Friday, December 27

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो :

            उपभोक्ता कार्य खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने वीरवार को कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और उसकी अन्य कल्याणकारी योजनाओं सहित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अतिरिक्त आबंटन की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार के केंद्रीय पूल में अनाज का पर्याप्त भंडार मौजूद है। एक जनवरी, 2023 तक लगभग 159 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं उपलब्ध हो जाएगा। नियमतः एक जनवरी तक 138 एल.एम.टी.की सुरक्षित भंडारण की आवश्यकता होती है, जिसके मद्देनजर यह उससे काफी अधिक है। केंद्रीय पूल में 12 दिसम्बर 2022 को लगभग 182 एलएमटी गेहूं की उपलब्धता दर्ज की गई है।भारत सरकार गेहूं की कीमतों की स्थिति से अच्छी तरह अवगत है और साप्ताहिक आधार पर उसकी नियमित निगरानी कर रही है।

            गेहूं के साथ अन्य जिंसों की कीमतों पर भी नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर सुधारात्मक उपाय भी किए जा रहे हैं। भारत सरकार ने कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए सक्रियता दिखाई है तथा 13 मई, 2022 से प्रभावी होने वाले निर्यात नियमों को लागू कर दिया है। इसके अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की भी चावल को ध्यान में रखते हुए समीक्षा की गई है, जिससे केंद्रीय पूल में गेहूं का भंडारण पर्याप्त मात्रा में हो जाये, ताकि कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतों को पूरा किया जा सके।

            भारत सरकार ने इस वर्ष गेहूं के एम.एस.पी.को बढ़ाया है। उल्लेखनीय है कि आरएमएस 2022-23 के लिये पिछले वर्ष गेहूं का एमएसपी 2015 रुपये/कुंतल था, जो अब बढ़ाकर 2125 रुपये/कुंतल कर दिया गया है। इस तरह एमएसपी में 110 रुपये/कुंतल की बढ़ोतरी के साथ-साथ अच्छे मौसमी हालात भी पैदा हुये, जिनके कारण यह आशा की जाती है कि अगले वर्ष के दौरान गेहूं का उत्पादन व खरीद सामान्य रहेगी।

            अगले वर्ष गेहूं की खरीद अप्रैल 2023 से आरंभ होगी। शुरूआती मूल्यांकन के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस बार गेहूं की बुवाई में भी काफी बढ़ोतरी देखी गई है।भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि केंद्रीय पूल में अनाज की उपलब्धता पर्याप्त रूप से बनी रहे, ताकि देशभर की सभी कल्याणकारी योजनाओं की जरूरतें पूरी की जा सकें तथा कीमतें भी नियंत्रित रहें।

            पिछले मौसम में गेहूं की खरीद यद्यपि कम हुई थी, क्योंकि उत्पादन कम हुआ था और भू-राजनैतिक परिस्थिति के चलते किसानों ने खुले बाजार में एमएसपी से अधिक कीमत पर अपनी उपज बेची थी। इसके बावजूद गेहूं की अगली फसल के आने तक देश की जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय पूल में गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद रहेगा।