अंबाला के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया को भावी डाॅक्टरों के अभिभावकों ने सरकार द्वारा बनाई गई नई बाॅन्ड पाॅलिसी के लिये दिया ज्ञापन

  • कटारिया ने अभिभावकों दिया आश्वासन, करेंगे मुख्यमंत्री से बातचीत
  • 1 नवंबर हरियाणा दिवस से भावी डाॅक्टर नई बाॅन्ड पाॅलिसी के विरूद्ध बैठे है धरने पर
  • नई बाॅन्ड पाॅलिसी भावी डाॅक्टरों के साथ-साथ प्रदेश के लिये नहीं सही- श्री वीरेंद्र आर्यव्रत

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, पंचकूला, 21 नवंबर :  

                        अंबाला के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री श्री रतनलाल कटारिया से उनके आवास पर एमबीबीएस कर रहे छात्रों के अभिभावक सरकार द्वारा बनाई गई बाॅन्ड पाॅलिसी के लिये मिले और उन्हें ज्ञापन दिया। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में एमबीबीएस कर रहे छात्र 1 नवंबर 2022 (हरियाणा दिवस) से पीजीआईएमएस रोहतक में बाॅन्ड पाॅलिसी के विरूद्ध धरने पर बैठे है।

                        इस संबंध में जानकारी देते हुये एमबीबीएस कर रहे छात्रा के अभिभावक श्री वीरेंद्र आर्यव्रत ने बताया कि सरकार देश के भावी डाॅक्टरों के साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रही। बच्चें एमबीबीएस में सरकारी काॅलेज में दाखिला लेने के लिये दिन रात मेहनत करते है। कई बार पहली बार में ही दाखिला न मिलने की वजह से ड्राॅप भी करना पड़ता है और वो फिर से अपनी नींद, सुख, चैन और भूख को छोड़कर सरकारी काॅलेज में दाखिला लेने के लिये दिन रात मेहनत करने लगते है और फिर कहीं जाकर उन्हें मैरिट में नंबर मिलते है, जिससे वे सरकारी काॅलेज में एडमिश ले सके। इतनी मेहनत करने के बाद जब आज उन बच्चों को सरकारी काॅलेज में दाखिला मिल रहा है तो सरकार उन बच्चों को कर्ज में डुबाना चाहता है।

                        उन्होंने बताया कि पहले सरकारी काॅलेज में एमबीबीएस की फीस सालाना 52 हजार रुपये होती थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया है। सरकारी काॅलेज की फीस 10 लाख रुपये और प्राइवेट काॅलेज की फीस 12 लाख रुपये है। अगर बच्चों को 10 लाख रुपये फीस ही देनी थी तो क्यों उन्होंने सरकारी काॅलेज में दाखिला लेने के लिये दिन रात मेहनत की और जिन बच्चों को पहली बार में एडमिशन नहीं मिला, उन्होंने क्यों अपने जीवन के कीमती समय दो या तीन साल और लगाकर मेहनत की।

                        आर्यव्रत ने बताया कि सरकारी द्वारा 40 लाख रुपये की जो बाॅन्ड पाॅलिसी बनाई है, उसके अनुसार भावी डाॅक्टरों को 7 साल तक हरियाणा में ही कार्य करना होगा। अगर वो हरियाणा में काम नहीं करेंगे तो उन्हें 40 लाख रुपये सरकार को देने होंगे। इसके साथ-साथ सरकार यह भी कह रही है कि भावी                  डाॅक्टरों को कोई रोजगार देना सरकार के हाथ में नहीं है। सरकार की ओर से भावी डाॅक्टरों को एमडी करने की भी कोई स्वीकृति नहीं है। अगर भावी डाॅक्टर एमडी करना चाहता है तो भी उसे पहले 40 लाख रुपये सरकार को देने होंगे।

                        आर्यव्रत ने बताया कि सरकार जान बूझकर जनता के सामने सच नहीं आने देना चाहती है और कह रही है कि डाॅक्टर यहां पढ़कर बाहर चले जाते है, जिन्हें रोकने के लिये यह पाॅलिसी बनाई है। अगर सरकार यह चाहती है तो बच्चों को जाॅब सिक्योरिटी और एमडी करने की स्वीकृति क्यों नहीं देती। अगर सरकार का मकसद भावी डाॅक्टरों को अपने प्रदेश में ही सेवा करवाना है तो सरकार वह भावी डाॅक्टरों की मांग को क्यों नहीं मान रही। भावी डाॅक्टर 1 नवंबर 2022 हरियाणा दिवस से पीजीआईएमएस रोहतक में धरने पर बैठे है, जिन्हें मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के रोहतक में होने वाले कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये देर रात 2.30 बजे गिरफ्तार कर लिया गया था। बच्चों को इस तरह जबरदस्ती खिचकर और घसीटकर ले जाया गया, जिससे कई बच्चों को चोंटे भी लगी।

                        आर्यव्रत ने बताया कि मीडिया लोकतंत्र का चैथा स्तंभ है। मीडिया का काम देश की जनता को सच दिखाना है। बच्चें इतने दिनों से बाॅन्ड पाॅलिसी के विरूद्ध सर्दी के मौसम में भूखे, प्यासे धरने पर बैठे है। उन्होंने कहा कि वे मीडिया से अनुरोध करते है कि मीडिया जनता को सच बताये कि भावी डाॅक्टरों के साथ अच्छा नहीं हो रहा। अगर यही चलता रहा तो पहले ही हमारे यहां डाॅक्टरों की कमी है और आगे आने वाले बच्चें हरियाणा में दाखिला लेने की बजाय दूसरे प्रदेशों में डाॅक्टर बनने के लिये चले जायेंगे। सरकार स्वयं अपने भावी डाॅक्टरों को खो रही है और जनता को दिखा रही है कि वे डाॅक्टरों को बचाने के लिये बाॅन्ड पाॅलिसी लेकर आई है। भावी डाॅक्टर कई बार सरकार से अनुरोध कर चुके है कि वे बाॅन्ड पाॅलिसी को हटा दें और उन्हें अच्छे से पढ़कर अच्छे डाॅक्टर बनने और अपने देश का नाम रोशन करने का मौका दें।

                        आर्यव्रत ने बताया कि सरकार द्वारा भावी डाॅक्टरों के सर्टीफिकेट पहले ही लें लिये गये है। फिर भी अबकी बार दाखिला लेने आये बच्चों से पहले ही 10 लाख रुपये जमा करवाने और फिर दाखिला देने के लिये कहा गया। इससे गरीब परिवार के बच्चें दाखिला लेने से वंचित रह गये और उनके अभिभावक तक रोने लगे कि इतनी ज्यादा रकम वे कहां से लायेंगे। उन्होंने बताया कि सरकार की नई बाॅन्ड पाॅलिसी के अनुसार मिडल और लाॅवर मिडल क्लाॅस का बच्चा डाॅक्टर बनने का सपना नहीं देख सकेगा। इससे हमारे प्रदेश की वह क्रीम जो मेहनती और ज्ञानवान है, उसे प्रदेश खो देगा। ये बच्चें या तो कहीं बाहर जाने लगेंगे या फिर डाॅक्टर बनने का सपना ही नहीं देखेंगे।

                        कटारिया ने भावी डाॅक्टरों के अभिभावकों को आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को लोकसभा में उठायेंगे और हरियाणा मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल से भी इस बारे में बातचीत करेंगे।