क्रॉस वोटिंग के डर से तीनो पार्टियो ने अपने पार्षद भेजे शहर से बाहर
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ : मेयर चुनाव को लेकर चढ़ते सियासी पारे के बीच सत्ता पक्ष बीजेपी और आम आदमी पार्टी जीत को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है। जबकि नामांकन प्रक्रिया से दूर रख कांग्रेस खुद को किंग मेकर के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है। अब किस में कितना दम और किस के दावे सही है इसकी पूरी तस्वीर तो मंगलवार 17 जनवरी को ही साफ हो सकेगी।
बरहाल, बीजेपी पार्षद जहां मोरनी में है तो आप के पार्षद रोपड़ और पंजाब के दौरे पर हैं। इसी तरह कांग्रेसी पार्षद हिमाचल की वादियों में घुमने फिरने के साथ हिमाचल के मंत्री और विधायकों से मिल रहे हैं। मंत्री औरविधायकों से चंडीगढ़ की सियासी चर्चाएं की जा रही है।
चुनाव को लेकर चल रही विभाजन राजनीति से दूर रखने के लिए भाजपा के साथ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपने पार्षदों को शहर से बाहर अलग-अलग जगहों पर भेजकर सेंधमारी से ‘संरक्षण’ कर रही है।
इसमें पार्षदों के साथ गए तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता अहम भूमिका निभा रहे हैं । बीजेपी-आप पार्षदों का ब्रेन वॉश करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि मतदान प्रक्रिया में किसी का भी मन डालने से बचाया जा सके। घूमने फिरने के अलावा बैठकों का दौर भी चल है साथ साथ में गुपचुप एक-दूसरे पर निगाह भी गढ़ाई हुई है। पार्षदों को दौरे पर ले जाने के पीछे सबसे बड़ा डर यह है कि कहीं वे दूसरे दल के नेताओं के बहकावे में आकर मतदान न करा दें।
कांग्रेस-अकाली दल नहीं खोल रहे पत्ते
मेयर के चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। वह पिछली बार की तरह चुनाव में हिस्सा लेंगी या वॉकआउट करेंगी, इस पर फिलहाल
संस्पेंस कायम है। वहीं शिरोमणि अकाली दल के एकमात्र पार्षद हरदीप सिंह ने भी मेयर चुनाव में भाग लेने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पार्टी की चंडीगढ़ यूनिट के प्रधान और एकमात्र सदन के पार्षद हरदीप सिंह का कहना है कि इस पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल लेंगे। उनका वोट बीजेपी और आप दोनों के लिए काफी अहम हो सकता है।
कांग्रेस समेत आप और बीजेपी अपने पार्षदों पर पैनी नजर रख रही है, कहीं वे दूसरी पार्टी के बहकावे में न आ जाएं. दूसरी तरफ ये पार्टियां क्रॉस वोटिंग के लिए दूसरी पार्टियों को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं। बीजेपी ने मेयर पद के लिए पिछली बार डिप्टी मेयर रहे अनूप गुप्ता को मैदान में उतारा है तो आप ने मेयर पद के लिए जसबीर सिंह लाडी को उम्मीदवार बनाया है। सीनियर डिप्टी मेयर पद के लिए कंवर राणा और डिप्टी मेयर पद के लिए हरजीत सिंह का नाम बीजेपी ने तय किया था, वहीं आप ने तरुणा मेहता को सीनियर डिप्टी मेयर और सुमन शर्मा को डिप्टी मेयर बनाया है।
कांग्रेस-अकाली दल मतदान में उतर गए तो बहुमत के लिए 19 का वोट फेर फंसेगा
निगम सदन में बीजेपी और आप के पास 14-14 सीटें हैं. बीजेपी सांसद खेर का भी अलग वोट है. इसके साथ ही शिरोमणि अकाली दल का एक भी वोट निर्णायक साबित हो सकता है। अगर कांग्रेस और अकाली दल मतदान में उतर गए तो मेयर पद के लिए बहुमत साबित करने के लिए 19 वोटों की जरूरत होती है। यह लगातार दूसरा साल है जब मेयर चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्षद शहर से बाहर चले गए हैं। पार्टी आलाकमान ने पार्षदों के बिखराव के डर से इन सभी को हिमाचल भेज दिया ।
आलाकमान के आदेश के अनुसार मतदान का फैसला : लक्की
चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लकी ने पत्रकारों को एक वीडियो जारी कर जानकारी दी है कि पार्टी आलाकमान के आदेश के अनुसार ही चुनाव में भाग लेने पर फैसला लेंगे। कांग्रेस अब तक के चुनावों में ‘गेम चेंजर’ की भूमिका निभा रही है, लेकिन पिछले साल के माहौल के चलते सबकी निगाहें अब अकाली दल के इकलौते पार्षद हरदीप सिंह पर टिकी हैं, क्योंकि बीजेपी के पास एमपी समेत कुल 15 वोट हैं. वोट, जबकि आम आदमी पार्टी के पास कुल 14 वोट हैं। अब अकाली दल के पार्षद हरदीप सिंह का एक वोट बीजेपी के खेल को उलट सकता है, लेकिन इसकी संभावना पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। क्योंकि शिरोमणि अकाली दल पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रतिद्वंद्वी पार्टी है ऐसे में भाजपा और आम आदमी पार्टी ही चुनावी मैदान में एक दूसरे के आमने-सामने हैं। अगर नाराज पार्षदों में गुटबाजी नहीं हुई तो भाजपा की जीत तय हो सकती है। दूसरी तरफ, बीजेपी के प्रधान अरुण सूद पार्षदों के साथ नहीं गए। कहा जाता है कि व्यक्तिगत वजह से सूद नहीं जा सके। पार्षदों के साथ दौरे पर पार्टी उपाध्यक्ष देविंदर सिंह बबला के अलावा प्रदेश महामंत्री रामबीर भट्टी और पूर्व अध्यक्ष संजय टंडन पहले दिन तक पार्षदों के साथ रहे।
आप पार्षदों का नाचते-गाते वीडियो हुआ वॉयरल, जश्न ऐसा कि मानो मेयर चुनाव का रण जीत लिया :
वहीं, आप पार्षदोें का नाचते-गाते हुए वोडियो भी वॉयरल हुआ इसमें जश्न इस तरह से मनाया जा रहा है मानो उन्होंने मेयर चुनाव के रण में झंडा गाड़ दिया हो। कुल मिलाकर यह मेयर चुनाव से ठीक पहले खुद को तनावमुक्त किए जाने की भरसक कोशिश की जा रही है।