करणीदानसिंह राजपूत – सूरतगढ़ 3 दिसंबर 2022
30 साल के संघर्ष के बाद राजस्थान में 1977 में आपातकाल के बाद में जनता पार्टी की जीत हुई। भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने उस समय कांग्रेस की क्या स्थिति थी? कांग्रेस क्यों हारी? इस पर राजस्थान समाचार प्रचार समिति की ओर से 21 जून 1977 को समाचार बुलेटिन जारी किया गया वह कांग्रेस पार्टी की नीतियों के प्रति बहुत कुछ बता रहा था। 2003 के चुनाव में फिर 2013 के चुनाव में कांग्रेस को पराजय मिली। अब आगे आने वाले चुनाव 2023 में कांग्रेस के हाल क्या होंगे? कांग्रेस राज के 2018 में जीतने के बाद 4 साल बीत चुके हैं।इन चार सालों में लोगों को जो मिला और जो देखा उससे तो यह कहा जा सकता है कि हालत 1977 के चुनाव में जो थी अब उससे कई गुना अधिक बिगड़ चुकी है। सरकार का नियंत्रण खत्म जैसा हो रहा है। भ्रष्टाचार और अनाचार बढ रहा है।
नारी अत्याचार और हत्याकांड बढ रहे हैं। रिश्वत के बिना काम ही नहीं हो रहे। प्रतिदिन किसी न किसी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रंगे हाथों गिरफ्तार कर रहा है। दावा किया जा सकता है कि सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में बहुत सख्त है। लेकिन फिर भ्रष्टाचार क्यों और कैसे बढ रहा है? जो लोग पकड़े गए उनको अपराधी सिद्ध होने के बावजूद अधिकांश के विरुद्ध अदालत में केस चलाने की अनुमति संबंधित विभाग क्यों नहीं दे रहे। इस पर सरकार की तरफ से कोई दिशा निर्देश नहीं हो रहे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या कोई भी अन्य मंत्री भ्रष्टाचार के मामले में अधिकारियों कर्मचारियों को लताड़ता नहीं है और चेतावनी भी नहीं देता। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में वर्षों से प्रकरण लंबित पड़े हैं और उनकी संख्या बढती जा रही है। किसी मामले की जांच कितने दिन में पूर्ण हो जानी चाहिए? सब जगह मामले दबाने से जनता परेशान हो रही है।
शिक्षा चिकित्सा का बुरा हाल है और सुनवाई नहीं हो रही। ऐसी बिगड़ी सूरत में 2023 के चुनाव होंगे। कांग्रेस की जीत की उम्मीद तो एक प्रतिशत भी नहीं। किसान खेत की रखवाली नहीं करे,लोगों के कहने पर भी खेत को देखे नहीं और अच्छी उपज की आस करे। कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा है तो ऐसा ही चुनाव परिणाम होगा।
सन् 2023 के चुनाव होने से पहले 1977 में कांग्रेस जिन जन विरोधी नीतियों के कारण हारी,उनके बारे में जानकारी लेते हुए अब की नीतियों पर विचार करना चाहिए।
राजस्थान में राजनीति करने वालों को चाहे वे किसी भी दल के हों वह समाचार बुलेटिन पढ़ना चाहिए जो मेरे रिकॉर्ड में मिला। आज 30 नवंबर 2022 के हिसाब से 44 साल पहले
कांग्रेस किन जनविरोधी नीतियों से हारी थी। उसका उल्लेख है। मै उस समय स्वय का भारत जन साप्ताहिक समाचार पत्र (1973 से 1979) का संपादन प्रकाशन कर रहा था। भारतजन के नाम से ही राजस्थान समाचार प्रचार समिति के बुलेटिन मिलते रहते थे।
उस बुलेटिन में जो लिखा गया वह आपके समक्ष यहां शब्द से शब्द प्रस्तुत कर रहा हूं।
30 साल बाद भैरों सिंह शेखावत जनता नेता निर्वाचित राजस्थान में उमंग और उत्साह का वातावरण
जयपुर( राजस्थान 21 जून. 1977.
