“बजट 2023-24’’  भारतीय आतिथ्य उद्योग की वृद्धि को देगा गति

                   इस क्षेत्र में छुपी संभावनाओं को संभव बना कर अर्थव्यवस्था में इज़ाफ़ा किया जा सकता है, नए रोज़गार पैदा होंगे और मूल्यवान विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सकेगी

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ – 20 जनवरी :

                        पर्यटन और आतिथ्य उद्योग ऐसा क्षेत्र है जो अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है। साल 2021 में इस क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 178 अरब डॉलर का योगदान किया जो की जीडीपी का 5.6 प्रतिशत है और रोज़गार का 6 प्रतिशत।

                        पर्यटन उद्योग में 5.30 करोड़ नौकरियां तैयार करने का सरकार का जो ध्येय है उसकी पूर्ति में आतिथ्य उद्योग ही सबसे आगे रहेगा। पर्यटन मंत्रालय द्वारा अक्सर जिस सर्वेक्षण का उल्लेख किया जाता है उसके मुताबिक कृषि, विनिर्माण, रेलवे और परिवहन के मुकाबले होटलों व रेस्टोरेंटों में अधिक रोज़गार का रुझान है। इस तरह से व्यावहारिक इन्सेंटिव के माध्यम से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया जाना बेहद अहम है।

                        आतिथ्य उद्योग में तीव्रता से सामान्य स्थिति की बहाली के लिए सरकार का सहयोग अत्यंत महत्व का है तभी यह क्षेत्र अपनी पूरी क्षमता से नौकरियां पैदा कर पाएगा जहां महिलाओं व दिव्यांगों समेत सभी योग्य लोगों को, सभी श्रेणियों में काम मिल सकेगा। यह स्थिति तीन तरीकों से हासिल की जा सकेगी, टैक्स और टैक्स की दरों को तार्किक रख कर, नीतिगत हस्तक्षेपों से, सरल अनुपालन और कारोबार करने में आसानी।

                        भारतीय आतिथ्य उद्योग की शीर्ष संस्था होटल ऐसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसी मुद्दे पर अपने सुझाव भारत सरकार के समक्ष केन्द्रीय बजट 2023-24 हेतु प्रस्तावित किए हैं।

                        ये सिफारिशें इन शीर्षकों के तहत जमा की गई हैं: (1) प्रत्यक्ष कर (2) कस्टम व सेंट्रल ऐक्साइज़ (3) नीति एवं अन्य मुद्दे (4) अप्रत्यक्ष कर। केन्द्रीय बजट 2023-24 के लिए होटल ऐसोसिएशन ऑॅफ इंडिया का बजट-पूर्व मैमोरेंडम बहुत विस्तृत था।

                        वित्त मंत्रालय ने 30 नवंबर को परामर्श हेतु ऐसोसिएशन को आमंत्रित किया था जहां प्रतिनिधियों ने अपनी प्रमुख सिफारिशें पेश की थीं।

ऐसोसिएशन के निवेदन को मंत्रालय के अधिकारियों व अध्यक्ष द्वारा सहानुभूति पूर्वक सुना गया।

                        उद्योग को आशा है की इस वर्ष के बजट में कुछ अनुकूल नीतिगत घोषणाएं होंगी जिनसे न सिर्फ इस क्षेत्र की तेज़ी से रिकवरी होगी बल्कि होटलों की दीर्घकालीन वृद्धि और विकास भी होगा। होटलों के निर्माण में बड़ी पूंजी लगती है और उन्हें लाभकारी होने में भी लंबा वक्त लगता है तथा इनके परिचालन की लागत भी अत्यधिक व स्थायी होती है।

                        होटल निवेश को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए सुविधापूर्ण फाइनेंसिंग और परिचालन लागत घटाना गेम चेंजर साबित हो सकते हैं, इसके अलावा होटलों की क्षमताओं में इज़ाफा होगा जिससे की देश में होटल रूम्स की वर्तमान कमी को पूरा किया जा सकेगा। प्रत्यक्ष और अपरोक्ष रूप से रोज़गार उत्पन्न करने की होटलों की जो क्षमता है उसे हर कोई अच्छी तरह जानता है। इसके अलावा, होटलों की वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर व कनेक्टिविटी बेहतर होती है तथा उस इलाके व उसकी आसपास की जगहों पर लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होता है।