Saturday, May 10
  • ट्रालियों पर लादा जा रहा ट्रकों से तीन गुणा वजन

डिंपल अरोड़ा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सिरसा – 10 नवंबर :

 
                        ओवरलोड वाहनों के मामले में जिला प्रशासन आंखें मूंदे हुए है, जिसके कारण हरपल हादसे की आशंका बनी रहती है। ओवरलोड वाहन सडक़ों पर इधर से उधर दौड़ते हुए देखे जा सकते है। जिला मुख्यालय पर ही ट्रालियों पर ट्रकों के मुकाबले तीन-तीन गुणा माल की ढुलाई पर भी प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। ऐसे में सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के दावों की हकीकत का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

                        सिरसा में इन दिनों धान का सीजन चल रहा है। मंडी से धान की लिफ्टिंग चल रही है। नियमानुसार व्यवसायिक वाहनों ट्रक-केंटर इत्यादि को ही माल की ढुलाई करनी चाहिए। जबकि माल की ढुलाई में ट्रेक्टर-ट्रालियों का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। अचरज की बात यह है कि सामान्य ट्रक की लोडिंग क्षमता 9 टन है। इससे अधिक वजन होने पर परिवहन विभाग द्वारा ओवरलोड का चालान कर दिया जाता है। लेकिन मंडी में इन दिनों 25-25 टन वजन ढोया जा रहा है। एक-एक ट्राली पर 50 किलो की -500 बोरियां लादी जा रही है। इन ओवरलोड ट्रालियों पर रोकथाम लगाने वाला कोई नहीं है।

                        कृषि कार्य के लिए अधिकृत इन ट्रेक्टर-ट्रालियों पर क्षमता से अधिक वजन लादे जाने के कारण यह सडक़ पर दौड़ते हुए ‘यमराज’ की भांति है। चूंकि इन पर नियंत्रण रख पाना आसान नहीं होता। ओवरलोड होने की वजह से न तो ट्रेक्टर ड्राइवर अपनी दिशा ही बता सकता है और न ही पीछे से आने वाले वाहनों का ही उसे कुछ पता चल पाता। माल की ढुलाई करने वाली अधिकांश ट्रेक्टर-ट्रालियों पर न तो बैक लाईट होती है और न ही रिफ्लेक्टर। ओवरलोड ट्राली के सडक़ पर बने गड्ढे अथवा ऊंचाई होने की स्थिति में पलटने की आशंका बनी रहती है। बुधवार देर सायं अरोडवंश चौक पर एक ओवरलोडिड ट्रेक्टर ट्राली धर्मकांटे पर चढ़ते समय हादसे का शिकार हो गई। वजन अधिक होने के कारण ट्रेक्टर आगे से उठ गया और क्षतिग्रस्त हो गया। इस वजह से इस चौक पर मंडी की ओर आने-जाने वाले वाहनों का जाम लग गया।
 

  • नहीं किया जा सकता व्यवसायिक प्रयोग

                        ट्रेक्टर-ट्रालियों का नियमानुसा व्यवसायिक प्रयोग नहीं किया जा सकता। जिन संस्थाओं द्वारा ट्रेक्टर का व्यवसायिक प्रयोग किया जाना होता है, उन्हें इसके लिए बकायदा अनुमति लेनी होती है और इसके कमर्शियल उपयोग पर देय टैक्स की अदायगी करनी होती है। लेकिन मंडी में अनेक लोगों द्वारा दर्जनों ट्रेक्टर-ट्रालियों का व्यवसायिक प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने अपने ट्रेक्टरों पर ऊंचे-ऊंचे हुड बनाए हुए है ताकि अधिक माल की ढुलाई हो सकें। इन लोगों ने ट्रेक्टर पर ड्राइवर नियुक्त किए हुए है, जिन्हें वेतन की अदायगी की जाती है। सडक़ों पर माल ढुलाई करते ऐसे ट्रेक्टर-ट्रालियां चंद लोगों की है जोकि सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ करके इधर से उधर दौड़ती है। ट्रेफिक रूल के तहत ट्रेक्टर-ट्राली का व्यवसायिक उपयोग किए जाने पर चालान का प्रावधान है। लेकिन बाजारों में सीमेंट, ईंट, रेता, बजरी, लोहा, लकड़ी, कचरा सहित अन्य कमर्शियल उपयोग देखा जा सकता है। इन्हीं लोगों की वजह से मंडी में जाम की स्थिति भी पैदा होती है।
 

  • कहां सोए रहते है आरटीओ

                        ओवरलोड ट्रेक्टर-ट्रालियों की वजह से धुंध व कोहरे मेंसडक़ हादसे की आशंका दोगुणी हो जाती है। चूंकि क्षमता से अधिक माल की ढुलाई के कारण ट्रेक्टर पर नियंत्रण नहीं रहता। साथ ही माल की ढुलाई करने वालों द्वारा बड़े-बड़े स्पीकरों का इस्तेमाल किया जाता है। जिसके कारण पीछे से आने वाले वाहनों के होर्न पर ध्यान नहीं देते। न ही ऐसे वाहनों के पीछे रिफ्लेक्टर लगे होते है और न ही बैकलाइट। इंडीगेटर का तो मतलब ही नहीं। ये ओवरलोड ट्रेक्टर-ट्रालियां किस दिशा में मुड़ जाएगी, कोई नहीं जानता। धुंध व कोहरे की रात्रों में इन्हें देख पाना आसान नहीं होता। ऐसे ओवरलोड वाहनों पर नकेल कसने की जिम्मेवारी आरटीओ की होती है, लेकिन विभागीय अधिकारी कहां सोए रहते है, यह कोई नहीं जानता।
 

  • सडक़ों पर दौड़ रहे ‘जुगाड़’

                        ट्रेक्टरों के कमर्शियल उपयोग के साथ-साथ सिरसा में जुगाड़ वाहन भी बिना रोकटोक के दौड़ रहे है। ऐसे जुगाड़ वाहनों की वजह से हादसे की आशंका बनी रहती है। लेकिन ऐसे वाहनों पर नियंत्रण करने वाला कोई नहीं है। उच्च न्यायालय द्वारा पीटर रहड़ों पर प्रतिबंध लगाया गया लेकिन उसी की तर्ज पर बनी गन्ने के जूस की रेहडिय़ों सडक़ों पर सरपट दौड़ रही है। चौक-चौराहों पर इनका ठिकाना बना हुआ है। मोबाइल आटा चक्की दौड़ रही है, पंचर लगाने वाला पीटर रेहड़ा दौड़ रहा है, कुंओ से मोटर निकालने वाले पीटर रेहड़े दौड़ रहे है। मोटरसाइकिल के पीछे ट्रालियां लगाकर दौड़ाई जा रही है। लेकिन पुलिस चौक पर हेलमेट का चालान काटने में जुटी है। ऐसे में हादसों पर रोकथाम कैसे लगेगी?