दुर्भावना और आशंकाओं के गहरे कोहरे को चीर कर आज प्रबल वेग से जनता सूर्य के रूप में जन नेता भैरों सिंह शेखावत के राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में उदय हो जाने से सारे राज्य में उमंग और उत्साह का वातावरण व्याप्त हो गया है
कांग्रेस के एक दलीय अहंकार से चूर और घृणा की राजनीति से भरपूर शासन को जनता ने उसके आपातकाल में चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाने और अन्याय और की समस्त परिस्थितियों को लांघने सामने के बाद चतुर किंतु खामोशी के आत्मिक बल के साथ उखाड़ फेंका।
* 30 साल तक बेबस और अनजान जनता ने अपने आंगन में जिस पेड़ को सींचा था उसके कांटो की असह्य चुभन को बर्दाश्त न करने से गत दो चुनावों में उस वृक्ष को जड़ सहित उस वृक्ष को भूमिगत कर दिया।
राजस्थान विधानसभा के प्रांगण में कांग्रेस की घृणा की राजनीति और असहनीय भ्रष्टाचार के बखिया उधेड़ने वाले जन नेता भैरों सिंह शेखावत को जनता ने आज अवसर दे दिया है कि अन्याय के आगे अपने नए झुकने वाले व्यक्तित्व से प्रदेश की करोड़ों जनता को सामाजिक न्याय प्रदान करें।
प्रदेश के सौहार्दपूर्ण वातावरण को कभी जाट- राजपूत, कभी हरिजन गैर हरिजन, कभी मुसलमान और हिंदू की वैमनस्यता के गंदे पानी से खींचने वाले कांग्रेसी सत्तालोलुपों का जनता ने एक बार ही पर्दाफाश कर दिया है और जन नेताओं को अवसर दिया है कि वे ईमानदारी से प्रदेश में जनप्रजातांत्रिक मूल्यों की स्थापना करें जिसके प्रकाश ने गत आमचुनावों के परिणामों से विश्व को हतप्रभ कर दिया और भारत की प्रजातंत्र में अपूर्व निष्ठा को उजागर कर दिया।
जनता के मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत अब तक के समस्त मुख्यमंत्रियों में सर्वाधिक आदर के साथ अपने पद पर प्रतिष्ठित हुए हैं। उन्हें अधिक से अधिक विधायकों का जहां विश्वास प्राप्त हुआ है वहां प्रबल जनसमर्थन से भी उनके मनोबल को शक्ति प्राप्त हुई है।
शेखावत का जन्म 1923 में सीकर जिले के एक गांव खाचरियावास में हुआ है। प्रारंभिक दीक्षा के बाद उन्होंने 4 वर्षों तक सरकारी नौकरी की और 1952 में राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। अपने 20 वर्ष के विधायक काल में भैरो सिंह ने सुखाड़िया सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार का निरंतर विरोध किया और नाथद्वारा कांड,पानरवा कांड, सहारिया भूमि कांड आदि को विधानसभा के समक्ष रखा।
संगठन पक्ष में शेखावत राजस्थान प्रदेश जन संघ के उपाध्यक्ष, अध्यक्ष,अखिल भारतीय जन संघ की कार्यसमिति के सदस्य और उपाध्यक्ष रहे हैं।
उन्होंने कच्छ रक्षा आंदोलन, शिमला समझौता विरोधी आंदोलन,सिंधी शरणार्थी बचाओ आंदोलन, महंगाई विरोधी आंदोलन, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों में भाग लिया और उन्होंने अनेक बार गिरफ्तारियां दी।
1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय उन्होंने अपने साथी निरंजन नाथ आचार्य के साथ सैनिकों की सेवा तथा युद्ध प्रयत्नों में भारी सहायता दी। भैरों सिंह शेखावत ने 1971 के बाद भारतीय सेनाओं द्वारा विजित पाकिस्तान क्षेत्र की यात्रा की और पचास हजार
सिंधी शरणार्थियों को मौत के मुंह में धकेले जाने से बचाने में सफलता प्राप्त की।
गत लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में जनता पार्टी के चुनाव संयोजक के रूप में प्रदेश भर में उन्होंने विस्तृत चुनाव सभाएं आयोजित की और जनता को स्वच्छ और लाभकारी प्रशासन देने का वचन दिया। उनके ही एकथ परिश्रम का फल रहा कि जहां सुखाड़िया गए वहां ही कांग्रेस उम्मीदवार पराजित हुआ।
धुन के धनी और सादा जीवन के पक्षपाती भैरों सिंह शेखावत जनता के बहुत निकट हैं। साहित्य और कला के अनुरागी के रूप में वे सहज हास्य और अनुराग के भरपूर हैं।
राज्य के नेता के चुनाव के रूप में उन्होंने प्रदेश की गंभीर जन समस्या के समाधान, अनुसूचित परिगणित जातियों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने तथा जनता पार्टी की घटक प्रवृत्ति को तोड़ने का तथा प्रदेश से भ्रष्टाचार के तीव्र पलायन का जनता से वायदा किया है।०
आपने बुलेटिन पढ लिया। उस समय कांग्रेस के हारने के कारण भी जान गए। अब हालात बुरे से भी बुरे हैं जिनका कुछ वर्णन प्रारंभ में आपने पढ लिया।