Tuesday, December 24
  • हरियाणा सरकार के एम एस एम ई विभाग के अधिकारियों को सद्बुद्धि की करेंगे प्रार्थना 
  • हरियाणा के इंडस्ट्रिलिस्ट व  व्यापारी वर्ग  करेगा  गांधीगिरी

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ :  

            हरियाणा सरकार के एम एस एम ई विभाग के अधिकारियों को सद्बुद्धि देने के लिए अब हवन होगा। ये हवन करेंगे हरियाणा के उद्यमी और व्यापारी। ये सभी अधिकारियों को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना भी करेंगे।

            अजयवीर सहगल समाजसेवी इंडस्ट्रियलिस्ट व हरियाणा चेंबर ऑफ कॉमर्स के मेंबर वह ओपेरा चैरिटेबल फाउंडेशन के कर्ताधर्ता का कहना है कि हरियाणा सरकार में एमएसएमई एक्ट 2016 में लागू हुआ था। मध्यम वर्ग के इंडस्ट्रिलिस्ट व व्यापारियों के लिए मुश्किलों को आसान करने की कवायद मानी जाती थी। इस एक्ट के अनुसार इंडस्ट्रीज व व्यापारियों के पेमेंट से जुड़े मामले एमएसएमई विभाग 90 दिनों के अंदर अवार्ड देता था। पिछले 3 वर्षों से भारत में  कामयाबी की   मिसाल हरियाणा के  सबसे काबिल मुख्यमंत्री व ब्यूरोक्रेसी के अफसरों के बावजूद एमएसएमई विभाग 3 सालों से कछुए की चाल से रेंग रहा है। जिस काम के लिए एक्ट में 90 दिन का समय नहीं किया गया है वह काम 33 सालों के बावजूद लंबित पड़े हुए हैं। इस वक्त लगभग 600 के एमएसएमई विभाग के पास पेंडिंग हैं। 

            अजयवीर का कहना है कि एमएसएमई विभाग ने उन्हें उनके इंडस्ट्रीज भाइयों को इतना परेशान किया है कि मजबूरन उन्हें सबक सिखाने के लिए वह उन्हीं के विभाग के बाहर सुबह 9:30 बजे हवन करवाएंगे। ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे और वह अपने कार्य को तीव्र गति से कर पाए। 

कैसे काम करता है एमएसएमई विभाग

            किसी भी उद्योग या व्यापार में समय से भुगतान बहुत ही आवश्यक है यदि समय से इंडस्ट्रीलिस्ट को अपनी पेमेंट ना मिले तो वह तरक्की नहीं कर पाता ।इन्ही मुश्किलों को देखते हुए 2016 में एमएसएमई एक्ट लागू किया गया था जिसमें शिकायत प्राप्त होने पर एमएसएमई काउंसिल को 90 दिनों  के अंदर किसी भी डिस्प्यूट का सेटलमेंट करवाना आवश्यक था, ताकि इज ऑफ डूइंग बिजनेस मेंटेन रहे ।

            एमएसएमई विभाग शिकायत मिलने पर सबसे पहले सेटलमेंट करवाने की कोशिश करता है और यदि अगर सेटलमेंट ना हो तो आर्बिट्रेरर अप्वॉइंट करके आर्बिट्रेटर को ही अवार्ड करने की पावरे थी ।  लेकिन पिछले कुछ वर्षों से  आर्बिट्रेटर से सीधे अवार्ड करने की पावर वापस ले ली गई हैं। आर्बिट्रेटर को अपनी रिपोर्ट दोबारा से काउंसिल में जमा कराने को कह दिया गया है। इसी के बाद एड हाकिस्म और इंजस्टिस एमएसएमई डिपार्टमेंट में चरम पर है । भ्रष्ट अधिकारियों के चलते आर्बिट्रेटर की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया जाता या फिर 2 या 3 सालों के बाद यह कह दिया जाता है कि आर्बिट्रेटर की रिपोर्ट ही गलत है। गौरतलब है कि अभी भी 600 मामले हरियाणा एमएसएमई के काउंसिल के पास पेंडिंग पड़े हैं।