Sunday, December 22

श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में बाबा रामदेव जी का एक तीन सौ साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर को जाल वाले रामदेव जी का मंदिर भी कहा जाता ह। इस मंदिर में एक जाल का पेड़ लगा हुआ है, जिसकी जड़े खोखली हो गयी है। लेकिन इस पेड़ में आज भी हरे पत्ते आते हैं, यहीं नहीं इन पत्तों को शरीर पर लगाने से दाद खाज और घाव दूर हो जाते हैं। मंदिर में डाली बाई का मंदिर भी बना हुआ है। पुजारी कालूराम के अनुसार डाली बाई बाबा रामदेव की बहन है और पहले इनकी पूजा होती है और फिर बाबा रामदेव की। मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में श्रद्धालु अपनी शादी की मन्नतें पूरी करने आते हैं। स्थानीय निवासी मनोज ने बताया कि साल में दो बार इस मंदिर में मेला भरता है और इस मंदिर कि स्थापना सूरतगढ़ कि स्थापना के साथ ही हुई थी। जैसलमेर के रुणेचा के बाद यहां प्रदेश का सबसे बड़ा मेला भरता है। इस मेले में लाखो लोग श्रद्धा से अपना शीश झुकाते हैं और बाबा का आशीर्वाद पाते हैं। मंदिर कमिटी सदस्य ने बताया कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु आने के कारण कमेटी पूरी व्यवथा करने कि कोशिश करती है ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत नहीं हो।

सूरतगढ़ में है तीन सौ साल पुराना जाल वाला बाबा रामदेव जी का मंदिर

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ – 31 जनवरी :

उ.प.रेलवे के बीकानेर डिवीजन में सूरतगढ़ के समस्त चारों प्लेटफार्मों का विस्तार होगा। उत्तर दिशा की ओर सभी की लम्बाई बढाई जाएगी। प्लेटफार्म नं 4 को 24 कोच का बनाने का प्रस्ताव है।  इस विषय में 16 जनवरी 2023 की शाम को रेल अधिकारियों व ठेकेदार कं के प्रतिनिधि ने निरीक्षण किया था।

रामदेव मंदिर के पीछे रेल लाईन पर खड़े कोच की दूरी करीब 5-6 फुट रहती है

प्लेटफार्म नं पर बना हुआ बाबा रामदेव मंदिर के पीछे रेल लाईन पर खड़े कोच की दूरी करीब 5-6 फुट रहती है। प्लेटफार्म का विस्तार  इस मंदिर को शिफ्ट किये बिना संभव नहीं। मंदिर को  प्लेटफार्म के अंतिम जगह मुख्य द्वार  पूर्व सहित नये रूप में स्थापित कर भव्यरूप दिया जा सकता है। मंदिर कमेटी को इस दिशा में उचित निर्णय शीघ्र करना चाहिए।