चंडीगढ़ नगर निगम जोन एक के पार्किंग ठेकेदार ने बैंक गारंटी (सुरक्षा राशि) के 1.65 करोड़ रुपये बैंक में जमा नहीं किए थे। अब ठेका खत्म होने के बाद यह रकम फंस गई है। निगम का कहना है कि संबंधित बैंक से इसका सत्यापन कराया गया था और सत्यापन पत्र भी मिला था लेकिन बैंक का कहना है कि जो सत्यापन पत्र निगम के पास है वह फर्जी है, बैंक ने ऐसा कोई सत्यापन पत्र जारी नहीं किया है। ठेकेदार पर निगम के 7 करोड़ रुपये और बकाया हैं। फर्जीवाड़े का पता लगते ही निगम के पार्किंग विभाग के सुपरिंटेंडेंट सुनील दत्त ने सेक्टर-17 थाना पुलिस को ठेका कंपनी पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के मालिक संजय शर्मा सहित अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दी जिसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। नगर निगम ने वर्ष 2020 में शहर की 89 पार्किंगों को दो जोन में बांटकर उन्हें ठेके पर दिया था। जोन एक की 57 पार्किंगों का ठेका पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और जोन 2 की 32 पार्किंगों का ठेका रामसुंदर कंपनी को दिया गया था।
अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 12 मार्च :
चंडीगढ़ नगर निगम ने पेड पार्किंग मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि पेड पार्किंग के नाम धोखाधड़ी करने वाले कंपनी पाश्चात्य एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजय शर्मा को गिरफ्तार किया गया है। आज सेक्टर 17 निगम दफ्तर में शहर के SP (क्राइम) केतन बंसल, मेयर अनूप गुप्ता और कमिश्नर अनिंदिता मित्रा ने संयुक्त रूप से इस मामले में जानकारी दी।
मामले में कंपनी के दो डायरेक्टर्स के खिलाफ जांच चल रही है। कंपनी पर निगम को वर्ष 2020 में पार्किंग टैंडर लेने के दौरान 1.67 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटियां जमा करवाने का आरोप है। सेक्टर 17 थाना पुलिस ने बीते धोखाधड़ी की धारा में यह केस दर्ज किया था। बाद में EOW ने जांच के दौरान मामले में आपराधिक साजिश रचने की धारा(120-बी) भी जोड़ी थी।
आरोपों के मुताबिक, पार्किंग कांट्रैक्ट कंपनी निगम को लगभग 7 करोड़ रुपए(ब्याज सहित) की पार्किंग फीस जमा नहीं करवा पाई थी। जिसके बाद 1.67 करोड़ रुपए की तीन बैंक गारंटियां जमा करवाई, जो जाली निकली।
मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि अब कैनरा बैंक में मर्ज्ड हो चुके सिंडिकेट बैंक की मैनेजमेंट ने फरवरी 2020 में तीनों बैंक गारंटियों को सही बताया था। यह बैंक गारंटी कुल 1 करोड़ 65 लाख 33 हजार 333 रुपए की थी। हालांकि बाद में कैनरा बैंक ने इन बैंक गारंटियों को रद्द कर दिया था, जब निगम ने इन्हें इन कैश करवाने का प्रयास किया। कंपनी द्वारा निगम को 7 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस न भरने पर निगम ने बैंक गारंटी को इन कैश करवाना चाहा था जो फर्जी निकली।
कमिश्नर अनिंदिता मित्रा ने कहा कि मामले में विभागीय जांच भी शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि ज्वाइंट कमिश्नर पार्किंग विंग को देख रहे थे। उनकी रिपोर्ट अगले 10 दिनों में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य एंटरटेनमेंट लिमिटेड की ओर से समय पर पेमेंट नहीं की जा रही थी। इसे लेकर कंपनी को टेंडर टर्मिनेट करने का नोटिस दिया गया था। वहीं कंपनी निगम के कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में चली गई थी। उसका टेंडर कैंसल करने के फैसले के बाद रिकवरी के लिए बैंक गारंटी रिकवरी निकलवानी चाही।
मित्रा ने बताया कि बैंक को निगम ने कहा कि बैंक गारंटी उनके नाम ट्रांसफर की जाए। यह बैंक गारंटी लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की थी। हालांकि बैंक गारंटी में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद SSP को लेटर लिख निगम ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। कंपनी के खिलाफ ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। कंपनी के पास कुल 89 पार्किंग लॉट्स में से 57 थी। कंपनी पर ब्याज हटा कर 6.20 करोड़ रुपए का ड्यू था। वर्ष 2020 में यह टेंडर अलॉट किया गया था।