फूड प्रोसेसिंग हब के तौर पर उभर रहा है, पंजाब : चेतन सिंह जौड़ामाजरा
कृषि उपज का मूल्य बढ़ाना समय की प्रमुख माँग : फूड प्रोसेसिंग मंत्री
भविष्य में पंजाब बनेगा फूड प्रोसेसिंग हब : चेतन सिंह जौड़ामाजरा
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ : नॉलेज चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (के. सी. सी. आई.) की तरफ से आज चंडीगढ़ में फूड प्रोसेसिंग और एग्री बिज़नस कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया गया। यह कॉन्फ़्रेंस भारत सरकार के फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय के सहयोग के साथ करवाई गई और उद्देश्य पंजाब में फूड प्रोसेसिंग उद्योग की संभावानाओं को उजागर करना था। कॉन्फ़्रेंस में पंजाब चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, कृषि उद्यमी कृषक विकास चैंबर, इंडियन इन्वेस्टर्स फेडरेशन ने सहयोग दिया।
फूड प्रोसेसिंग और बाग़बानी मंत्री, पंजाब स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने पंजाब के सौ से अधिक फूड प्रोसेसिंग उद्योगों, उद्यमियों, एफ. पी. ओज., स्टारअपज की मौजुदगी में कॉन्फ़्रेंस का उद्घाटन किया।
इस दौरान रवनीत कौर, आई. ए. एस., विशेष मुख्य सचिव, फूड प्रोसेसिंग, पंजाब सरकार, डा. श्रीमथी घोष, अवर सचिव, फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार, श्री राहुल मित्तल, माननीय प्रतिनिधि, नॉलेज चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, दलीप शर्मा, सचिव जनरल, पंजाब चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कॉन्फ़्रेंस के उद्घाटनी सैशन के दौरान संबोधन किया।
पानी के भरपूर स्रोतों की मौजुदगी और उपजाऊ मिट्टी की उपलब्धता के कारण हरित क्रांति के बाद पंजाब का अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर कृषि पर आधारित रही है। राज्य का ज़्यादातर हिस्सा उपजाऊ मैदानी इलाका है, जिसमें कई दरिया और एक व्यापक सिंचाई नहरी प्रणाली है। पंजाब का भारत के गेहूँ उत्पादन लगभग में 17 फीसद, इसके धान के उत्पादन का लगभग 12 फीसद और दूध उत्पादन में लगभग 5 फीसदी योगदान है, इस तरह पंजाब भारत के अनाज भंडार के तौर पर जाना जाता है। अपने भौगोलिक क्षेत्र में सिर्फ़ 1.53 फीसद क्षेत्रफल के बावजूद पंजाब का भारत के गेहूँ उत्पादन का लगभग 15-20 फीसद, चावल उत्पादन का लगभग 12 फीसद और दूध उत्पादन का लगभग 10 फीसद योगदान बनता है।
पंजाब के फूड प्रोसेसिंग मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने कहा कि राज्य सरकार फूड प्रोसेसिंग सैक्टर को काफी बढ़ावा दे रही है, जिससे न सिर्फ़ नौजवानों के लिए रोज़गार के मौके पैदा होंगे बल्कि किसानों को भी बड़ा लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य फूड प्रोसेसिंग हब के तौर पर उभर रहा है। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने फूड प्रोसेसिंग सैक्टर को प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रखा है और फूड प्रोसेसिंग यूनिटस को कई तरह के प्रोत्साहन देने की पेशकश की है।
मंत्री ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री पहले ही राज्य भर में 20 समर्पित ग्रामीण औद्योगिक हब स्थापित करने का ऐलान कर चुके हैं, जिससे औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि उद्योगपतियों को उनके यूनिट स्थापित करने में सुविधा देने के लिए यह हब अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ लैस होंगे। मंत्री ने स्टार्ट-अपस, उद्यमियों, उद्योगपतियों को पंजाब में अपने यूनिट स्थापित करने के लिए पूर्ण सहयोग और तालमेल का भरोसा दिया।
