उद्योगों व शिक्षण संस्थान के बीच बेहतर समन्वय के लिए एम॰ओ॰यू॰ साइन किया : राजेश गढ़

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 21 नवंबर :

            यमुनानगर-जगाधरी चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा स्वर्ण जयंती वर्ष का समापन कार्यक्रम महाराजा अग्रसेन कॉलेज, जगाधरी में उद्यमिता और नेतृत्व विकास विषय पर सम्मेलन का आयोजन कर के किया। इस में जी आई एस एफ इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर वीरेंद्र मेहंदीरत्ता, कमल इनकोंन लिमिटेड के निदेशक राजेश गढ़, ओरिएंटल इंजीनियरिंग वर्कस प्राइवेट लिमिटेड से शिवम सलूजा व चैम्बर प्रधान, श्री सिद्धिविनायक एजुकेशनल ट्रस्ट के चेयरमैन शिक्षाविद डा एम के सहगल स्पीकर के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती और भगवान गणेश के चरणों में दीप प्रज्जवलित करके किया गया। प्रिंसिपल पी के वाजपेयी ने सभी स्पीकर्स का कॉलेज कैंपस में पहुंचने पर स्वागत किया। 

            उन्होंने उधमिता पर अपने विचार भी प्रस्तुत किये। कॉमर्स विभाग की प्रमुख डा सीमा गुप्ता ने सभी स्पीकर का व्यक्तिगत ब्यौरा दिया।वरिंदर मेहंदीरत्ता ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि जीवन में सफलता के लिए धैर्य रखना बेहद जरूरी है। धैर्य रखकर किसी भी बड़े लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता हैं।

             जो अपने विवेक को धारण किये हुए धैर्य के साथ आगे बढता है वही संसार में इतिहास रचता है। उन्होंने कहा कि असफलता से घबराना नहीं चाहिए। नकारात्मक विचार व्यक्ति को आगे बढ़ने से रोके रखते हैं। एक बार जब यह मानसिकता हावी हो जाती है, तो आप असफलता के एक अत्यधिक भय से अपंग हो जाएंगे जो आपको अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोक देगा। यदि आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो  ऐसे विचारों पर काबू पाना होगा और उन्हें सकारात्मक विचारों से बदलना होगा। जीवन के किसी भी क्षेत्र में काम करने के लिए हमें उस क्षेत्र का ज्ञान होना जरूरी होता है।जीवन की समस्याओं को ज्ञान की शक्ति से हल किया जा सकता है। ज्ञान हमारे कौशल जैसे तर्क और समस्या को सुलझाने को तेज करता है।राजेश गढ़ ने कहा कि समय सबसे मूल्यवान होता है जो समय एक बार बीत जाता है कभी भी वापस लौटकर नहीं आता है। किसी भी कार्य को भविष्य में करने की सोचने के बजाय वर्तमान में करने की सोच विकसित करनी चाहिए। 

            समय का महत्व समझने वाला व्यक्ति सदैव अनुशासन में रहकर कार्य करता है। उन्होंने यह भी कहा कि व्यक्ति के अंदर जिम्मेदारी लेने कि भावना होनी चाहिए। जिम्मेदार व्यक्ति अपनी अलग पहचान बना लेता है। गैर जिम्मेदार व्यक्ति गलती होने पर दुसरो का दोष निकालने  लग जाता है जबकि जिमेदार व्यक्ति गलती को स्वीकार कर उसे दूर करने की भरपूर कोशिश करता है।शिवम सलूजा ने अपने सम्बोधन में कहा कि व्यक्ति असाधारण क्षमताओं वाला प्राणी है। व्यक्ति को अपनी ताकत से शुरुआत करनी चाहिए। जो व्यक्ति अपनी ताकत को पहचान कर काम करता है वह उन्नति के पथ पर सदैव अग्रसर होता है।उन्होंने सहानुभूति की भावना विकसित करने की बात कही।

            सहानुभूति की भावना से व्यक्ति में मानवता बढ़ती है और वह दूसरे की सहायता तथा सेवा को महत्व देने लगता है और सही  गलत को पहचाने लगता है। उन्होंने सॉफ्ट स्किल पर भी अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने  कम्यूनिकेशन ऐंड इंटर पर्सनल स्किल, टीम स्किल,  टाइम मैनेजमेंट स्किल, बिजनस मैनेजमेंट  व बॉडी लैंग्वेज एवं आई कॉन्टेक्ट के बारे में बताया ।डा एम के सहगल ने भारत के युवा उद्यमियों को नई सदी में भारत परिवर्तन की कुंजी बताया उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया की उन्हें अपने जुनून का पालन करना चाहिए और कुछ ऐसा करना चाहिए जो उनके दिल के करीब हो। नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा  देने के लिए प्रेरित किया जो विकास को बढ़ावा देगा और रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगा। उन्होंने अपने सम्बोधन के दौरान महात्मा गाँधी के उद्धरण  ग्राहक हमारे परिसर में सबसे महत्वपूर्ण आगंतुक होता है। वह हम पर निर्भर नहीं है, हम उस पर निर्भर हैं। वह हमारे काम में रुकावट नहीं है, वह हमारा उद्देश्य है  का इस्तेमाल भी बखूबी किया।

            इस अवसर पर डा एम के सहगल, वीरेंदर मेहंदीरत्ता, राजेश गढ़, शिवम सलूजा, प्रिंसिपल पी के वाजपई, गौरव बरेजा, डॉ सीमा गुप्ता, डा अनीता विशेष रूप से उपस्थित रहे।