भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री डॉ. इन्दरबीर सिंह निज्जर ने पंजाब विधानसभा में दिया ध्यानाकर्षण का जवाब
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ : भूमि एवं जल संरक्षण विभाग मंत्री डॉ. इंदरबीर सिंह निज्जर ने कहा कि सिंचाई के लिए उपलब्ध नहर/भूजल के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली और सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिंकलर) सिंचाई प्रणाली की परियोजनाओं के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। इन आधुनिक तकनीकों से 20 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। यह बात भूमि एवं जल संरक्षण मंत्री डॉ. इन्दरबीर सिंह निज्जर ने आज पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधायक कुलवंत सिंह पंडोरी और मनजीत सिंह बिलासपुर द्वारा लाए ध्यानाकर्षण नोटिस का जवाब देते हुए कही।
इस सम्बन्धी अधिक जानकारी देते हुए मंत्री ने कहा कि किसानों के खेतों और नहरों से भूमिगत पाईपलाइन बिछाने के साझे प्रोजैक्टों की असली लागत और 90 प्रतिशत वित्तीय सहायता एवं ट्यूबवैल से निजी भूमिगत पाईपलाइन प्रोजैक्टों और 50 प्रतिशत सब्सिडी (अधिक से अधिक 22,000/- रुपए प्रति हेक्टेयर) दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान विधानसभा क्षेत्र महल कलाँ में 321 एकड़ किसानों की सिंचाई के लिए भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली की परियोजनाओं को वित्तीय और तकनीकी सहायता दी जा रही है। इसके अलावा, किसानों के खेतों पर सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिंकलर) प्रणाली के लिए किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान (लघु/सीमांत/अनुसूचित जाति/महिला किसानों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान) दिया जा रहा है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि चालू वर्ष 2022-23 के दौरान विधानसभा क्षेत्र महल कलाँ में किसानों के 37 एकड़ क्षेत्रफल और माइक्रो इरीगेशन सिस्टम के प्रोजैक्टों के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता दी जा रही है। राज्य में सरकारी/संस्थागत इमारतों की छतों और एकत्रित बारिश के पानी को ज़मीन में बोर करके भूजल संसाधन की भरपायी करने के लिए भूमि एवं जल संरक्षण विभाग द्वारा एक नई योजना शुरू की गई है, जिसके अधीन चालू वर्ष 2022-23 के दौरान रूफ-टॉप रेनवॉटर हारवैस्टिंग और आर्टीफीशियल रिचार्जिंग के प्रोजैक्टों का निर्माण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शहीद बीबी किरणजीत कौर मेमोरियल सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल, महल कलाँ पर भी ऐसे प्रोजैक्ट के निर्माण का प्रस्ताव है। इसके अलावा यह स्पष्ट किया जाता है कि राज्य में नहरी पानी की किसानों को सिंचाई के लिए आपूर्ति एवं अतिरिक्त नहरी पानी को ज़मीन में बोर करके धरती पर पहुँचाने का काम जल संसाधन विभाग से सम्बन्धित है। उन्होंने कहा कि खेतों और अन्य खाली स्थानों में एकत्रित बरसाती पानी में खादें, कीटनाशक और अन्य प्रदूषक पदार्थ होने के कारण इस पानी को निचले जल स्रोतों में घोल कर डालने की सलाह नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे भूजल संसाधनों के प्रदूषित होने का ख़तरा है।