ही दिन 26 जून 1975 को पहली आमसभा आपातकाल के विरुद्ध गुरूशरण छाबड़ा के नेतृत्व में सुभाष चौक पर हुई थी। 

**अनेक आंदोलनों के गुरूशरण छाबड़ा साक्षी रहे राजस्थान में शराबबंदी को लेकर गुरूशरण छाबड़ा ने चार पांच बार आमरण अनशन किया और उसके बाद में एक बार मरण व्रत निश्चित कर लिया। आमरण अनशन पर जयपुर में बैठे और आखिर 3 नवंबर 2015 को उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।