फूड प्रोसेसिंग के विशेष मुख्य सचिव रवनीत कौर, आई. ए. एस. ने कहा कि पंजाब निवेश सम्मेलन के दौरान औद्योगिक और व्यापारिक घरानों की तरफ से राज्य में निवेश करने के लिए सकारात्मक समर्थन मिला है। पंजाब, भारत का अन्नदाता है और पंजाब सरकार फूड प्रोसेसिंग सैक्टर को अधिक प्रोत्साहन दे रही है।
भारत सरकार के फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय की अधीन सचिव श्रीमथी घोष ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय द्वारा अपनी अलग-अलग स्कीमों के द्वारा पंजाब के लोगों को पूरा सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने राज्य सरकार और पंजाब के उद्योगपतियों को 3 से 5 नवंबर को नयी दिल्ली में होने वाले एक ग्लोबल इवेंट ‘मेगा फूड इवेंट-2023’ में शामिल होने के लिए न्योता दिया, जो आपसी सहयोग और संबंधों को दर्शाता है।
पंजाब चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सचिव जनरल दलीप शर्मा ने भी के. सी. सी. आई. की इस पहलकदमी का समर्थन किया और फूड प्रोसेसिंग और ऐगरीबिज़नस सैक्टर के स्थानीय पहलूओं के बारे चर्चा की। के सी. सी. आई. पंजाब के नुमायंदे राहुल मित्तल ने के. सी. सी. आई. की पंजाब के लिए दूरदर्शिता को विस्तृत ढंग से उजागर किया और बताया कि उद्योगों के विकास के लिए के. सी. सी. आई. जल्द ही बड़े स्तर पर अपना कार्यशील विंग शुरू करेगा।
उन्होंने ‘‘एक कोशिश’’ पहलकदमी के बारे भी बताया, जिससे स्थानीय इकाईयों को बहुत लाभ मिलेगा। ‘‘एक कोशिश’’ जिसका उद्देश्य ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में “जुगाड’’ के तौर पर जाने जाते लुप्त हो रहे सामयिक पेशों (मेकशिफटर) की पहचान करना और फिर 18 महीनों की निर्धारित मियाद में रजिस्टर करके पेटैंट करने के उपरांत उनको सुचारू बनाना है। ज़िक्रयोग्य है कि ‘‘एक कोशिश’’ पहलकदमी साल 2024 के आधार में ख़त्म हो जायेगी।
तकनीकी सैशन में रजनीश तुली, जनरल मैनेजर, पीएआईसीएल-पीएमएफएमई, पंजाब सरकार ने इस स्कीम के बारे संक्षिप्त में रौशनी डाली और उद्यमियों, स्वै-सहायता समूहों, गृह उद्योग को फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय द्वारा दी ग्रांटों के साथ अपने कारोबार को बढ़ाने का न्योता दिया।
सैशन में अन्य वक्ताओं में चंद्र शेखर डूडेजा, क्षेत्रीय प्रमुख, एपीईडीए, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने निर्यात के मौकों और स्कीमों के बारे रौशनी डाली, वरिन्दर शर्मा, डायरैक्टर, ऐमऐसऐमयी विकास संस्था, ऐमऐसऐमयी मंत्रालय, भारत सरकार ने ऐमऐसऐमईज़ के लिए दी जाने वाली सहायता के बारे रौशनी डाली, ध्रुव शर्मा, सीनियर इनवेस्टमैंट स्पैशलिसट-कृषि और फूड प्रोसेसिंग, इनवैस्ट इंडिया ने ज़मीनी स्तर पर फूड प्रोसेसिंग उद्योग मंत्रालय की तरफ से दी जाने वाली सहायता और इन उद्योगों के लिए उपलब्ध अलग-अलग स्कीमों और संभावनाओं और मार्केट विकास के बारे भी रौशनी डाली। प्रदीप कुमार, चीफ़ मैनेजर, ऐनऐसआईसी ने ऐमऐसऐमईज़, उद्यमियों और स्टार्ट-अप्पस के लिए उपलब्ध स्थानीय पहलूओं और स्कीमों को उजागर किया, तिमिर हरन रसमी समद, डिप्टी जनरल मैनेजर, सिडबी ने फूड प्रोसेसिंग सैक्टर के लिए फंड की उपलब्धता और योग्यता को उजागर किया।
राज्य सरकार ने इस कॉन्फ़्रेंस के आयोजन के लिए केसीसीआई के यत्नों की सराहना की जो इस क्षेत्र में समय की ज़रूरत है। अंत में के. सी. सी. आई. के डायरैक्टर नकुल प्रकाश ने केसीसीआई के यत्नों का समर्थन करने और इस समागम को सफल बनाने के लिए सभी आदरणियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।