भारत में 9 से 32 प्रतिशत लोगों को फैटी लीवर डिसीज (नॉन एल्कोहल फैटी लिवर डिसीज)
- लेकिन आधुनिक डाइग्नोसिस से जल्द पहचान निदान सम्भव- डॉ सार्थक
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, रोहतक :
आज के समय में फैटी लीवर डिसीज काफी कॉमन हो गई है. नेशनल हेल्थ पोर्टल के मुताबिक, भारत में 9 से 32 प्रतिशत लोगों को नॉन एल्कोहल फैटी लिवर डिसीज हो सकता है. इस बीमारी के कुछ वार्निंग साइन पेट में भी नजर आते हैं, जिनका मतलब होता है कि लिवर डैमेज हो चुका है , ये कहना है डॉ सार्थक का जो की रोहतक में पेट के रोगों सम्बन्धित जागरूकता टॉक देने पहुंचे थे
विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंटेस्टाइनल डिजीज की समस्या लगातार बढ़ रही है। इस समस्या के बारे में बात करते हुए, दिल्ली के डॉ सार्थक मलिक कंसलटेंट- गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट मणिपाल हॉस्पिटल दिल्ली, ने कहा, “गैस्ट्रो और लिवर की समस्याओं में वृद्धि के कई कारण हैं। इनमें तनाव और सिडेंटरी लाइफस्टाइल, खराब खान-पान, धूम्रपान, शराब पीना और नशीली दवाओं का सेवन शामिल हैं। फैटी लिवर, डायरिया, कब्ज, एसिडिटी और पीलिया जैसी समस्याएं रोहतक के लोगों में सबसे आम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हैं।”
ज्यादातर मामलों में, यह देखा गया है की उपचार में देरी और शुरुआती लक्षणों की अनदेखी मुख्य कारण होते है। डॉ. सार्थक ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लोग प्रोसेस्ड और फ्राइड भोजन की ओर आकर्षित रहते हैं। वे कम पानी पीते हैं और फल, सब्जियों को अपनी रोज़ाना के भोजन में कम शामिल करते हैं जो फाइबर और पोषक तत्वों का मुख्य स्रोत हैं। पीलिया, पेट फूलना और सिरोसिस जैसी समस्याएं इन लिवर की बीमारियों का विकराल रूप हैं और अक्सर शराब पीने, हेपेटाइटिस ए और बी का परिणाम होते हैं। यदि लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है, तो यह लिवर कैंसर जैसे घातक परिणाम भी दे सकता है।
इसलिए, शुरुआती संकेतों और लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करने की सलाह दी जाती है, जिनमें शामिल हैं, मल में खून आना, अचानक वज़न कम होना और भूख न लगना। आंत या पेट से खून अल्सर या लीवर की बीमारी का परिणाम हो सकता है। पेट के संक्रमण की समस्याओं को नियमित रूप से परामर्श और रिपोर्ट करना चाहिए ताकि उन्नत उपचार तकनीक की मदद से समय पर इसका समाधान किया जा सके।
मणिपाल हॉस्पिटल, दिल्ली के डॉक्टर नियमित रूप से रोहतक में विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करते हैं।