Sunday, December 22

डेमोक्रेटिक फ्रंट/पवन सैनी

हिसार। ऋषि नगर स्थित विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया कि अबकी बार नव पिंगल नामक संवत 2080 चैत्र वसंत नवरातत्रे 22 मार्च 2023 चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शुक्ल और ब्रह्म योग दिन बुधवार को शुरू होने जा रहे हैं। हमारे यहां साल में 4 नवरात्त्रे आते हैं अश्विन शारदीय नवरात्रि और चैत्र वसंत नवरात्त्रे का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से ही शुरू होती है। यह नवरात्रि 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च को समाप्त होंगे। 29 मार्च दिन बुधवार को दुर्गा अष्टमी कन्या पूजन और लांगुरिया पूजन किया जाएगा। 30 मार्च नवमी को मां सिद्धिदात्री पूजन और रामनवमी मनाई जाएगी जो भक्त नवरात्रों में मां दुर्गा का व्रत उपवास रखते हैं उन्हें पूरे 9 दिन तक व्रत रखकर 31 मार्च गुरुवार दशमी तिथि को पारण करना चाहिए यानी के व्रत खोलना चाहिए। आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया कि अबकी बार चैत्र मास नवरात्रों में 3 शुभ संयोग बन रहे किस वाहन पर सवार होकर आ रही हैं पृथ्वी पर मां दुर्गा वार के अनुसार तय होता है वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह है नवरात्रों में रविवार या सोमवार को घट स्थापन होगा तो हाथी पर मंगलवार और शनिवार को घोड़े पर वीरवार और शुक्रवार को डोली में बैठकर बुधवार को नौका में सवार होकर आती है। अबकी बार नवरात्रों में मां दुर्गा नौका में सवार होकर आएगी और डोली में बैठकर अपने धाम को वापस जाएगी मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है जब बारिश ज्यादा होती है घोड़े पर सवार होकर आती है जब मां दुर्गा युद्ध की संभावना होती है डोली में बैठकर आती है जब महामारी का भय बना रहता है नौका पर सवार होकर आती है जब सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। शास्त्री ने बताया शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा आदिशक्ति इन 9 दिनों में पृथ्वी पर रहकर सभी भक्तों के कष्टों को दूर करती है और मनवांछित फल देकर फिर अपने लोक में प्रस्थान करती है उत्तराभाद्रपद नक्षत्र को ज्ञान खुशी और सौभाग्य का संकेत माना गया है। इस साल चैत्र नवरात्रों की शुरुआत शुक्ल योग में हो रहे हैं। 22 मार्च को शुक्ल योग प्रात काल से लेकर सुबह 9 बजकर 18 मिनट तक है उसके बाद ब्रह्म योग प्रारंभ होगा। यह योग 23 मार्च को सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक है फिर इंद्र योग प्रारंभ होगा इस तरह से चैत्र वसंत नवरात्रि के प्रथम दिन तीन शुभ योग शुक्ल ब्रह्म और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इससे नवरात्रों का और भी महत्व बढ़ जाता है शास्त्री जी ने बताया नवरात्रों में मां दुर्गा आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी तृतीयम चंद्रघंटा कुष्मांडा चतुर्थकम पंचम स्कंदमाता षष्टम कात्यानी सप्तम कालरात्रि अष्टम महागौरी नवम सिद्धिदात्री नवरात्रों में इन नौ देवियों की पृथक पृथक पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है आपसी प्रेम बढ़ता है रोगी रोग से मुक्त होता है। संतान हिन को संतान प्राप्त होती है घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती कोर्ट कचहरी में विजय प्राप्त होती है सभी बिगड़े कार्य बनते हैं नवरात्रों में मां दुर्गा आदिशक्ति की पूजा अर्चना दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विशेष महत्व होता है। नवरात्रों में मां दुर्गा की अखंड ज्योति लगानी चाहिए नवरात्रों में भूमि जायदाद मकान गाड़ी आदि खरीदना शुभ होता है। नवरात्रों में वैसे तो किसी भी टाइम कलश स्थापना कर सकते हैं पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहता है जो भक्त मुहूर्त के हिसाब से घट थापन करना चाहते हैं।कलश स्थापना का शुभ मुर्हूत सुबह 6:15 से 9:10 बजे तक नवरात्रों में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च सुबह 6:15 से सुबह 9:10 तक रहेगा। मां दुर्गा पूजन सामग्री रोली मोली चावल हल्दी की गांठ कुमकुम लौंग इलायची सुपारी नारियल पानी वाला मां दुर्गा की चुनरी लाल मां दुर्गा का सिंगार वस्त्र आभूषण सबसे पहले मिट्टी या रेती में जौ बीजकर उसके ऊपर कलश स्थापन करें। कलश को भगवान विष्णु का रूप माना गया है। नारियल के ऊपर लाल कपड़ा लपेटकर घट के ऊपर रखें सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है फिर कलश की पूजा करें।