शुद्ध देसी नस्ल की गायों और नंदी के संरक्षण एवं संवर्धन का केंद्र बना गोचर गौशाला :  मंजू मल्होत्रा फूल

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ :

            मानव जीवन में गौ का विशिष्ट महत्व है, परित्यक्त गौ व गौवंश की सुरक्षा व संवर्धन के लिये गौशाला का अधिक योगदान है । गाय पालन के लिए प्रयुक्त घर गौशाला या गोधाम कहलाता है। गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, इसी संदर्भ में दिल्ली से गौमाता के दर्शन हेतु  लेखिका मंजू मल्होत्रा के साथ माता बिमला देवी मल्होत्रा गांव गोचर गोशाला के दर्शन किए और अपने वक्तव्य में बताया की  ॐ हरे कृष्ण सुदामा गौशाला गांव गोचर जिला मोहली जिसमें देसी नस्ल की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन का केंद्र के साथ साथ देसी नस्ल के नंदी शाला और गोशाला भी है। गौशाला एवं नंदीशाला का पूरा वातावरण  बहुत ही शुद्ध एवं पवित्र है। शुद्ध देसी  नस्ल की गौ माताओं, नंदी जी एवं उनके छोटे छोटे बछड़ों को गौशाला के मैदान में बैठे और विचरते देख कर यह अनुभव होता है की  मानो उनके बीच साक्षात श्री कृष्ण जी भी विराजमान है।

            गौशाला में देसी  गाय के गोबर से लीपा हुआ चूल्हा,भोजन ग्रहण करने के स्थान को भी यहां गोबर से लीप कर पवित्र बनाया गया है। शुद्ध ताज़ा छाछ, दूध, माखन, भारत की संस्कृति, धरोहर और विरासत को पूरी तरह से इस गौशाला में संजोकर रखा गया है। चारों ओर से घने वृक्षों से घिरा हुए नंदी धाम में एक स्थान को पक्षियों के लिए दाना डालने के लिए अलग से सजाया गया है साथ ही प्रभु श्री कृष्ण मंदिर एवम स्वामी नदी पार वाले महाराज के स्थान दर्शन और साथ ही छोटे तालाब में मछलियां भी इस स्थान की शोभा और धार्मिक महत्व को चार चांद लगाती है । 

            गौशाला में नंदी जी और शुद्ध देसी गायों के मुख पर एक अलग ही आभा और प्रेम भाव प्रतीत होता है।जो की आने वाले समय में गोधाम तीर्थ स्थल से जाना जाएगा। इसके साथ ही अच्छी नस्ल की देसी गाय का दूध यदि बच्चों को 10 वर्ष की आयु तक पिलाया जाए तो उनकी बुद्धि प्रखर तथा अच्छे संस्कार एवं अच्छी सोच उनमें उत्पन्न होती है। 

            हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार गौमाता के रोम रोम में 33 कोटि देवताओं का वास है। श्री कृष्ण भगवान को गैया बहुत ही प्रिय थी। गाय विश्व की माता है तथा इसे जानना और समझना जरूरी है। बदलती पर्यावरण की परिस्थितियों में  शुद्ध हवा की वातावरण में बहुत कमी  हो रही है। जीवन जीने के लिए हमें ऑक्सीजन की जरूरत होती है। आज सबसे बड़ा देवता ऑक्सीजन है।  गाय 24 घंटे ऑक्सीजन देती है। इस तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से  गाय में सबसे बड़े देवता का वास है। गाय को हमारा प्रेम और सम्मान चाहिए। दूध ना देने वाली गाय का जब हम सम्मान करते हैं तो वह कामधेनु बन जाती है और हमारी हर इच्छा पूरी करते हैं।  हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार भी गाय के गोबर में  मां लक्ष्मी जी का वास है। गाय को हमें रोजगार से भी जोड़ना चाहिए। गोबर प्लांट लगाकर उसकी गैस का घरों में प्रयोग किया जाए तथा वाहन चलाने में प्रयोग किया जाए। हमने यदि गाय के गोबर को आजीविका से जोड़ दिया तो एक नए समृद्ध भारत का निर्माण अवश्य होगा।