राजस्थान में 19 नये जिलों की घोषणा से चुनाव में भाजपा को चुनौती

वसुंधरा और गहलोत की सियासी अदला-बदली में राजस्थान को क्या मिला? - what  rajasthan got in oscillating leadrship of vasundhara raje and ashok gehlot  - AajTak
भाजपा वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ना चाहते

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, सूरतगढ़ – 18 मार्च :

राजस्थान में 19 नए जिले और तीन नए संभाग बनाने की घोषणा करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक मारा है। उसका न राजनीतिज्ञों को अनुमान था न पत्रकारों को अनुमान था।कोई भी सोच नहीं सकता था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 19 जिलों की घोषणा कर सकते हैं।सभी दो तरह के अनुमान लगा रहे थे। एक अनुमान था कि चुनावी वर्ष में जब कुछ महीने बाकी है तब जिलों की घोषणा करके अशोक गहलोत लोगों के कोप का शिकार होना नहीं चाहेंगे। दूसरी सोच यह थी कि घोषणा पांच छह जिलों की हो सकती है लेकिन राजस्थान के इतिहास में जिलों से संबंधित यह बहुत बड़ी और ऐतिहासिक घोषणा हो गई।

निश्चित रूप से जिलों की इस घोषणा के पीछे अशोक गहलोत का मकसद आगामी विधानसभा चुनाव भी रहा है। जिन क्षेत्रों में जिले बनाए गए हैं वहां पर अनुसूचित जाति पिछड़ा वर्ग और आदिवासी क्षेत्र की सीटें आदि नजर में रखे गए। यह वर्ग विशेष के लोग वोटों की बहुत बड़ी पूंजी होते हैं।

  • राजनीतिक रिपोर्टर राजनैतिक धुरंधर और भारतीय जनता पार्टी के लोग शान बखारा करते रहे हैं कि 2023 के चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा। कांग्रेश को केवल 25-30 सीटें ही मिलेंगी। भारतीय जनता पार्टी को यह गुमान क्यों हो रहा था? कांग्रेस सरकार को फेल बताया जा रहा था। भारतीय जनता पार्टी के पास प्रचार करने वाले लोगों की संख्या बहुत है और हो सकता है कि खुद भाजपा ने ही यह मान लिया हो कि आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 150 के करीब सीटें मिल जाएंगी। कांग्रेस को तो 25-30 सीटों से ज्यादा देने का विचार भाजपा के अंदर नहीं रहा।
  • कांग्रेस खुद ने कभी अपनी पार्टी को कमजोर नहीं बताया।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अनेक बार दोहराया कि 2023 में फिर से कांग्रेस की सरकार आने वाली है और स्पष्ट बहुमत से आने वाली है।

हो सकता है कि अशोक गहलोत भी राजनीतिक दृष्टि से यह घोषणाएं करते रहे हो लेकिन 19 जिलों की जो घोषणा हुई है वह कमतर नहीं आंकी जा सकती। उसका व्यापक असर होगा। 19 जिला मुख्यालय जो घोषित हुए हैं उनके आसपास के क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर जोरदार असर कांग्रेस पार्टी का रहेगा। जो लोग और भारतीय जनता पार्टी के लोग दावा करते रहे हैं कि कांग्रेस को 25- 30 सीटों से ज्यादा नहीं मिलेंगी,यह कपोल कल्पित घोषित हो जाएगा।

जिलों की घोषणा से राजनीति में तूफान आने वाला है उसे समझा जाना चाहिए। अशोक गहलोत ने इन जिलों की घोषणा करके राजस्थान में कांग्रेस को इतना मजबूत कर दिया है और इस स्थिति में ला दिया है कि वह भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर दे सके। आने वाले चुनाव में अशोक गहलोत के पास में इन जिलों की घोषणा का भी बहुत बड़ा प्रचार तंत्र होगा।

भारतीय जनता पार्टी के पास में चुनाव लड़ने के लिए मोदी जी का चेहरा होगा। भाजपा के नेता वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ना चाहते। राजस्थान में वसुंधरा राजे को हटाकर भी चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। कांग्रेस सरकार द्वारा 19 जिलों की घोषणा के बाद में भारतीय जनता पार्टी के हाईकमान नेताओं को अब विचार करना होगा कि क्या अकेले नरेंद्र मोदी के चेहरे से राजस्थान का चुनाव जीत पाएंगे? भारतीय जनता पार्टी के लिए निश्चित रूप से एक खतरा पैदा हो गया है और यह खतरा अशोक गहलोत ने पैदा किया है। आने वाले चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को बहुत गंभीरता के साथ में फैसला करना होगा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए ही क्या चुनाव में सफलता मिल सकेगी?