Sunday, December 22

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 16 नवम्बर 22 :

शुरू हो रहा है मार्गशीर्ष संक्रांति का पुण्‍यकाल जानें क्‍या है महत्‍व -  What is the significance of the Sankranti Punyakaal
आज मार्गशीर्ष संक्रान्ति है

नोटः आज मार्गशीर्ष संक्रान्ति है। ग्रहों के राजा सूर्य देव जब एक राशि से निकलकर किसी दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य देव जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं उसी नाम से संक्रांति जानी जाती है। 16 नवंबर 2022 को सूर्य देव तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे, इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाएगा। सूर्य देव की पूजा उपासना और उनकी कृपा पाने के लिए ये दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सूर्य देव वृश्चिक राशि में अगले एक महीने तक विराजमान रहेंगे।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः मार्गशीर्ष, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः अष्टमी की वृद्धि हैं, जो गुरूवार को प्रातः 07.57 तक है, 

वारः बुधवार। 

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः आश्लेषा सांयकालः 06.59 तक है, 

योगः ब्रह्म रात्रि काल 01.07 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः वृश्चिक, चंद्र राशिः कर्क, 

सूर्योदयः 06.49, सूर्यास्तः 05.23 बजे। 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,