देशभर में किसानों से सालभर में एम.एस.पी. पर 2.75 लाख करोड़ रुपए की रिकार्ड फसल खरीदी
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 23 दिसम्बर :
कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने वीरवार को कहा कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देशभर में एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड की महत्वाकांक्षी योजना से गरीब वर्ग को काफी राहत मिली है।
तोमर ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने 3.90 लाख करोड़ रुपए खर्च करके गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया है, वहीं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए सरकार ने 2021-22 में एमएसपी पर 2.75 लाख करोड़ रुपए की रिकार्ड खरीदी की है।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने उपभोक्ता कार्य, खाद्य, सार्वजनिक वितरण मंत्रालय व कृषि से संबंधित उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के चलते गरीबों को होने वाली कठिनाइयां दूर करने और खाद्य सुरक्षा पर महामारी के प्रभाव कम करने के लिए चलाई गई, जिसके सकारात्मक परिणाम परिलक्षित हुए। मार्च-2020 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने करीब 80 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) एवं प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच) लाभार्थियों को पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 5 किलो प्रति व्यक्ति-प्रति माह आधार पर अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी, जिसके तहत अभी तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1118 एल.एम.टी. खाद्यान्न आवंटित किया गया है, जिस पर 3.90 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पीएमजीकेएवाई का 7वां चरण (अक्टूबर-दिसंबर, 2022) चालू है।
तोमर ने बताया कि एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड सहित विभिन्न योजनाओं के तहत पोषणयुक्त चावल का वितरण, लक्षित सार्वजनिक वितरण सहित केंद्र की अन्य योजनाओं का लाभ सभी लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड योजना की प्रगति बताते हुए उन्होंने कहा कि अगस्त-2019 में 4 राज्यों के बीच पोर्टेबिलिटी के साथ शुरूआत करते हुए अब तक सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इस योजना को शुरू किया जा चुका है, जिसमें लगभग 80 करोड़ एन.एफ.एस.ए. लाभार्थी यानी देश की लगभग सौ प्रतिशत एनएफएसए आबादी शामिल है। अगस्त-2019 में ओएनओआरसी योजना की शुरूआत के बाद से, इस योजना के तहत 93 करोड़ से ज्यादा पोर्टेबिलिटी लेन-देन दर्ज किए गए हैं, जिसमें 177 एल.एम.टी. से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है। वर्ष 2022 के दौरान 11 महीनों में 39 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन किए गए, जिनमें एन.एफ.एस.ए. और पी.एम.जी.के.ए.वाई. के इंटर-स्टेट व इंट्रा-स्टेट पोर्टेबिलिटी लेनदेन सहित 80 एल.एम.टी. से अधिक खाद्यान्न वितरित किया है।उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा की चावल की पोषकता व इसका दायरा बढ़ाने के लिए 75वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2021) को सभी सरकारी योजनाओं में पोषणयुक्त चावल की आपूर्ति कर पोषण प्रदान करने की घोषणा की गई थी। वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आईसीडीएस, पीएम पोषण को कवर करते हुए पहले चरण का कार्यान्वयन शुरू हो गया था। आई.सी.डी.एस. व पीएम पोषण के तहत 17.51 लाख मीट्रिक टन पोषणयुक्त चावल का वितरण हुआ है।दूसरे चरण पर कार्यान्वयन अप्रैल-2022 से शुरू हो गया है। 16.79 एलएमटी चावल राज्यों ने ले लिया है। तीसरे चरण का कार्यान्वयन वर्ष 2023-24 से शुरू होगा, जिसमें देश के बाकी कुछ जिले भी कवर हो जाएंगे। उन्होंने बतायाकि लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) में सुधार के तहत सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एनएफएसए के 100 प्रतिशत राशन कार्ड/लाभार्थियों के आंकड़े डिजिटल हुए हैं। लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करने वाले 19.5 करोड़ राशन कार्डों का विवरण राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पारदर्शिता पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
