छोटे स्कूलों को बंद करके शिक्षा को  महंगा  करना चाहती है सरकार – डॉ कुलभुषण शर्मा

डेमोक्रेटिक फॉन्ट संवाददाता, चंडीगढ़ 16 दिसंबर :

            हरियाणा सरकार के भेदभाव पूर्ण रवैये के कारण हरियाणा के करीब 5000 स्कूल बंदी के कगार पर पहुँच गए हैं, जिनमे 2000 से अधिक स्कूल, वह स्कूल हैं जो अस्थाई मान्यता प्राप्त हैं I हर वर्ष सरकार द्वारा उन्हें एक वर्ष की एक्सटेंशन प्रदान कर दी जाती थी ताकि वे अपने नियम पुरे कर सके इस वर्ष सरकार द्वारा इन स्कूलों की मान्यता की अवधि न बढ़ाने से इनमे पढ़ने वाले 5 लाख बच्चों के भविष्य पर  अंधकार के बादल छा गए हैं यह कहना हैं निसा के राष्ट्रिय अध्यक्ष और फेडरेशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा का जो आज चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता में पत्रकारों को सम्बोधित कर रहे थे I

            उन्होंने कहा की कोरोना महामारी के चपेट की  आर्थिक मंदी से प्राइवेट स्कूल निकलने की ही कोशिश कर रहे थे की सरकार ने उन की मान्यता की अवधि ना बढ़ाकर उनको मरने के लिए और उनमे पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेसहारा छोड़ दिया है I

            कुलभूषण शर्मा ने कहा की सरकार अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर छोटे स्कूलों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के नियमो का हवाला देकर बंद करना चाहती है जबकि सरकार के खुद के स्कूल आर.टी.ई. के नियमो की पालना नहीं करते है I

            उन्होंने खुद के द्वारा डाली गई RTI के  हवाले के द्वारा दी गयी सुचना के आधार पर बताया की हरियाणा में बहुत से सरकारी स्कूल भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के नियमों पर खरा नहीं उतरते फिर सरकार इस प्रकार की कार्यवाही सिर्फ छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ़ ही क्यों करना चाहती है जो 20-20 सालो से प्रदेश के बच्चों को सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों से एक तिहाई से 1/6 से भी कम पर प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई प्रदान कर रहे है उन्होंने मुख्यमंत्री से इस भेदभाव पूर्ण कार्य पर तुरंत रोक लगा कर ऐसे स्कूलों को रहत प्रदान करने की मांग की है तथा अनुरोध किया है की जब पुरे भारतवर्ष में कहीं भी प्राइवेट स्कूलों से aisa व्यवहार नहीं हो रहा है तो हरियाणा में ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार बंद होना चाहिए और ऐसे स्कूलों को नियमों में राहत प्रदान कर मान्यता प्रदान करनी चाहिए I

            उन्होंने प्राइवेट स्कूलों में सरकारी स्कूलों में प्रवेश में हो रहे भेदभाव होने का आरोप लगाया उन्होंने कहा की सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन दाखिला करने पर ओ. टी. पी.  सरकारी स्कूल के मुखिया के फ़ोन पर जाता है जबकि प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश करने पर ओ.टी.पी. अभिभावकों के फ़ोन पर जाता है जिससे प्राइवेट स्कूल के विद्यार्थियों को प्रवेश देने में दिक्कत हो रही है उन्होंने कहा की यह प्रक्रिया एक सामान होने चाहिए, ना कि भेदभावपूर्ण उन्होंने कहा सरकार को तुरंत शिक्षा और वोद्यार्थियों के हित में प्राइवेट और सरकारी स्कूलों और विद्यार्थियों में भेदभाव ख़त्म करना चाहिए वरना प्राइवेट स्कूल इसके लिए आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा I