- बढ़ते तापमान के चलते मार्च माह में गेहूं की फसल भी हीट वेब का शिकार होने की आशंका
डिम्पल अरोड़ा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कालावाली – 27 फरवरी :
रबी की फसल सरसों का क टान शुरू हो चुका है, लेकिन विगत वर्ष की बजाय इस बार उत्पादन कमजोर होने के चलते किसानों के चेहरे पर मायूसी देखी जा रही है। कमजोर उत्पादन का कारण 15 जनवरी के बाद पड़ा कोहरा माना गया है। उस फसल में अधिक नुकसान देखा जा रहा है जो फसल 1 से लेकर 10 अक्तूबर के मध्य अगेती बोई गई थी। किसानों के मुताबिक इस फसल में करीब 50 प्रतिशत तक नुकसान है। अगर विगत वर्ष के उत्पादन पर निगाह मारी जाए तो रिकॉर्ड फसल हुई थी। लेकिन इस बार सूखे कोहरे ने समीकरण बिगाड़ दिया। वहीं जिन किसानों ने सरसों की फसल की बिजाई 10 अक्तूबर के बाद की थी उस फसल में अपेक्षाकृत कम नुकसान है। ओढां खंड में वर्ष 2022-23 में 10 हजार 350 हेक्टेयर में सरसों की बिजाई हुई है। जबकि वर्ष 2021-22 में बिजाई 12 हजार 624 हेक्टेयर थी। वहीं इस समय तापमान में बढ़ोतरी होने के चलते गेहूं की फसल पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अगर तापमान में इसी तरह से बढ़ोतरी रही तो मार्च में गेहूं की फसल हीट वेब का शिकार हो सकती है।
नुहियांवाली के किसान जगदीश सहारण ने बताया कि इस बार उसने 7 एकड़ में सरसों की अगेती बिजाई की थी। 15 जनवरी के बाद पड़े सूखे कोहरे ने फसल का उत्पादन 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित कर दिया है। विगत वर्ष एक एकड़ में करीब 30 मण सरसों का उत्पादन हुआ था। लेकिन इस बार मात्र 10 से 15 मण सरसों हो पाएगी। वहीं किसान राधेश्याम सहारण का कहना है कि उसने 15 एकड़ में अगेती बुआई की थी। कोहरा पडऩे की वजह से फसल बूरी तरह से प्रभावित हुई है। उक्त किसानों ने बताया कि उन्होंने ऊंचे दाम देकर भूमि ठेके पर लेकर काश्त की थी। किसानों ने बताया कि इस बार बरसात नहीं हुई। अगर बरसात हो जाती तो उत्पादन अच्छा हो जाता। घना व सूखा कोहरा पडऩे की वजह से सरसों का उत्पादन आधा रह गया है।
इस बार पूर्व की अपेक्षा सरसों की बिजाई का रकबा घटा है जबकि गेहूं का बढ़ा है। इसका कारण विगत वर्ष गेहूं व जौ का उत्पादन कम होने के चलते बाजार भाव तेज होना है। सरसों की अगेती फसल पर सूखे कोहरे व पाले की मार अधिक पड़ी है। जिससे उत्पादन कम होना स्वाभाविक है। इस समय दिन का तापमान जिस तरह से बढ़ रहा है उसको देखते हुए आगामी मार्च माह में गेहूं की फसल भी हीट वेब का शिकार होने की आशंका है। जिससे गेहूं का दाना सूख जाता है। किसानों को चाहिए कि इसके लिए गेहूं में एनपीके 0:0:50 का 2 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से 150 लीटर पानी मे मिलाकर छिडक़ाव करें।
वहीं किसान लीलाधर जोशी के मुताबिक उसने इस बार 15 एकड़ मेें सरसों की पछेती बिजाई की थी। जिसमें अगेती की अपेक्षा कम नुकसान है। पछेती फसल में इस बार करीब 20 प्रतिशत के आसपास नुकसान है। वहीं किसान बलविन्द्र नेहरा, दलीप नेहरा, चेतराम दादरवाल, आशाराम नेहरा आदि ने बताया कि इस बार विगत वर्ष की अपेक्षा सरसों की फसल कमजोर है। विगत वर्ष उन्होंने प्रति एकड़ औसतन करीब 30 मण का उत्पादन लिया था। लेकिन इस बार उत्पादन उम्मीदों से कम है। इस बार मौसम फसल के अनुकूल नहीं रहा। किसानों ने बताया कि अधिक पाले की वजह से सरसों की फसल झुलसी अवस्था में हो गई जिस कारण फलियों में दाना बेहद कमजोर रह गया।
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