99.5 प्रतिशत से अधिक राशन कार्ड आधार (परिवार का कम से कम एक सदस्य) से जुड़े हैं। लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न के पारदर्शी, सुनिश्चित वितरण के लिए 99.8 प्रतिशत (5.34 लाख में से 5.33 लाख) उचित मूल्य की दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ़ सेल उपकरणों के उपयोग के साथ ही स्वचालित काम हो रहा है।केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2022-23 के दौरान 4 दिसंबर 2022 तक 339.88 एल.एम.टी. धान (चावल के मामले में 227.82 एलएमटी) की खरीद की गई है, जिससे 70 हजार करोड़ रुपए के एम.एस.पी. मूल्य के साथ लगभग 30 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। खरीफ में धान की खरीद 2013-14 में 475 एल.एम.टी. थी, जो 2021-22 में बढ़कर 759 एलएमटी हो गई (60 प्रतिशत की वृद्धि)। आठ साल में खऱीद मूल्य में 132 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (अब कुल मूल्य लगभग डेढ़ लाख करोड़ रु. है)। वहीं, रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के दौरान 187.92 एल.एम.टी. गेहूं की खरीद की गई, जिससे लगभग 17 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं, जिनका एम.एस.पी. मूल्य करीब 38 हजार करोड़ रुपए था। रबी खऱीद 2013-14 में 251 एल.एम.टी. थी, जो 2021-22 में बढ़कर 433.44 एल.एम.टी. हो गई है (73 प्रतिशत वृद्धि)। आठ साल में खऱीद मूल्य में 152 प्रतिशत की वृद्धि हुई है (अब कुल मूल्य लगभग साढ़े 85 हजार करोड़ रु. है)।
तोमर ने बताया कि वर्ष 2014-15 में खाद्यान्न (गेहूं, धान और दालों सहित) की कुल खरीद 759.44 लाख टन थी, जो 2021-22 में बढ़कर 1345.45 लाख टन हो गई। इसी तरह, 2014-15 में एम.एस.पी. के मूल्य व कुल खरीद के हिसाब से खर्च 1.06 लाख करोड़ रुपये था, जो मोदी सरकार में 2021-22 में बढ़कर 2.75 लाख करोड़ रुपए हो गया। वर्ष 2015-16 में खाद्यान्न उपार्जन से 78.3 लाख किसानों को लाभ हुआ, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 194 लाख (किसानों की संख्या) हो गया। इसी तरह सालभर में 7 राज्यों में 13 लाख टन मोटे अनाज की खऱीदी भी की गई है।
तोमर ने बताया कि भारतीय चीनी उद्योग महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है, जिससे 5 करोड़ गन्ना किसान जुड़े हैं। आज भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपए है। शुगर सीजन 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 6.2 एल.एम.टी., 38 एल.एम.टी. व 59.60 एल.एम.टी. चीनी का निर्यात किया गया है। चीनी सीजन 2020-21 में 60 एल.एम.टी.के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 एल.एम.टी. का निर्यात किया गया है। चीनी सीजन 2021-22 में, भारत ने 110 एलएमटी से अधिक चीनी का निर्यात किया है और दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। सरकार द्वारा 29 नवंबर 2022 तक किए उपायों के परिणामस्वरूप चीनी सीजन 2021-22 के लिए कुल 118271 करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य बकाया में से किसानों को 114981 करोड़ रुपए चुका दिए गए, इस प्रकार 97 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया गया है। पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण योजना के बारे में श्री तोमर ने बताया कि सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल के 10 प्रतिशत सम्मिश्रण और 2025 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है। देश में एथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (31.10.2022 तक) बढ़कर 925 करोड़ लीटर हो गई है। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक की ईज आफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) रैंकिंग में भारत की उल्लेखनीय छलांग लगी है। ई.ओ.डी.बी. रिपोर्ट 2020 में 190 देशों में, वर्ष 2013 में 134वें स्थान से छलांग लगाते हुए 63वें स्थान पर, अर्थात वर्ष 2013 से 71 रैंक की छलांग है।