पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 05 जनवरी 23 :
नोटः आज पौष पूर्णिमा एवं आज से माघस्नान प्रारम्भ है। एवं श्रीसत्यनारायण व्रत, शाकम्भरी जयन्ती है।
श्रीसत्यनारायण व्रत : सत्य को नारायण के रूप में पूजना ही सत्यनारायण की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। सत्य में ही सारा जगत समाया हुआ है. सत्य के सहारे ही शेष भगवान पृथ्वी को धारण करते हैं।
पौष पूर्णिमा, माता शाकंभरी की जयंती : 6 जनवरी 2023 को पौष पूर्णिमा पर माता शाकंभरी की जयंती मनाई जाएगी। मां शाकंभरी वनस्पति की देवी मानी जाती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्र की शुरुआत होती है और इस महीने की पूर्णिमा तिथि पर इसका समापन होता है।
माघ स्नान प्रारंभ : पंचांग के अनुसार,6 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 16 मिनट से पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी, जो 7 जनवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार 6 जनवरी पूर्णिमा से ही माघ स्नान प्रारंभ हो जाएगा। माघ मास का स्नान-व्रत धारण करने वाले साधक इसी तिथि से कल्पवास शुरू करते है,जिसकी पूर्णता माघी पूर्णिमा पर होती है।
विक्रमी संवत्ः 2079, शक संवत्ः 1944, मासः पौष, पक्षः शुक्ल पक्ष, तिथिः पूर्णिमा, रात्रि कालः 04.38 तक है, वारः शुक्रवार।
विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः आर्द्रा, रात्रि कालः 12.14 तक है,
योगः ब्रह्म प्रातः काल 08.10 तक,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः धनु, चंद्र राशिः मिथुन,
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.19, सूर्यास्तः 05.35 बजे।